क्या ऑपरेशन लोटस 3.0 के दम पर कर्नाटक में सरकार बना पाएगी बीजेपी!

कर्नाटक में सत्तारूढ़ गठबंधन के 12 विधायक, प्रदेश की एच डी कुमारस्वामी की गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने और विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के बाद, शनिवार से ही यहां के एक होटल में रह रहे हैं। इन विधायकों में से सात कांग्रेस के, तीन जेडीएस के जबकि दो विधायक निर्दलीय हैं।

Manali Rastogi
Published on: 10 July 2019 5:41 AM GMT
क्या ऑपरेशन लोटस 3.0 के दम पर कर्नाटक में सरकार बना पाएगी बीजेपी!
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क्या ऑपरेशन लोटस 3.0 के दम पर कर्नाटक में सरकार बना पाएगी बीजेपी!

बेंगलुरु: कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की कुमारस्वामी सरकार इस वक्त काफी नाजुक मोड़ पर खड़ी है। ऐसे में अब जहां बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने को तैयार बैठी है तो वहीं कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के जल संसाधन मंत्री डी के शिवकुमार कर्नाटक सरकार को बचाने के लिए मुंबई पहुंच गए हैं। शिवकुमार प्रदेश सरकार के बागी विधायकों को मनाने की अंतिम कोशिश करने बुधवार सुबह यहां पहुंचे।

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क्या बोले शिवकुमार?

मुंबई पहुंचने के बाद शिवकुमार ने मीडिया से कहा कि, ‘‘मुंबई पुलिस अथवा अन्य बलों को पहले तैनात होने दीजिए। हम यहां अपने दोस्तों से मिलने आये हैं। हम एक साथ राजनीति में आये थे और एक साथ जायेंगे।’’

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कर्नाटक में सत्तारूढ़ गठबंधन के 12 विधायक, प्रदेश की एच डी कुमारस्वामी की गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने और विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के बाद, शनिवार से ही यहां के एक होटल में रह रहे हैं। इन विधायकों में से सात कांग्रेस के, तीन जेडीएस के जबकि दो विधायक निर्दलीय हैं।

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आधी रात को दस विधायकों ने पुलिस को पत्र लिख कर जान का खतरा बताया था और उनसे आग्रह किया कि जिस होटल में वे ठहरे हुए हैं वहां शिवकुमार को प्रवेश करने से रोका जाए।

ऑपरेशन लोटस क्या है?

साल 2008 की बात है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे पार्टी बनकर उभरी थी। बीजेपी के 224 सीटों वाली विधानसभा में 110 विधायक थे, जोकि बहुमत से तीन कम था। ऐसे में बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस का पहला संस्करण लांच किया। इस ऑपरेशन के तहत बीजेपी जेडीएस के तीन जबकि कांग्रेस के चार विधायक तोड़ने में कामयाब रही। यह विधायक दल बदल विरोधी कानून के तहत बीजेपी में शामिल नहीं हो सकते थे।

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ऐसे में इन सभी विधायकों ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बीजेपी ने इन विधायकों को उपचुनाव का टिकट दिया। इन सात विधायकों में से पांच ने उपचुनाव में जीत हासिल की। इसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी की संख्या 115 हो गई। हालांकि, बाद में बीजेपी की इस हरकत की काफी आलोचना भी हुई। मगर ऑपरेशन लोटस कामयाब रहा।

क्या है ऑपरेशन लोटस 2.0?

ऑपरेशन लोटस के बॉस बीजेपी ने इसका दूसरा संस्करण ऑपरेशन लोटस 2.0 शुरू किया। यह बात पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव यानि दिसंबर 2018 की है। बीजेपी को विधानसभा चुनाव 2018 में करारी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव 2019 के लिए काफी परेशान थी।

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ऐसा इसलिए क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 में से 17 सीट हासिल की थीं। पार्टी के अंदरूनी सर्वे की रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस एक साथ उतरती है तो यह आंकड़ा घटकर 11 पर आ सकता है। इस लिहाज से बीजेपी ने कुमारस्वामी सरकार को गिराने के प्रयास को तेज कर दिया।

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बीजेपी के इस प्लान से कुमारस्वामी सरकार में काफी असंतोष बढ़ गया था। इसलिए इस असंतोष को कम करने के लिए 22 दिसंबर को कुमारस्वामी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया।

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इसके तहत सतीश जरकीहोली को रमेश जरकीहोली की जगह मंत्री बना दिया गया। रमेश जरकीहोली को कुमारस्वामी सरकार की ये हरकत पसंद नहीं आई और वो भूमिगत हो गए। इन सबके बीच येदियुरप्पा के करीबी माने जाने वाले उमेश कुट्टी ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 12 विधायकों उनके संपर्क में हैं और कुमारस्वामी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले गिर जाएगी।

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बीजेपी के इस पैतरे के बाद भी पार्टी विधायकों को अपनी ओर नहीं कर पाई। बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पास कुल 104 सीटें थीम जबकि कांग्रेस के पास 80 तो जेडीएस के पास 37 विधायक थे। बीजेपी को बहुमत से सरकार बनाने के लिए 14 विधायकों की जरुरत थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. ऐसे में ऑपरेशन लोटस 2.0 असफल हो गया।

जानते हैं ऑपरेशन लोटस 3.0 के बारे में

लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई 2019 को सामने आए। बीजेपी ने एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। ऐसे में एक बार फिर ने कर्नाटक में जोर लगाना शुरू किया। इस बार बीजेपी ने कुमारस्वामी के अमेरिका जाते ही अपना काम तेजी से शुरू कर दिया। इसके बाद कुमारस्वामी सरकार के 14 विधायकों ने 7 जुलाई को विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया।

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7 जुलाई को संडे पड़ गया और अगले दिन केआर रमेश खुद छुट्टी पर थे। इसलिए अभी किसी भी विधायक का इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं हुआ है। बता दें कि कर्नाटक में विधानसभा का सत्र 12 तारीख को शुरू होने वाला है। ऐसे में उम्मीद लगायी जा रही है कि 17 तारीख को विधानसभा अध्यक्ष सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं।

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इस वक्त कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन और बीजेपी दोनों के पास 105-105 विधायक हैं। इस स्थिति में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर आए विधानसभा अध्यक्ष केआर दिनेश भी अपना वोट दे सकते हैं। हालांकि, एक और विधायक द्वारा इस्तीफ़ा देने पर कुमारस्वामी सरकार गिर जाएगी और एचडी कुमारस्वामी को अपने पास से हटना पड़ेगा।

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