बिहार में सियासी हलचल: CM से मिले उपेंद्र कुशवाहा, हो सकता है बड़ा उलटफेर
बिहार विधानसभा में पहले सत्र के अंतिम दिन (27 नवंबर) नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व एनडीए के विधायकों पर की गई अमर्यादित टिप्पणियों के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आक्रोशित हो उठे थे और पहली बार सदन में उन्हें काफी तल्ख अंदाज में देखा गया।
बिहार: बिहार में अभी नई-नई सरकार बनी है, ऐसे में अब बिहार की सियासत में फिर कुछ बड़ा उलटफेर होने वाला है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुपचुप मुलाकात की ख़बरों से संकेत मिले हैं कि कुछ बड़ा फेर बदल होने वाला है। बताया जा रहा है कि बीते 2 दिसंबर को ये मुलाकात सीएम हाऊस में हुई है। मुलाक़ात के पहले नीतीश कुमार ने फ़ोन कर समर्थन में बोलने के लिए धन्यवाद दिया था।'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आक्रोशित हो उठे थे
बता दें कि 17वीं बिहार विधानसभा में पहले सत्र के अंतिम दिन (27 नवंबर) नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व एनडीए के विधायकों पर की गई अमर्यादित टिप्पणियों के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आक्रोशित हो उठे थे और पहली बार सदन में उन्हें काफी तल्ख अंदाज में देखा गया। उन्होंने तेजस्वी यादव के आचरण को अशोभनीय कहा था। इसी बात को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी के व्यवहार की आलोचना करते हुए सीएम नीतीश कुमार के साथ खड़े रहने का ऐलान किया था।
सीएम नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा से मुलाक़ात का आग्रह किया
इसी घटनाक्रम के बाद सीएम नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा से मुलाक़ात का आग्रह किया जिसके बाद उन्होंने सीएम नीतीश से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। राजनीतिक जानकार बता रहे हैं कि कुशवाहा और नीतीश कुमार की मुलाकात का परिणाम भी सामने आएगा और बिहार में जल्द ही नया राजनीतिक समीकरण भी देखने को मिल सकता है।
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पिछड़े और मुस्लिम वोटरों के बीच पैठ जमाने की कोशिश में जदयू
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि विधान परिषद की मनोनयन कोटे की दर्जन भर सीटों को भरे जाने को लेकर भी देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि दरअसल हार की समीक्षा कर रहा जदयू कुछ दिग्गज नेताओं को पार्टी में लाकर पिछड़े और मुस्लिम वोटरों के बीच पैठ जमाने की कोशिश में है। कहा जा रहा है कि सीएम नीतीश, कुशवाहा को साथ लाकर फिर से लव-कुश समीकरण (कुर्मी-कुशवाहा जातियों को लव-कुश कहा जाता है) को ताकत देना चाहते हैं।
विधान परिषद की 18 सीटें खाली हैं
दरअसल, राज्य में लोकसभा, विधानसभा व राज्यसभा की सभी सीटें भर गयी हैं। सिर्फ विधान परिषद की 18 सीटें खाली हैं, जिनमें 12 मनोनयन कोटे की और दो विधानसभा कोटे की सीटें हैं। चार स्थानीय प्राधिकार कोटे की सीटें हैं, जिनके लिए अगले साल चुनाव होगा। जदयू ने इस चुनाव में 15 कुशवाहा उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें पांच की जीत हुई।
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नये राजनीतिक समीकरण बनने की संभावना से इन्कार
इसी परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री से उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात को जोड़ कर देखा जा रहा है, जबकि उपेंद्र कुशवाहा फिलहाल किसी नये राजनीतिक समीकरण बनने की संभावना से इन्कार कर रहे हैं। इसके बावजूद चुनाव के दौरान बसपा और एआइएमआइएम के साथ गठबंधन कर सुर्खियों में आये रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर चर्चा में हैं।
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