पश्चिम बंगाल में ममता के सामने भाजपा और हुई कमजोर, वोट शेयर में 20 फीसदी की भारी गिरावट
West Bengal: विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा (BJP vote) के वोट प्रतिशत में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
West Bengal: पश्चिम बंगाल (west bengal) में भाजपा (BJP) के मुकाबले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Cm Mamata Banerjee) लगातार मजबूत होती जा रही हैं। विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा (BJP vote) के वोट प्रतिशत में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। हाल में हुए कोलकाता नगर निगम (Kolkata nagar nigam) के चुनावी नतीजे से साफ हो गया है कि टीएमसी (TMC) के मुकाबले भाजपा (BJP) के वोट प्रतिशत में जबर्दस्त गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि भाजपा (BJP latest news) इसके लिए बूथों हुई हिंसा और धांधली को बड़ा कारण बताती है मगर जानकारों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा ममता (BJP Mamata banerjee) को चुनौती देने की स्थिति में नहीं दिख रही है। राज्य के लोगों पर अभी भी ममता का जादू बरकरार है और भाजपा लोगों का समर्थन हासिल करने में नाकामयाब साबित हुई है।
विधानसभा चुनाव के बाद घटा वोट शेयर
पश्चिम बंगाल (West Bengal Vidhansabha election) में छह महीना पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी थी और राज्य की 77 सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनावों में पार्टी 38 फ़ीसदी वोट हासिल करने में सफल रही थी। यदि कोलकाता नगर निगम के आंकड़ों को देखा जाए तो पार्टी को 29 फ़ीसदी वोट हासिल हुए थे। विधानसभा चुनावों के बाद हाल में कोलकाता नगर निगम के चुनावी नतीजों से साफ हो गया है कि पार्टी के वोटर प्रतिशत में जबर्दस्त गिरावट आई है। कोलकाता नगर निगम के चुनावी नतीजे मंगलवार को घोषित किए गए थे और इन चुनावी नतीजों में भाजपा का वोट प्रतिशत 29 से गिरकर 9 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। चुनावी नतीजे से साफ हो गया है कि पिछले 6 महीने के दौरान भाजपा के वोट शेयर में 20 फ़ीसदी की भारी गिरावट आई है।
वामदलों ने भी भाजपा को पीछे छोड़ा
केएमसी के चुनावी नतीजों से एक बात और साबित हुई कि टीएमसी ही नहीं बल्कि वामदलों का वोट प्रतिशत भी भाजपा से ज्यादा था। विधानसभा चुनावों में भले ही भाजपा मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी थी मगर कोलकाता नगर निगम के चुनावी नतीजों में वामदलों को 12 फ़ीसदी वोट मिला जबकि भाजपा सिर्फ 9 फ़ीसदी पर ही अटक गई। 65 वार्डों में वाम दलों के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे। भाजपा तीन वार्डों में जीत हासिल करने में जरूर कामयाब रही मगर सिर्फ 17 वार्डों में भाजपा के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे। इससे साफ हो गया है कि भाजपा टीएमसी से नहीं नहीं बल्कि लेफ्ट प्रत्याशियों से भी वोट के मामले में पिछड़ गई। कोलकाता नगर निगम के साथ ही पिछले दिनों विधानसभा के सात सीटों पर हुए चुनाव के नतीजों से भी साफ हो गया था कि पार्टी की पकड़ कमजोर पड़ी है। पिछले दिनों पांच सीटों पर उपचुनाव और दो सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने इनमें से दो सीटों पर जीत हासिल की थी मगर उपचुनाव में वे सीटें भी ग॔वा दी।
भाजपा ने हिंसा और धांधली को बताया कारण
वैसे पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि पार्टी की पकड़ कमजोर पड़ी है। उनका आरोप है कि कोलकाता नगर निगम के चुनावों के दौरान बूथों पर हिंसा और धांधली के कारण टीएमसी को जीत हासिल हुई है। उनका कहना है कि यदि चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराए गए होते तो चुनावी नतीजे कुछ और ही होते। वामदलों के मजबूत होने पर उन्होंने टीएमसी की ओर से की जा रही मदद को बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा का सामना करने के लिए टीएमसी लेफ्ट दलों की मदद ले रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा से ममता बनर्जी के भीतर घबराहट दिख रही है और इसी कारण उन्होंने लेफ्ट दलों की मदद करके भाजपा को कमजोर बनाने की रणनीति पर अमल शुरू किया है।