Lakhimpur Kheri Case: आशीष मिश्रा को SC से बड़ा झटका, एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने का कोर्ट ने दिया आदेश

Lakhimpur Case : लखीमपुर में किसानों को जीप से कुचले जाने के मामले आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की हाई कोर्ट से मिली जमानत सुप्रीम कोर्ट ने को रद्द कर दिया है।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Report :  Rajat Verma
Update:2022-04-18 11:21 IST

आशीष मिश्रा (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया) 

Lakhimpur Kheri Case : लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में कथित आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र 'टेनी' (Ashish Mishra Teni) के बेटे आशीष मिश्र (Ashish Mishra) को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट (SC) ने आशीष मिश्र को समर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय भी दिया गया है।

किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का है आरोप 

आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी जिले में हुई हिंसा और बवाल के चलते 4 किसानों सहित कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर कथित तौर से किसानों पर गाड़ी चढ़ाने और उन्हें मारने का आरोप लगा था। मामले की कार्यवाही करते हुए आशीष मिश्रा को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। बीती 10 फरवरी को करीब 4 महीने जेल में गुजारने के बाद आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव और अन्य पक्षों पर सुनवाई के बाद जमानत देते हुए रिहा कर दिया था।

हालांकि, इसके विपरीत लखीमपुर खीरी हिंसा और हत्यकांड मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जांच के लिए गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट जमा की थी जिसमें सीधे तौर पर आशीष मिश्र पर आरोप साबित करते हुए कहा गया था कि उन्होनें अपनी तेज रफ्तार गाड़ी से भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 4 किसानों को रौंदा जिसके चलते उनकी मौत हो गई।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने किया नामंजूर

आशीष मिश्र को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत के फैसले को चुनौती देते हुए पीड़ित परिवार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी तथा इस याचिका के तहत आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से मिली जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसके तहत आज सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को नामंजूर करते हुए दोषी आशीष मिश्र की जमानत रद्द कर दी है। पीड़ित परिवार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से मामले में न्याय को लेकर गुहार लगाई थी।

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