लखनऊ: प्रदेश के बेसिक शिक्षा अधिकारियों के कार्यालय के बाहर आजकल लंबी लाइन देखने को मिलती है। पूछने पर पता चलता है कि भीषण धूप में धक्के खा रहे लाइन में लगे लोग अभिभावक हैं। ये अपने नौनिहालों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत नामी स्कूलों में गरीब कोटे से पढ़ाने की आस लिए सुबह से अधिकारी के आने का इंतजार कर रहे हैं।
राजधानी में तो शिक्षा के अधिकार अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं। अव्वल तो ऑनलाइन उपलब्ध स्कूलों की सूची में स्कूलों का पता ही पूर्णतः स्पष्ट नहीं है। उस पर से लिस्ट में नाम आने के बाद आर्डर फॉर्म लेकर उस पर अधिकारी से आर्डर करवाने के लिए अभिभावकों को हफ्तों चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। newstrack.com और अपना भारत की टीम ने इस मामले की पड़ताल की।
केस 1: नियम 01 किलोमीटर का, स्कूल आवंटन 10 किलोमीटर दूर
राजधानी के दुबग्गा निवासी शबाना परवीन ने बताया, कि उन्होंने अपनी बेटी सिदरा के नर्सरी में दाखिले के लिए शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन किया था। इसमें उन्होंने वरीयता क्रम में 1 से 2 किलोमीटर दायरे के दुबग्गा स्थित 5 स्कूल- बेबी मार्टिन स्कूल, सेंटर क्लेयर कांवेंट स्कूल, स्टेफॉर्ड, सेंटर जोसेफ इंटरव्यू कॉलेज और सिटी इंटरनेशनल स्कूल को प्राथमिकता के आधार पर आवेदन फार्म में अंकित किया। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने इनकी बेटी के लिए दुबग्गा से 10 किलोमीटर दूर खदरा स्थित नेशनल पब्लिक स्कूल को मुफीद समझते हुए आवंटित कर दिया। अब शबाना पिछले 1 महीने से इसकी शिकायत लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय आ रही हैं। लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
केस 2: अभिभावक को बता दिया स्कूल का गलत पता
राजधानी के आजाद नगर आलमबाग निवासी मो. मुशर्रफ ने अपनी बेटी नशरा के कक्षा 1 में दाखिले के लिए आवेदन किया था। इसमें उन्होंने अपने निवास स्थल के 1 किलोमीटर के दायरे के दो स्कूलों- पायनियर इंटरव्यू कालेज और न्यू पब्लिक इंटरव्यू कालेज को वरीयता क्रम के अनुसार अंकित किया था। विभाग ने लॉटरी के माध्यम से बच्ची को स्कूल आवंटन किया। इसमें विभाग द्वारा उसे आलमबाग के स्नेहनगर क्षेत्र के डी आर एस एकेडमी को आवंटित किया गया। जबकि नशरा के पिता मुशर्रफ और मां अफसाना का कहना है कि यह स्कूल स्नेहनगर में नहीं है।इसके अलावा आर्डर फॉर्म पर जो पता लिखा हुआ है, वह भी अधूरा है। ऐसे में अगर इसमें संशोधन नहीं हुआ तो बच्ची का साल बर्बाद हो जाएगा।
केस 3: स्कूल बोला- हम 1 किमी के दायरे से बाहर
राजधानी के बालागंज के रहने वाले मंजेश चौरसिया ने बताया कि उनके बच्चे आदित्य चौरसिया का प्री प्राइमरी में शिक्षा के अधिकार के जरिए एडमिशन होना था।इसके लिए हमने वरीयता क्रम के हिसाब से विभाग की वेबसाइट देखकर लखनऊ पब्लिक स्कूल आम्रपाली योजना, हरदोई रोड को वरीयता क्रम में प्रथम स्थान पर अंकित किया था। लॉटरी माध्यम से यही स्कूल आवंटित भी हो गया।इसके बाद विभाग से ऑर्डर फॉर्म लेकर जब मंजेश स्कूल पहुंचे तो वहां मौजूद स्कूल प्रशासन के लोगों ने उन्हें बताया कि उनका आवंटन गलत है। उनके निवास स्थल से स्कूल की दूरी 1 किलोमीटर से अधिक होने के कारण एडमिशन नहीं हो पाएगा। इससे परेशान होकर जब मंजेश वापस विभाग पहुंचे तो वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि स्कूल वाले गलत बयानी कर रहे हैं, स्कूल 1 किलोमीटर में ही है। बावजूद इसके महीने भर से मंजेश बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
केस 4: नर्सरी के छात्र को सुनाया 15 किलोमीटर दूर स्कूल जाने का फरमान
