America News: अमेरिका में जाति भेदभाव का आरोप वापस लिया
America: बड़ी आईटी कम्पनी "सिस्को सिस्टम्स" के किन्हीं कर्मचारी ने अपने अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि वे उनके साथ जातिगत भेदभाव करते थे।
America News:अमेरिका में भारतवंशियों के बीच जातिगत भेदभाव का मामला बीते कुछ समय से काफी गरमाया हुआ है। कई संगठन और समूह इस मसले को काफी तूल देकर उछाले हुए हैं। लेकिन एक नाटकीय घटनाक्रम में अमेरिकी सिविल राइट्स विभाग ने जातीय भेदभाव से जुड़े आरोपों को वापस ले लिया है।
दरअसल, बड़ी आईटी कम्पनी "सिस्को सिस्टम्स" के किन्हीं कर्मचारी ने अपने अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि वे उनके साथ जातिगत भेदभाव करते थे। ये मामला कैलिफोर्निया में सिविल राइट्स विभाग में पहुंचा था। ये विभाग न्यायिक हैसियत रखता है।
क्या हुआ घटनाक्रम
कैलिफोर्निया नागरिक अधिकार विभाग ने सिस्को में दो भारतीय मूल के इंजीनियरों के खिलाफ जाति आधारित भेदभाव के अपने करीब तीन साल पुराने मामले को खारिज करने के लिए अर्जी दायर की है। बिना किसी कारण बताए संक्षिप्त शब्दों में फाइलिंग के साथ, सीआरडी ने सुंदर अय्यर और रमना कोम्पेला के खिलाफ तीन साल के मीडिया ट्रायल को खत्म कर दिया है।
हिन्दू समुदाय ने खुशी जताई
इस कदम का बड़े अमेरिकी हिंदू समुदाय और उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के गठबंधन (कोहना) ने स्वागत किया है। कोहना के अध्यक्ष और संस्थापक निकुंज त्रिवेदी ने कहा, "हम हमेशा से जानते थे कि मामले का वास्तविक तथ्य में कोई आधार नहीं था और सीआरडीप में अति उत्साही वकीलों द्वारा प्रतिवादियों पर थोपा गया था, जिसे हमने विभिन्न सार्वजनिक वेबिनार और लेखों में इंगित किया था। हमें खुशी है कि वे अपने होश में आ गए हैं और प्रतिवादियों से प्रतिबंधों के लिए एक प्रस्ताव का सामना करने के बाद उन्होंने जो करना बाकी है वह सही किया है।
कई संगठनों का केंद्रबिंदु
यह मामला कई संगठनों, विशेष रूप से इक्वेलिटी लैब्स के दावों का केंद्रबिंदु रहा है, कि भारतवंशियों में जाति आधारित भेदभाव व्याप्त है। हार्वर्ड, ब्राउन और कैल स्टेट सिस्टम समेत कई विश्वविद्यालयों ने सिस्को मामले को सबूत के रूप में बताते करते हुए "जाति" को एक संरक्षित वर्ग के रूप में जोड़ा है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान पूरे अमेरिकी हिंदू समुदाय ने इस नैरेटिव को आगे बढ़ाने वाले एक्टिविस्ट की सच्चाई और मंशा के बारे में सवाल उठाये हैं। लेकिन सवाल उठाने पर उल्टे इन्हीं को बदनाम किया गया। इसमें कोहना के भीतर दलित और बहुजन नेता भी शामिल थे, जिन्हें तिरस्कृत किया गया। इन संगठनों ने कहा है कि आज का दिन उन सभी के लिए सत्य साबित करने का दिन है, जिन्होंने झूठे आरोपों पर बनी अन्यायपूर्ण नीतियों और कानूनों का मुकाबला किया।
भारतीय हिन्दू समुदाय का कहना है कि अब सिएटल शहर और कैलिफोर्निया स्टेट को जातिगत संबंधित अपने प्रस्ताव और फैसले वापस ले लेने चाहिए।