अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेनः रहे हैं भारत के बारे में नरम – गरम, रुख सकारात्मक नहीं

Update: 2020-11-07 17:48 GMT
US President Biden is soft on India, not positive

नीलमणि लाल

जो बिडेन और उनकी सहयोगी कमला हैरिस का भारत के प्रति रुख कोई बहुत सकारात्मक नहीं है। राष्ट्रपति चुनावों के दौरान जो बिडेन ने एक पॉलिसी पेपर जारी किया था जो उनके रुख को काफी साफ़ करता है। इस पालिसी पालिसी पेपर में उन्होंने मोदी सरकार के कश्मीर और सीएए से संबंधित फैसलों की आलोचना की है।

बिडेन ने कहा है कि भारत की परंपरा में सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं रहा है। ऐसे में सरकार के यह फैसले विरोधाभासी दिखते हैं। उन्होंने कहा है कि वह जब सत्ता में आएंगे तो इन मामलों पर भारत के साथ कड़ा रवैया अपनाएंगे।

जो बिडेन के कैम्पेन की वेबसाइट पर जारी किए गए पॉलिसी पेपर में ‘एजेंडा फॉर मुस्लिम अमेरिकन कम्युनिटी’ शीर्षक से उनकी नीतियां दर्शाई गईं हैं। इनमें चीन का उइगर, म्यानमार का रोहिंग्या और भारत में कश्मीरी मुस्लिम सबंधित प्रतिभाव को दिखाया गया है। इसमें लिखा है – ‘मुस्लिम देशों में मुस्लिमों के साथ जो कुछ भी होता है, उसका अमेरिकन मुस्लिमों पर भी बहुत असर पड़ता है। मैं उनकी भावनाएं समझ सकता हूं।

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चीन में उइगर मुस्लिमों को कॉन्सन्ट्रेशन कैम्प में रखा जाता है, जो बहुत ही शर्मनाक है। मैं जब चुनाव जीतूंगा तो इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाऊंगा। दुनिया का विश्वास हासिल करूंगा।

कश्मीर में स्थानीय लोगों के अधिकारों का पुन:स्थापन हो, इसके लिए भारत सरकार को हर संभव प्रयास करना चाहिए। विरोध की आवाज दबाना, इंटरनेट बंद करना अलोकतांत्रिक है।

सीएए और एनआरसी मामले में भारत सरकार का रवैया निराशाजनक है। वहां की परंपरा सदियों से सांप्रदायिक से दूर रही हैं। ऐसे में यह नीतियां विरोधाभासी जान पड़ती हैं।‘

ओबामा के कार्यकाल में थी अलग भावना

बराक ओबामा की सरकार के दौरान 8 साल तक उपराष्ट्रपति रहते जो बिडेन ने भारत के प्रति मित्रता भरा रुख दिखाया था। एक मौके पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए बिडेन ने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं तो भारत के सामने मौजूद खतरों से निपटने में उसके साथ खड़े रहेंगे।

उन्होंने ने कहा था, ‘मैं 15 साल पहले भारत के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते को मंजूरी देने की कोशिशों की अगुवाई कर रहा था। मैंने कहा कि अगर भारत और अमेरिका करीबी दोस्त और सहयोगी बनते हैं, तो दुनिया ज्यादा सुरक्षित हो जाएगी।‘

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इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीत जाते हैं, तो भारत अपने क्षेत्र और अपनी सीमाओं पर जिन खतरों का सामना कर रहा है, वह उनसे निपटने में उसके साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि वह दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर काम करेंगे।

एक संदेश में कहा था

कुछ दिन पहले ही अपने एक संदेश में कहा था कि ‘मैंने सीनेटर और उपराष्ट्रपति के तौर पर भारत के साथ लंबे समय तक काम किया है। मैंने पहले भी कहा था कि अगर अमेरिका और भारत गहरे दोस्त बनते हैं तो पूरी दुनिया सुरक्षित हो जाएगी।‘

बिडेन ने कहा था कि अगर वो राष्ट्रपति बनते हैं तो वो दोनों देशों के रिश्तों को और बेहतर बनाने का काम करेंगे। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच ट्रेड को बराबरी पर ले आएंगे। क्लाइमेट चेंज समेत दुनिया के अन्य अहम मुद्दों पर भी दोनों देश मिलकर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा था कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर में भारतीय मूल के लोगों को सरकार में जगह मिली थी।

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अब देखने वाली वाली बात होगी कि बिडेन का कौन सा रुख अब प्रेसिडेंट बनने के बाद सामने आयेगा। लेकिन ये तय है कि सोशलिस्ट विचार रखने वाले बिडेन भारत से कुछ अलग ही अपेक्षा रहेंगे।

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