National Youth Day 2022: जानें स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस पर ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस

Written By :  Anshul Thakur
Update:2022-01-12 11:37 IST

 (Photo - Google)

National Youth Day 2022: राष्ट्रीय युवा दिवस प्रतिवर्ष 12 जनवरी को मनाया जाता है। आज का यह दिन उन युवाओं को समर्पित है जो देश का भविष्य हैं और भारत को स्वस्थ और बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी को मनाए जाने की एक खास वजह है। इस दिन स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है, कि आखिर क्यों स्वामी विवेकानंद की जयंती पर ही राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। आज के इस लेख में हम भारतीय युवा दिवस और स्वामी विवेकानंद के जीवन के कुछ ऐसे ही तथ्यों के बारे में आपको बताएंगे।

स्वामी विवेकानन्द का परिचय

12 जनवरी सन 1863 को कोलकाता में जन्में स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। स्वामी विवेकानंद को आध्यात्मिक गुरु के रूप में विश्व भर में जाना जाता है। वह पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छे थे, इसके बावजूद उनकी रूचि अध्यात्म में ज्यादा थी। इसी के चलते जब वे 25 साल के हुए तब उन्होंने अपने गुरु से प्रभावित होकर सांसारिक मोह माया का त्याग कर दिया और संयासी बन गए। स्वामी विवेकानंद को 25 साल की उम्र में ही वेद, पुराण, कुरान, बाइबल, तनख, धम्मपद, गुरु ग्रंथ साहिब, पूंजीवाद, अर्थशास्त्र, साहित्य, राजनीति शास्त्र, संगीत और दर्शन आदि, सभी तरह की विचारधाराओं का ज्ञान था। साल 1881 में स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस की शरण में गए। यहां उन्होंने संन्यास लिया जिसके बाद उनका नाम नरेंद्र दत्त से बदलकर स्वामी विवेकानंद हुआ।

स्वामी विवेकानंद के बारे में कुछ रोचक बातें

BA की पढ़ाई करने के बाद जब विवेकानंद जी को रोजगार नहीं मिला तो उनका भगवान पर से विश्वास उठने लगा। वह अक्सर लोगों से पूछते थे कि क्या उन्होंने कभी ईश्वर को देखा है, शायद वह हैं ही नहीं। इस बात पर स्वामी जी के गुरु रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा था कि, 'हां मुझे ईश्वर दिखाई देते हैं। उतने ही स्पष्ट जितने स्पष्ट मुझे इस वक्त तुम दिखाई दे रहे हो। लेकिन यह बात भी सच है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं।'

स्वामी विवेकानंद द्वारा साल 1897 में रामकृष्ण मिशन की और साल 1898 में गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना हुई। स्वामी जी के इन मठों में महिलाओं का प्रवेश निषेध था। यही नहीं स्वामी विवेकानंद की माता जी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं थी। एक बार स्वामी जी का शिष्य उनकी माताजी को मठ के अंदर ले आया था। उस वक्त स्वामी जी ने उस पर क्रोधित होते हुए कहा कि,' मैंने जो नियमों को बनाया है उन नियमों को कोई नहीं तोड़ सकता, उन्हें मेरे लिए भी नहीं तोड़ा जाएगा।'

जानकारों के अनुसार स्वामी जी जब सन्यासी बने तो सबसे पहले उनका नाम नरेंद्र दत्त से बदलकर स्वामी विविदिशानंद रखा गया था, लेकिन साल 1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म परिषद में भारत का प्रतिनिधित्व कर जब स्वामी जी वापस आए, तब अजीत सिंह ने खेतड़ी गढ़ के दरबार में अभिनंदन पत्र दिया। अभिनंदन पत्र में अजीत सिंह ने स्वामी जी का नाम विविदिशानंद की जगह विवेकानंद लिखा, तभी से स्वामी जी विवेकानंद के नाम से जाने गए। खेतड़ी गढ़ दरबार में बिना साफा पहने नहीं जा सकते थे इसलिए स्वामी जी ने दरबार में प्रवेश करने से पहले साफा पहना। उसके बाद से उसी तरह का साफा स्वामी जी अपने अंतिम समय तक पहने रहते थे।

साल 1886 में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के निधन के बाद स्वामी जी ने गेरुआ वस्त्र धारण किया। जिसके बाद से उन्होंने पैदल ही पूरे भारत की यात्रा की। इस भ्रमण में उन्होंने देश में फैली गरीबी, सामाजिक बुराई और निर्धनता को देखा, यह सब देख स्वामी जी बहुत दुखी हुए और उन्होंने देश के लिए कुछ करने की ठानी। भारत भ्रमण के दौरान ही उन्हें शिकागो में होने वाले धर्म सम्मेलन आयोजन के बारे में पता चला। जहां उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया।

साल 1893 में शिकागो के विश्व धर्म परिषद सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे। वहां पहुंच कर उन्होंने पाया कि यूरोप और अमेरिका के लोग भारत वासियों को हीन दृष्टि से देखते हैं। लेकिन जब स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण दिया, तब उनके भाषण पर आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में पूरे 2 मिनट तक तालियां बजाई गईं। यह भारत के लिए सम्मान पर गर्व की बात थी।

स्वामी विवेकानंद जयंती पर ही क्यों मनाया जाता राष्ट्रीय युवा दिवस?

स्वामी विवेकानंद आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्हें ऑलराउंडर कहा जाता था। युवावस्था में ही उन्हें कला धर्म दर्शन सामाजिक विज्ञान साहित्य इतिहास का पूरा ज्ञान था। इसके साथ ही वे शिक्षा और खेल-कूद में भी बहुत अच्छे थे। उनकी प्रेरणादायक वचन और विचारों से आज भी युवा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। इसी के चलते 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस पर भारतीय युवा दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की शुरुआत साल 1984 में हुई थी। उस समय तत्कालीन भारत सरकार ने कहा था कि, 'स्वामी विवेकानंद जी भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं' और यह बात सच साबित हुई।

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