तपतपाती धूप में पैदल नीतीश कुमार का घेराव करने पहुंची महिलाएं, लेकिन क्यों?

आज की बड़ी खबर पटना से आ रही है। यहां बड़ी तादाद में एनएनएम अभ्यर्थी महिलाएं एक अणे मार्ग पर स्थित सीएम नीतीश कुमार के आवास के बाहर प्रदर्शन करने के लिए जमा हो गई है।

Update: 2020-09-08 06:22 GMT
उनकी मांग है कि सीएम नीतीश कुमार उन्हें सरकारी नौकरी दें।उधर सीएम आवास से थोड़ी दूर पर इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं को देख पुलिस के भी हाथ पाँव फुल गये।

पटना: आज की बड़ी खबर पटना से आ रही है। यहां बड़ी तादाद में एनएनएम अभ्यर्थी महिलाएं एक अणे मार्ग पर स्थित सीएम नीतीश कुमार के आवास के बाहर प्रदर्शन करने के लिए जमा हो गई है। वे लगातार नारेबाजी कर रही हैं। वह आज यहां नीतीश कुमार का घेराव करने के लिए पहुंची हैं।

उन्होंने बताया कि वे सभी ट्रेनिंग पास कर चुकी हैं। उनकी मांग है कि सीएम नीतीश कुमार उन्हें सरकारी नौकरी दें।

उधर सीएम आवास से थोड़ी दूर पर इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं को देख पुलिस के भी हाथ पाँव फुल गये।

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प्रदर्शन करती महिलाओं की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

भीड़ को रोकने में पुलिस के छूटे पसीने

पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को बीच रास्ते में ही रोक लिया। जिसके बाद वे सड़क पर बैठ गई। एएनएम की ट्रेनिंग कर चुकी महिलाएं लगातार नौकरी की मांग कर रही हैं। महिला अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार ने वैकेंसी निकालने के बाद भी इन लोगों को नौकरी नहीं दी है।

वहीं सीएम आवास के बाहर प्रदर्शन के लिए पहुंची महिलाओं ने आत्मदाह की भी धमकी दी है। इसे देखते हुए मौके पर अफरा-तफरी का माहौल है। पुलिस उन्हें समझाने की लगातार कोशिश कर रही है लेकिन महिलाएं सड़क से उठने का नाम नहीं ले रही हैं। खबर लिखे जाने तक प्रदर्शन जारी रहा।

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वीडियो कांफ्रेसिंग से बात करते सीएम नीतीश कुमार की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को नौकरी

बिहार में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने में लगी हुई हैं। अब चुनाव से पहले सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेल दिया है। नीतीश कुमार ने फैसला लिया है कि अगर अनुसूचित जाति-जनजाति की हत्या होती है तो पीड़ित परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी दी जाए। उन्होंने अधिकारियों को ऐसा प्रावधान बनाने का निर्देश दिया है।

सीएम नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सतर्कता मीटिंग में यह आदेश दिया। सीएम के आदेश के मुताबिक, अगर एससी-एसटी परिवार के किसी सदस्य की हत्या होती है तो उस स्थिति में पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान किया जाए। सीएम नीतीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि तत्काल इसके लिए नियम बनाएं, ताकि पीड़ित परिवार को फायदा दिया जा सके।

बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा होने से यह एलान कर नीतीश कुमार ने एक तीर से कई निशाना साधा है। दरअसल, बिहार की राजनीति जातीय आंकड़ों पर टिकी हुई है। बिहार में दलित वर्ग राज्य की सत्ता की चाबी दिलाने में अहम भूमिका हो सकती है। इसीलिए नीतीश कुमार चुनाव से पहले ऐसे बड़े फैसले ले रहे हैं।

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