87 साल बाद जुड़ा कनेक्शन: भूकंप ने किया था ये हाल, अब दोबारा शुरू रेल नेटवर्क

इस रेलखंड का जीएम जायजा ले रहे हैं। इसके बाद सीआरएस का निरीक्षण होना है। इंस्पेक्शन के बाद हरी झंडी मिलते ही इस रेलखंड पर यात्रियों के लिए ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा।

Update: 2021-03-13 12:42 GMT
87 साल बाद जुड़ा कनेक्शन: भूकंप ने किया था ये हाल, अब दोबारा शुरू रेल नेटवर्क

समस्तीपुर: शनिवार को सहरसा-सरायगढ़-झंझारपुर-दरभंगा रेलखंड पर करीब 87 साल बाद ट्रेन दौड़ी। इसी के साथ उत्तर बिहार के लोगों के कई दशकों का इंतजार खत्म हो गया है। अब साल 1934 के बाद निर्मली से सरायगढ़ रेल लिंक से जुड़ जाएगा। इसके साथ ही कोसी और मिथिलांचल के बीच सीधी रेल सेवा जल्द बहाल हो जाएगी।

PM मोदी ने देश को समर्पित किया था सेतु

आपको बता दें कि बीते साल सितंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कोसी रेल महासेतु (Kosi Rail Bridge) देश को समर्पित किया था। महासेतू के उद्घाटन के बाद मिथिला और कोसी क्षेत्र के लोगों की उम्मीद जगी कि वे अब रेल सेवा से वो सीधे जुड़ जाएंगे।

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रेलखंड पर चल रहा स्पीड ट्रायल

फिलहाल अभी समस्तीपुर मंडल के आसनपुर कुपहा निर्मली-झंझारपुर रेलखंड पर स्पीड ट्रायल चल रहा है। समस्तीपुर रेलमंडल के मीडिया प्रभारी सरस्वती चंद्र ने बताया कि जीएम ललित चन्द्र त्रिवेदी शनिवार को इस रेलखंड का जायजा ले रहे हैं। इसके बाद सीआरएस का निरीक्षण होना है। उनके द्वारा इंस्पेक्शन किए जाने के बाद हरी झंडी मिलते ही इस रेलखंड पर यात्रियों के लिए ट्रेनों का परिचालन शुरू किया जा सकेगा।

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लोगों की जिंदगी होगी आसान

यहां पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू होने से उत्तर बिहार के पिछड़े और दूरस्थ गांवों की जिंदगी काफी आसान हो जाएगी। इसके जरिए अब वो लोग आसानी से यात्रा कर सकेंगे। कोसी नदी पर नवनिर्मित इस रेल महासेतु के शुरू होते ही निर्मली से सरायगढ़ के बीच की 298 किलोमीटर की दूरी घटकर महज 22 किलोमीटर रह जाएगी।

अभी लोगों को निर्मली से सरायगढ़ तक का सफर करने के लिए दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है, लेकिन जल्द ही ये दूरी कम होने वाली है।

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