नीतीश की 5 चुनौतियां: सत्ता संभालने के बाद होगा इनका सामना, जानिए क्या हैं वो

इस बार मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने के बाद नीतीश कुमार को कई चुनौतियों का सामना करना होगा। नीतीश को मजबूत विपक्ष का सामना करना होगा तो दूसरी ओर सहयोगियों के साथ संतुलन भी बनाना होगा। 

Update:2020-11-13 15:44 IST
नीतीश की 5 चुनौतियां: सत्ता संभालने के बाद होगा इनका सामना, जानिए क्या हैं वो

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections- 2020) के नतीजों में बहुमत मिलने के बाद एनडीए में अब नई सरकार के गठन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसे लेकर आज यानी शुक्रवार को NDA नेताओं की अहम बैठक होने वाली है। ये बैठक नीतीश कुमार के आवास पटना में ही होगी। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम की घोषणा की जा सकती है। गुरुवार को खुद नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि सीएम पद का फैसला एनडीए की बैठक में ही होगा।

नीतीश कुमार रचेंगे नया इतिहास

वहीं मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होने के साथ ही नीतीश कुमार नया इतिहास रचेंगे। दरअसल, इस बार जब नीतिश कुमार मुख्यमंत्री बनेगें तो पिछले दो दशकों में सात बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने में उनका नाम शुमार हो जाएगा। उन्होंने सबसे पहली बार साल 2000 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद राजनीतिक उतार चढ़ाव के चलते वह इस्तीफा देते रहे और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते रहे हैं।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

सत्ता संभालना नहीं होगा आसान

हालांकि राज्य की सत्ता संभालना इस बार नीतीश कुमार के लिए पहले से जैसा आसान नहीं होने वाला है। इस बार सियासी समीकरण के साथ-साथ हालात भी अलग हैं। जिसकी वजह से नीतीश के सामने कई चुनौतियां भी हैं। एक ओर तो उन्हें मजबूत विपक्ष का सामना करना होगा तो वहीं दूसरी ओर अपने सभी सहयोगियों के साथ संतुलन बनाकर रखना होगा। तो चलिए जानते हैं कि इस बार मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां होंगी।

क्या होंगी वो चुनौतियां

सहयोगियों के साथ संतुलन

जाहिर है कि अब तक नीतीश कुमार अपने एक मात्र सहयोगी भाजपा जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ सरकार चलाते रहे, लेकिन इस बार NDA में चार सहयोगी हैं। इसलिए उन्हें अपने सभी चार सहयोगियों के साथ संतुलन बनाकर चलना होगा। बता दें कि इस बार NDA में जेडीयू के सहयोगी के रूप में बीजेपी के अलावा जीतन राम मांझी की हम और मुकेश सहनी की वीआईपी भी जुड़ गए हैं। क्योंकि अगर एनडीए में से कोई भी एक सहयोगी नाराज होता है या फिर इधर-उधर हो जाता है तो सरकार जरूरी बहुत के आंकड़ों से दूर हो जाएगी।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

मंत्रिमंडल में अल्पमत में होगी जेडीयू

वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की सरकार के अंदर इस बार हिस्सेदारी कम हो गई है। अब इन गठबंधन में सबसे बड़ा दल बीजेपी है और जेडीयू दूसरे नंबर पर आ गई है। ऐसे में नीतीश कैबिनेट में BJP और JDU ही नहीं बल्कि हम और वीआईपी पार्टी को भी मंत्री पद देने होगा, क्योंकि उनके जरिए ही बहुमत का आंकड़ा है।

वहीं विधानसभा में किसी भी पार्टी को उसकी हिस्सेदारी के हिसाब से बिहार में कैबिनेट की हिस्सेदारी मिलती रही है। ऐसे में इस बार ई कैबिनेट में बीजेपी के मंत्री अधिक होंगे और जेडीयू के कम। कहा जा रहा है कि बिहार में अधिकतम 36 मंत्री बन सकते हैं। ऐसे में जेडीयू मंत्रिमंडल में अल्पमत में होगी।

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मजबूत विपक्ष का करना होगा सामना

इसके अलावा बिहार की सत्ता संभालने के बाद नीतीश पहली बार मजबूत विपक्ष का सामना करेंगे। बता दें कि इससे पहले तक बिहार में विपक्ष काफी कमजोर स्थिति में रहा है। लेकिन इस बार विपक्ष मजबूत स्थिति में है। नीतीश को घेरने के लिए पहली बार विपक्ष में कम से कम 115 विधायक रहेंगे। ना केवल तेजस्वी बल्कि ओवैसी की पार्टी के मुद्दों का सामना करना भी नीतीश के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

सरकार चलाने की चुनौती

वहीं इस बार कम सीटें हासिल करने की वजह से नीतीश कुमार के लिए सरकार चलाने और खुलकर फैसले लेने की आजादी पहले जैसी नहीं होने वाली है। इसलिए नीतीश कुमार को अपने नियंत्रण में रखकर सरकार चलाने की चुनौतियों का भी सामना करना होगा।

मजबूत करनी होगी सुशासन बाबू की छवि

इसके अलावा नीतीश के सामने अपनी खोई इमेज को वापस पाने की भी चुनौती है। इस बार चुनाव में उनके खिलाफ लोगों की नाराजगी साफ देखने को मिली। चुनाव के दौरान सत्ताविरोधी लहर साफतौर पर देखने को मिली। लोग नीतीश के प्रति अपना गुस्सा जाहिर कर रहे थे। ऐसे में अब नीतीश कुमार के पास सत्ता संभालने के बाद अपनी खोई हुई सुशासन बाबू की छवि को फिर से मजबूत करने की चुनौती होगी।

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