Bihar Politics: लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश का बड़ा दांव, जाति गणना के आधार पर 65 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव, 94 लाख गरीबों को आर्थिक मदद भी
Bihar Politics: लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दांव खेला है। एक तरफ विपक्ष देखता रह गया और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना के आधार पर अगले चुनाव के लिए लोकलुभावन प्रस्ताव ला दिया है। नीतीश ने आरक्षण बढ़ाने और सभी गरीबों को मदद समेत कई प्रस्ताव दिए हैं।
Bihar Politics: वैसे तो देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, लेकिन असली चुनावी मोड इस समय बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान में राज्य की नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार दिख रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चला है। जातीय जनगणना के आंकड़ों के आधार पर बिहार विधानसभा में उन्होंने आरक्षण बढ़ाने के साथ-साथ सभी गरीबों को आर्थिक मदद का प्रस्ताव दिया। बुधवार को कार्यवाही शुरू होने के साथ ही यह बात आगे बढ़ेगी और सरकार इसी सत्र के बाकी तीन दिनों के अंदर सारे प्रस्तावों को अधिसूचना के रूप में जारी कर सकती है।
अब अनारक्षित 40 की जगह बचेगा 25 प्रतिशत-
बिहार की जातीय जनगणना के बाद से ही आरक्षण प्रतिशत और बढ़ाए जाने की मांग उठने लगी थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसी बात को आगे बढ़ाते हुए राजनीतिक दांव भी चला है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में जो प्रस्ताव दिया, वह अगर फाइनल हो गया तो बिहार की सरकारी नौकरियों में अनारक्षित वर्ग के लिए केवल 25 प्रतिशत सीटें ही बचेंगी। सरकारी नौकरियों के बाद राज्य सरकार बाकी चीजों में भी यह आरक्षण रोस्टर लागू करेगी।
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...तो कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा-
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति गणना की रिपोर्ट के आधार पर बिहार सरकार निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजातियों की संख्या में वृद्धि के कारण इन्हें मिलने वाले आरक्षण को बढ़ाना होगा। सरकारी सेवाओं में इनके आरक्षण के अनुपात को तो बढ़ाना ही होगा वहीं पिछड़े वर्ग और अतिपिछड़े के लिए भी आरक्षण बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा यह कहना है कि जो 50 प्रतिशत आरक्षण है, उसे हम 65 प्रतिशत कर दें। पहले से अगड़ी जातियों को 10 प्रतिशत है तो इस 65 प्रतिशत के बाद कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा। तब अनारक्षित 25 प्रतिशत ही बचेगा।
विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग-
उन्होंने कहा कि बाकी एक लाख 20 हजार जो मकान बनाने के लिए दिया जाता था, वह भी दिया जाएगा। इन सबके लिए 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसे हम लोग 5 साल के अंदर पूरा करेंगे। अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जागएा तो इसे दो से ढाई साल में ही पूरा कर लिया जाएगा। सीएम नीतीश कुमार ने जीविका दीदियों की संख्या बढ़ाने की भी बात कही। कहा कि अब बिहार में जीविका दीदियों की संख्या डेढ़ करोड़ हो जाएगी। जो जीविका से जुड़ रहे हैं, उन्हें भी राज्य सरकार मदद दे रही है। इसके अलावा सतत जीविकोपार्जन योजना में अब तक हमलोग एक लाख रुपये की मदद देते थे, इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया जाएगा।
वैसे जाति आधारित गणना में वैसी पंचायतों को भी चिह्नित किया जा रहा है जहां साक्षरता दर कम है। बिहार सरकार इन पंचायतों में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए काम करेगी। सीएम नीतीश कुमार ने बिहार को फिर से केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की।
नीतीश कुमार ने बिहार में जाति गणना के आधार पर जो दावं खेला उसे मात देना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। अब नीतीश को इस दांव का लोकसभा चुनाव में कितना फायदा मिलेगा यह तो लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।