युद्ध में खूनी मिसाइलें: हर रोज सैकड़ों मौतों से कांपी दुनिया, नहीं रुक रही ये जंग

युद्ध में काबिज आर्मेनिया और अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख को लेकर जारी तनाव के बीच एक बार फिर आधी रात से संघर्षविराम समझौता लागू करने की कोशिश की।

Update:2020-10-18 12:39 IST
युद्ध में काबिज आर्मेनिया और अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख को लेकर जारी तनाव के बीच एक बार फिर आधी रात से संघर्षविराम समझौता लागू करने की कोशिश की।

नई दिल्ली। दोनों देशों अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच चल रहा युद्ध इन दिनों काफी उग्र होता जा रहा है। बीते कई दिनों से जारी संघर्ष में रिहायशी इलाकों पर लगातार गिराई जा रही मिसाइलें लोगों की जान लेती जा रही हैं। भूमि विवाद से शुरू हुआ संघर्ष दोनों देशों द्वारा रिहायशी इमारतों को निशाना बना रहा है। ऐसे में इस दौरान दोनों देशों के बीच एक बार फिर से संघर्षविराम की कोशिशें की गई हैं।

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संघर्ष विराम को लेकर समझौता

युद्ध में काबिज आर्मेनिया और अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख को लेकर जारी तनाव के बीच एक बार फिर आधी रात से संघर्षविराम समझौता लागू करने की कोशिश की। वहीं इससे एक हफ्ते पहले भी रूस की मध्यस्थता से दोनों के बीच संघर्ष विराम को लेकर समझौता हुआ था।

फोटो-सोशल मीडिया

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रूस द्वारा कराए जा रहे इस समझौते में इसके लागू होने के कुछ ही देर बाद इसका उल्लंघन हो गया था और दोनों पक्षों ने इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया था।

ऐसे में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ फोन पर बातचीत के बाद आर्मेनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों ने नए समझौते की घोषणा की। विदेश मंत्री लावरोव ने दोनों देशों से मॉस्को समझौते का पालन करने की अपील की।

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सैंकड़ों लोगों की मौत

दरअसल नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र अजरबैजान के क्षेत्र में आता है, लेकिन इस पर 1994 से आर्मेनिया समर्थित आर्मेनियाई जातीय समूहों का नियंत्रण है।

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बता दें, नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच अजरबैजान और आर्मीनियाई बलों के बीच 27 सितंबर को संघर्ष शुरू हुआ था, जिसमें सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। लगभग 25 वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच इतने बड़े स्तर पर हो रही ये पहली लड़ाई है। जो अब विस्तार लेती जा रही है। जिसे रोकने के कई प्रयत्न किए जा रहे हैं।

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