राजधानी के मदेयगंज सीतापुर रोड निवासी मो: लईक खान ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे मो. जैद के नर्सरी में दाखिले के लिए आवेदन किया था। जिसमें वरीयता क्रम में विजडम वे पब्लिक स्कूल मदेयगंज, एडवांस पब्लिक स्कूल और मदेयगंज के ही अवध पब्लिक स्कूल का नाम अंकित किया था।लेकिन उन्हें घर से 15 किलोमीटर दूर विजडम वे पब्लिक स्कूल की चिनहट शाखा आवंटित कर दी गई। जब वह वहां पहुंचे तो स्कूल प्रशासन ने लईक को बताया कि यह स्कूल उनके घर से 15 किलोमीटर दूर है, यहां प्रवेश असंभव है। इसके बाद लईक जब दोबारा विभाग पहुंचे तो विभागीय अफसरों ने उन्हें वहीं आर्डर फार्म लेकर इसी स्कूल की मदेयगंज शाखा में संपर्क करने को कहा। जब लईक स्कूल की मदेयगंज शाखा में पहुंचे तो वहां कार्यालय अधिकारी ने बताया कि ऑर्डर फॉर्म में इस शाखा को संबोधित नहीं किया गया है और न ही लिस्ट में नाम भेजा गया है। ऐसे में एडमिशन संभव नहीं होगा। अब लईक बेसिक शिक्षा अधिकारियों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं लेकिन उनकी समस्या सुलझ नहीं पा रही है।
अभिभावक बोले- आर्डर फार्म के लिए टहलाते हैं बाबू
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत नामचीन निजी स्कूलों में गरीबों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाती हैं। इन सीटों पर बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा लॉटरी निकालकर बच्चे को स्कूल का आवंटन किया जाता है। लिस्ट में नाम आने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सर्व शिक्षा अभियान पटल से एक ऑर्डर फॉर्म दिया जाता है। इस पर स्कूल का नाम, शाखा, बच्चे का नाम, लिस्ट क्रमांक संख्या और छात्र की पंजीकरण संख्या का उल्लेख किया जाता है। इसे लेकर जब अभिभावक स्कूल में जमा करते हैं, तभी स्कूल वाले एडमिशन की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
अपने नौनिहालों का एडमिशन कराने आए इंदिरानगर निवासी सौरभ रावत ने बताया कि वह करीब एक हफ्ते से आर्डर फॉर्म के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय आ रहे हैं, लेकिन बाबू हर रोज उन्हें ऑर्डर फॉर्म खत्म होने की बात कह कर चलता कर देते हैं। ज्यादा बहस करो तो कहते हैं कि बाहर बिक रहा है, वहां से खरीद लो। सूत्रों की मानें तो जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बाहर एक निजी दुकान पर विभाग के एक बाबू की सेटिंग है, जो आर्डर फॉर्म की बिक्री करवाता है। इसके चलते ही नि: शुल्क मिलने वाला आर्डर फॉर्म गरीब अभिभावकों को सुलभ नहीं हो पा रहा है।
जिम्मेदार रहते हैं कुर्सी से नदारद
दुबग्गा निवासी शबाना परवीन ने बताया कि हर रोज अपनी समस्या के निदान और बच्चे के भविष्य को सुनहरा बनाने का सपना लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रही हैं। लेकिन सर्व शिक्षा अभियान जैसे जिम्मेदार पटल के प्रभारी ही कुर्सी से नदारद रहते हैं।जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भी अक्सर कार्यालय में नहीं रहते, जब उनके बारे में पूछो तो बाबू कहते हैं कि बीएसए साहब बड़े साहब की मीटिंग में गए हैं। ऐसे में गरीब परिवारों के बचचों का भविष्य अंधकारमय प्रतीत हो रहा है।
अधिकारी बोले- समस्याओं का हो रहा निदान
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि लिपकीय त्रुटिवश या तकनीकी कारणों से कुछ अभिभावकों को हो रही समस्याओं के बारे में जानकारी मिली है। इन समस्याओं का निदान करवाया जा रहा है। सब कुछ ऑनलाइन और नियमों से हो रहा है।जो भी स्कूल शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेश लेने में आनाकानी करेंगे, उनपर हम सख्त कार्यवाही करेंगे।आर्डर फॉर्म न मिलने की बात गलत है। पटल प्रभारी को पर्याप्त निर्देश हैं कि ऑर्डर फॉर्म खत्म होने की दशा में इसकी तत्काल फोटोकॉपी करवाई जाए।
एडी बेसिक षष्टम मंडल महेंद्र सिंह राणा ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान की सही तरीके से मॉनिटरिंग की जा रही है। किसी भी स्थिति में इसमें हीला हवाली करने वालो को बख्शा नहीं जाएगा।