Bengal Politics: भाजपा के लिए मुश्किल हुआ दुर्ग संभालना, मुकुल रॉय के बाद एक और बड़ा विकेट गिरना तय

Bengal Politics: राजीव बनर्जी की टीएमसी में वापसी की चर्चाओं ने उस समय और तेजी पकड़ ली जब वे शनिवार को टीएमसी नेता कुणाल घोष से मुलाकात करने उनके घर पर पहुंचे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-06-13 10:28 IST

 राजीव बनर्जी, ममता बनर्जी, मुकुल राॅय (डिजाइन फोटो) 

Bengal Politics: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मुखिया ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के हाथों मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए अपना दुर्ग सहेजना मुश्किल साबित हो रहा है। टीएमसी की भारी जीत के बाद ऐसे नेता दल बदलने के लिए तैयार बैठे हैं जिन्होंने चुनाव से ऐन पहले भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय (Mukul Roy) की टीएमसी में वापसी के बाद एक और बड़ा विकेट गिरना तय माना जा रहा है। ममता की कैबिनेट में मंत्री रहे राजीव बनर्जी (Rajib Banerjee) ने टीएमसी छोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था मगर चुनावी हार के बाद अब उन्हें भाजपा में घुटन महसूस होने लगी है। सियासी जानकारों का कहना है कि बनर्जी के हाल के रुख को देखते हुए साफ है कि वे भी टीएमसी में वापसी का रास्ता खोज रहे हैं।

इस कदम के बाद सियासी अटकलें तेज



मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में राजीव बनर्जी ने बस इतना ही कहा कि वह अभी बीजेपी में ही है। उन्होंने अपने सियासी भविष्य को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि वे पहले भी ऐसे कई संकेत दे चुके हैं जिनसे साफ है कि वे पाला बदल सकते हैं।

बनर्जी का रवैया दलबदल का बड़ा संकेत

भाजपा की ओर से बुलाई गई एक अहम बैठक में भी राजीव बनर्जी ने हिस्सा नहीं लिया था। हालांकि इसे लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की ओर से सफाई भी पेश की गई थी मगर जानकारों का कहना है कि बनर्जी का अब भाजपा में दम घुटने लगा है और वे एक बार फिर ममता बनर्जी की छांव में लौटने के लिए बेकरार हैं। उन्होंने पिछले दिनों फेसबुक पोस्ट के जरिए भी हिंसा को लेकर ममता सरकार के खिलाफ कार्रवाई की धमकी पर आपत्ति जताई थी।
उनका कहना था कि भारी बहुमत से जीतने वाली ममता सरकार के खिलाफ कोई भी कार्रवाई लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ होगी। उन्होंने अपनी एक और फेसबुक पोस्ट में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी की नाम लिए बिना आलोचना भी की थी। बनर्जी के रवैये को देखते हुए उनकी टीएमसी में वापसी तय मानी जा रही है। जानकारों का कहना है कि बस ममता बनर्जी के ग्रीन सिग्नल का ही इंतजार किया जा रहा है।

मुकुल के करीबी को लेकर भी अटकलें

मुकुल रॉय की टीएनसी में वापसी के बाद उनके करीबी माने जाने वाले भाजपा विधायक सुनील सिंह को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म है। सुनील सिंह ने इस बार नवापारा विधानसभा सीट से जीत हासिल की है। सुनील सिंह ने 2009 में मुकुल रॉय के साथ ही कांग्रेस का दामन छोड़कर टीएमसी की सदस्यता ली थी।

अब मुकुल रॉय की टीएमसी में वापसी के बाद सुनील सिंह का कहना है कि मुझे खुद नहीं पता कि भविष्य में क्या होने वाला है। हम सारी स्थितियों का मूल्यांकन कर रहे हैं और आने वाले दिनों में देखेंगे कि सियासत क्या करवट लेती है। सुनील सिंह के इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

सांसद और तीन विधायकों के नाम भी चर्चा में

जिन नेताओं के जल्द टीएमसी में शामिल होने की चर्चाएं हैं उनमें मतुआ समुदाय के प्रमुख सदस्य सांसद शांतनु ठाकुर का भी नाम बताया जा रहा है। वे बंगाल में सीएए कानून को लागू कराने के मुद्दे पर बीजेपी के रुख से नाराज बताए जा रहे हैं।
उनके अलावा तीन विधायकों विश्वजीत दास, अशोक कीर्तनिया और सुब्रत ठाकुर के भी टीएमसी में जाने की चर्चाएं हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की ओर से बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में सांसद ठाकुर और ये तीनों विधायक हिस्सा लेने नहीं पहुंचे थे।

ममता को चिट्ठी लिखकर मांगी माफी

टीएमसी के पूर्व विधायक दीपेंदु विश्वास ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर उनसे माफी मांगी है। टीएमसी की ओर से टिकट न दिए जाने के बाद उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। विश्वास के अलावा पूर्व टीएमसी विधायक सोनाली गुहा भी टीएमसी में वापसी करना चाहती हैं।

उन्होंने भी ममता बनर्जी को पत्र लिखकर अपने फैसले पर खेद जताया है और ममता से खुद को पार्टी में वापस लेने का आग्रह किया है। गुहा ने अपने पत्र में यहां तक लिखा है कि जिस तरह एक मछली पानी से बाहर जिंदा नहीं रह सकती, वैसे ही मैं भी दीदी के बिना नहीं रह पाऊंगी।

दीदी का बयान भी बड़ा संकेत

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा की सदस्यता लेने वाले कई नेताओं ने टीएमसी में वापसी की इच्छा जताई है। ममता का साफ तौर पर कहना है कि सिर्फ उन्हीं लोगों के नाम पर विचार किया जाएगा जिनका टीएमसी के प्रति सॉफ्ट रवैया रहा है और जिन्होंने गद्दारी नहीं दिखाई है।
उन्होंने कहा कि टीएमसी में वापसी के संबंध में सोच समझ कर फैसला लिया जाएगा। पैसा और पावर के लिए टीएमसी से गद्दारी करने वाले लोग पार्टी में वापस नहीं आ पाएंगे। सिर्फ ऐसे लोग ही अब पार्टी में लिए जाएंगे जिनका टीएमसी के प्रति नरम रवैया रहा है। ममता के बयान से साफ है कि अभी भाजपा से कई और नेताओं की टीएमसी में घर वापसी होगी।
Tags:    

Similar News