चीन की हेकड़ी निकालने के लिए अमेरिका के साथ आए दुनिया के ये तीन बड़े ताकतवर मुल्क

भारत और अमेरिका से तनातनी के बाद चीन की मुसीबतें बढती ही जा रही हैं। चीन की विस्तारवादी नीति पर नकेल कसने के लिए अमेरिका ने इस बार बड़ा कदम उठाया है।

Update: 2020-08-30 08:59 GMT
विजय शंकर 2012 में न्याय विभाग का हिस्सा बनने से पहले वाशिंगटन डीसी, मेयर ब्राउन के कार्यालय, एलएलसी एंड कोविंगटन एंड बर्लिंग, एलएलपी में निजी तौर पर वकालत कर चुके हैं।

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका से तनातनी के बाद चीन की मुसीबतें बढती ही जा रही हैं। चीन की विस्तारवादी नीति पर नकेल कसने के लिए अमेरिका ने इस बार बड़ा कदम उठाया है।

जल्द ही अमेरिका के नेतृत्व में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अफसरों की बैठक होने वाली है। ये जानकारी अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने दी है।

मीडिया से बात करते हुए रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने कहा है कि सितंबर और अक्तूबर में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अफसर की जॉइंट मीटिंग होगी।

चीन के ध्वज की फाइल फोटो

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चीन से निपटने के तरीकों पर चर्चा

इस बैठक के दौरान तीनों मुल्क अमेरिका के साथ चीन से निपटने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि चीन का व्यवहार दूसरे मुल्कों के प्रति खतरनाक होता जा रहा रहा है और अमेरिका को मालूम है कि इससे कैसे निपटा जा सकता है।

ओ’ब्रायन ने कहा, चारों देशों के अफसरों की बैठक से पहले विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव और उसकी कायराना हरकतें अस्वीकार्य है।

उन्होंने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि बीजिंग को एक बात समझ लेनी चाहिए कि वो दुनिया के किसी भी समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा नहीं कर सकता है। सभी देशों का इन पर हक होता है। इसलिए चीन समुद्री रास्ते से आवागमन को प्रभावित नहीं कर सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो

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चीन से निपटने में अमेरिका की रहेगी खास भूमिका

ये भी कहा कि दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन से निपटने के लिए सटीक तरीकों पर काम किया जाएगा। जिसमें अमेरिका की भूमिका खास होगी।

उन्होंने कहा, हम कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक स्तर पर चीन का मुकाबला करने जा रहे हैं। चीन को अपनी गलत हरकतों के लिए बहुत ही बड़ा अंजाम भुगतना पड़ेगा।

बताते चलें कि अमेरिका और चीन के संबंधों में लगातार दरार पडती जा रही है। दोनों ही देश वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर एक-दूसरे पर पर हमला बोल रहे हैं। अमेरिका चीन पर इस वायरस को लेकर जानकारी छिपाने का आरोप पहले ही लगा चुका है।

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