Defence Land Reforms: अंग्रेजों की बनाई रक्षा भूमि नीति में 250 साल बाद होगा बदलाव, जानिए MODI सरकार का नया नियम

केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 250 वर्षों से चली आ रही अंग्रेजों के समय की रक्षा भूमि नीति में बदलाव करते हुए नये नियमों को मंजूरी दी है।

Newstrack :  Network
Published By :  Satyabha
Update:2021-07-19 20:10 IST

रक्षा भूमि नीति में बदलाव करेगी मोदी सरकार फोटो- सोशल मीडिया

Defence Land Reforms: मोदी सरकार ने रक्षा भूमि सुधार (Defence Land Reforms) की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए नए नियमों को मंजूरी दी है। अब सशस्त्र बलों से सार्वजनिक परियोजनाओं या अन्य गैर-सैन्य गतिविधियों के लिए खरीदी गई जमीन के बदले उनके लिए समान मूल्य के बुनियादी ढांचे (EVI) के विकास की अनुमति दी जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंग्रेजों द्वारा 1765 में बंगाल के बैरकपुर में पहली छावनी स्थापित की गई थी। ब्रिटिश काल में भारत में सेना के अलावा किसी भी उद्देश्य के लिए रक्षा भूमि का इस्तेमाल करने की नीति प्रतिबंधित थी।

1765 के बाद अप्रैल 1801 में ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल ने आदेश दिया कि 'छावनी में स्थित कोई भी बंगला और क्वार्टर जो कि जो सेना से संबंधित नहीं है, को किसी भी व्यक्ति को बेचने या कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।' साल 2021 में मोदी सरकार रक्षा भूमि नीति (Defence Land Policy) में सुधारों पर विचार कर रही है। साथ ही सरकार एक छावनी विधेयक 2020 को अंतिम रूप देने की दिशा में भी काम कर रही है। जिसका उद्देश्य छावनी क्षेत्रों में विकास पर जोर देना है।

अधिकारियों ने दी जानकारी

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, प्रमुख सार्वजनिक परियोजनाओं जैसे मेट्रो, सड़क, रेलवे और फ्लाईओवर के निर्माण के लिए जरूरत के हिसाब से रक्षा भूमि तभी दी जाएगी जब उतनी ही कीमत की जमीन या फिर उसके बाजार मूल्य का भुगतान किया जाएगा। नए नियमों के मुताबिक, 8 ईवीआई परियोजनाओं की पहचान कर ली गई है। इन्हें हासिल करने वाला पक्ष संबंधित सेवा के समन्वय से बुनियादी ढांचा प्रदान कर सकता है। नए नियमों के मुताबिक, छावनी क्षेत्रों के तहत आने वाली जमीन का मूल्य स्थानीय सैन्य प्राधिकरण की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा निर्धारित किया जाएगा। छावनी के बाहर की भूमि के लिए दर डीएम तय करेंगे। वित्त मंत्रालय ने प्रस्तावित गैर-व्यपगत आधुनिकीकरण कोष के मद्देनजर राजस्व हासिल करने के लिए रक्षा भूमि के मुद्रीकरण को एकमात्र तरीका माना है।

अधिकारियों ने कहा कि रक्षा आधुनिकीकरण कोष की स्थापना को लेकर एक ड्राफ्ट कैबिनेट नोट पर वर्तमान में अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श हो रहा है। अब जल्द ही एक अंतिम निर्णय की उम्मीद है, जिसके बाद इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

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