नीतीश ने अपने करीबी को बनवाया JDU अध्यक्ष, RCP सिंह को मिली बड़ी जिम्मेदारी
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार की जगह आरसीपी सिंह को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता है।
नई दिल्ली। लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री पद के साथ ही जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले नीतीश कुमार अब सिर्फ सीएम पद की ही जिम्मेदारी संभालेंगे। जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार की जगह आरसीपी सिंह को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता है और नीतीश कुमार अपने करीबी सांसद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाने में कामयाब हुए हैं। उन्होंने खुद आरसीपी सिंह को पार्टी की कमान सौंपने का प्रस्ताव पेश किया जिसे जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
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आईएएस अफसर रह चुके हैं आरसीपी सिंह
यूपी कैडर के आईएएस अफसर रह चुके आरसीपी सिंह ने नीतीश का भरोसा जीतकर सियासत की दुनिया में कदम रखा था। वे नीतीश के गृह जिले नालंदा के ही रहने वाले हैं और नीतीश सरकार में प्रमुख सचिव के पद पर रह चुके हैं।
आईएएस अफसर के रूप में उन्होंने नीतीश के कार्यकाल के दौरान कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाली थी। यही कारण है कि नौकरशाह के रूप में भी आरसीपी सिंह को नीतीश का काफी भरोसेमंद अफसर माना जाता था और बाद में नीतीश कुमार ही उन्हें सियासत की दुनिया में लेकर आए।
नीतीश कुमार के जिले नालंदा से है ताल्लुक
नीतीश कुमार की पैरवी के चलते ही आरसीपी सिंह को जदयू से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया और वे राज्यसभा सांसद बनने में कामयाब हुए। 62 वर्षीय आरसीपी सिंह का भी ताल्लुक कुर्मी जाति से है और वे नालंदा के मुस्तफापुर के रहने वाले हैं। माना जा रहा है कि नीतीश ने काफी सोच समझकर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनका चुनाव किया है।
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दोहरी जिम्मेदारी निभाना हो रहा था कठिन
आरसीपी सिंह के जदयू का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का काम संभालना काफी कठिन साबित हो रहा था। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों पदों की जिम्मेदारी उनके लिए कठिन साबित हो रही थी और इसी कारण वे एक पद से मुक्त होना चाहते थे।
इसी कारण राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने आरसीपी सिंह को नया अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है जिसे कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने बहुमत से पारित कर दिया।
मौजूदा सियासी हालात में नीतीश का बड़ा कदम
बिहार की मौजूदा सियासी स्थितियों को देखते हुए नीतीश कुमार के इस कदम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हाल में हुए राज्य विधानसभा के चुनाव में जदयू का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं था और पार्टी ने 115 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 43 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की।
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दूसरी ओर भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़कर 73 सीटों पर विजय हासिल की है। हालांकि भाजपा ने गठबंधन का धर्म निभाते हुए अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार की ताजपोशी जरूर करवा दी है।
नीतीश ने एक तीर से साधे दो निशाने
सियासी जानकारों का कहना है कि मौजूदा सियासी स्थितियों में नीतीश कुमार के लिए पार्टी पर पकड़ मजबूत बनाए रखना भी जरूरी है। आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बनवाकर नीतीश कुमार ने एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है।
वे अपने करीबी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाने में कामयाब हुए हैं और इसके साथ ही उन्हें सरकार और संगठन की दोहरी जिम्मेदारी से भी मुक्ति मिल गई है। आरसीपी सिंह के जरिए पार्टी पर भविष्य में भी उनकी पकड़ मजबूत बनी रहेगी क्योंकि सिंह को उनका काफी करीबी माना जाता है। नीतीश कुमार के हाल के फैसलों में भी आरसीपी सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका बनाई जाती है।
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बिहार में नीतीश पर हमलावर है विपक्ष
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही मुख्य विपक्षी दल राजद के साथ ही लोजपा ने नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अपना रखा है। कुछ भाजपा नेता भी बीच-बीच में बयान देकर नीतीश कुमार की मुसीबतें बढ़ाने में जुटे हैं।
राजद और लोजपा की ओर से लगातार बयान दिया जा रहा है कि नीतीश कुमार इस बार कार्यकाल नहीं पूरा कर पाएंगे और बिहार को मध्यावधि चुनाव से जूझना होगा। ऐसे में नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के जरिए संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने की कोशिश करेंगे।
सियासी जानकारों के मुताबिक आरसीपी सिंह नीतीश कुमार की रजामंदी से ही किसी भी फैसले को पार्टी में लागू करेंगे और इस तरह नीतीश कुमार के लिए आने वाले दिनों में पार्टी में किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं पैदा होगा।
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