Desh Ka Vibhajan: देश विभाजन की बरसी 14 अगस्त, जिसे कोई नहीं करना चाहता याद

Desh Ke Vibhajan Ki Barsi: यहां काबिले गौर ये तथ्य भी है कि भारत का सिर्फ एक विभाजन नहीं हुआ। भारत भूमि के कई टुकड़े हुए। अफसोस की हमें सिर्फ एक याद है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shreya
Update:2021-08-13 10:02 IST

देश के विभाजन के समय की तस्वीर (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Desh Ke Vibhajan Ki Barsi: भारत के स्वतंत्रता संग्राम (Indian Independence Movement) की चरम परिणति थी आजादी। देश की स्वतंत्रता लेकिन ये वो आजादी नहीं थी जिसके लिए लाखों देशभक्त वीरों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था शायद यही वजह थी कि 14 अगस्त की उस मनहूस घड़ी को कोई याद नहीं रखना चाहता जब देश के टुकड़े करके 14 अगस्त को पाकिस्तान जिसे बाद में जम्हूरिया ए पाकिस्तान (Jamhuriya-e-Pakistan) नाम दिया गया बन गया।

यह देश के ही वो लोग थे जो गुलामी से निजाद पाने के लिए पूरे देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े लेकिन जब मंजिल करीब आई तो आपसी हितों का टकराव छिड़ गया वर्चस्व की लड़ाई छिड़ गए और जाते जाते अंग्रेज देश को दो हिस्सों में बांटने की कूटनीति में कामयाब हो गए और हिन्दू मुसलमानों के बीच नफरत का एक ऐसा बीज बो गए जिसके जख्म सालों साल बीतने के बाद भी नहीं भर सके हैं। जबकि इस विभाजन में लाखों लोगों की मौत हो गई और एक बड़ी आबादी घर से बेघर हो कर उजड़ गई। 

देश से पलायन करते लोग (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

भारत भूमि के हुए थे कई टुकड़े 

यहां काबिले गौर ये तथ्य भी है कि भारत का सिर्फ एक विभाजन नहीं हुआ। भारत भूमि के कई टुकड़े हुए। अफसोस की हमें सिर्फ एक याद है। हमें ये तो याद है कि भारत का एक हिस्सा अलग कर 14 अगस्त की रात पाकिस्तान का उदय हो गया लेकिन सीलोन को हम भूल गए जिसे ब्रिटिश कालीन भारत की सीमाओं से ही अलग किया गया। बर्मा को हम भूल गए जिसे भारत से ही अलग किया गया। बर्मा को अब हम म्यांमार के नाम से जानते हैं।

यह अंग्रेजों की कूटनीति की बहुत बड़ी कामयाबी रही। इन दो देशों को अलग राष्ट्र के रूप में अंग्रेजों ने भारत विभाजन में शामिल नहीं किया और हमने भी इस पर कभी गौर नहीं किया। हालांकि नेपाल इससे अलग है वह 1768 को ही खुद को आजाद घोषित कर चुका था इसलिए उसे इन घटनाक्रमों से नहीं जोड़ा जा सकता। इसी तरह भारत का पड़ोसी मुल्क भूटान दुनिया के उन गिने चुने देशों में है जो इतिहास के पन्नों में ज्यादातर आजाद रहे। भूटान पर किसी का शासन नहीं रहा।

एक वक्त वह कुछ समय के लिए तिब्बत के आधीन जरूर रहा लेकिन 1907 से वांगचुक वंश के देश की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद वह आजाद रहा। लेकिन भारत के पड़ोसी मुल्क म्यांमार की आजादी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौजें म्यांमार के रास्ते ही भारत आई थीं। इसकी आजादी 1948 में मिली। इसी तरह म्यांमार की आजादी के एक माह बाद श्रीलंका को आजादी मिली।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

18 जुलाई 1947 को मिली थी विभाजन को मंजूरी

लेकिन भारत के बीच से दो टुकड़े होने से करोड़ों लोग प्रभावित हुए। हालांकि देश के विभाजन को मंजूरी 18 जुलाई 1947 को ही मिल गई थी लेकिन अमल 14 अगस्त 1947 को हुआ। विभाजन के दौरान बीस लाख लोग मारे गए। दो करोड़ से अधिक लोग शरणार्थी बने। जो कि विश्व का सबसे बड़ा पलायन था। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गए और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। इसलिए विभाजन की जब भी बात चले फैज की ये लाइनें याद आती हैं ये दाग उजाला, ये शब गजीदा सहर, वो इंतजार था जिसका, ये वो सहर तो नहीं। 

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