गुरु का वैलेंटाइन डे: ऑटो वाले का गणित प्‍यार, 540 स्टूडेंट्स को बना दिया इंजीनियर

वैलेंटाइन डे आने वाला है। ऐसे में एक ऑटो रिक्शा वाले के अनोखे प्यार के बारे में बताने जा रहे है जिसके गणित के प्यार ने सिर्फ 1 रूपया में 540 स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना दिया।

Update: 2021-02-07 14:37 GMT

“वैलेंटाइन डे” आने वाला है , आपको एक ऐसे ऑटो रिक्शा वाले के अनोखे प्यार के बारे में बताने जा रहे है जिसके गणित के प्यार ने सिर्फ 1 रूपया में बना दिया 540 स्टूडेंट्स को इंजीनियर। बिहार राज्य के रोहतास जिले में रहने वाले शिक्षक आरके श्रीवास्तव न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग स्टुडेंट्स के बीच एक चर्चित नाम हैं। इनका ‘1 रूपया गुरु दक्षिणा’ प्रोग्राम विश्व प्रसिद्ध है। इसके तहत वे आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को 1 रूपया गुरु दक्षिणा लेकर इंजीनियर बना रहे। आरके श्रीवास्तव की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उनके शैक्षणिक कार्यशैली के तहत आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को 1 रूपया में इंजीनियर बनाकर राष्ट्र निर्माण मे योगदान के लिये प्रशंसा कर चुके है।

1 रूपया गुरु दक्षिणा वाले आरके श्रीवास्तव

आपको वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर बिहारी गुरु आरके श्रीवास्तव के गणित के प्रति प्रेम के बारे में बताते है। कभी गरीबी के कारण ऑटो रिक्शा से होने वाले इनकम से परिवार का भरण पोषण होता था, अब सैकङो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई प्रवेश परीक्षा में सफलता दिलाकर उनके सपनो को पंख लगा चुके है। 450 क्लास से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घंटे बिना रुके स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नहीं। पूरे कॉन्सट्रेशन के साथ पूरे रात गणित पढाना आरके श्रीवास्तव के गणित के प्रति अद्भूत प्रेम को दर्शाता है ।

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स्टूडेंट्स को मिलें गणित से प्यार करने वाले गुरु

गणित से प्यार करने वाले स्टूडेंट्स दिलों की विविधता को दर्शाने के लिए गणित के नए समीकरण (Equation) गढ़ सकते हैं। अगर आप गणित के विशेषज्ञ नहीं हैं तो निराश ना हों। अपने पसंदीदा समीकरण (Equation) और उनसे जुड़े दिल के आकार को चुनें और अपने साथी को ईमेल या एसएमएस करें। आपके साथी की नजर में आप भावुक के साथ ही समझदार भी बन जायेंगे।

गणित पढ़ाने के दीवानगी का नाम है आरके श्रीवास्तव-

जादुई तरीके से खेल-खेल में सिखाते हैं गणित का गुर, 12 घण्टे स्टूडेंट्स बिना किसी तनाव के एन्जॉय करते हुए हल करते हैं गणित के प्रश्न, नाईट क्लासेज लगातार चलता है 12 घण्टे बिना रुके, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है नाम। सफलता किसे अच्छी नहीं लगती है और जो लोग सफल होने के लिए रात दिन मेहनत भी करते है, ऐसे में जिनके इरादे और हौसले बुलंद हो तो निश्चित ही वे लोग अपने लक्ष्य को प्राप्त करते है और सबके लिए सफलता की एक नई मिशाल पेश करते है। तो चलिए आज हम आप सबके बीच कुछ ऐसे ही सफल लोगों के बारे में बात कर रहे है जिनसे आप भी जरुर प्रेरित होंगे।

“कोशिश जारी रख,

जरूर सफल तेरा काम होगा।

तू बस धैर्य बांधे रख,

शीर्ष पर तेरा भी नाम होगा।”

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यह शायरी मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव पर सौ प्रतिशत सटीक बैठती है। आरके श्रीवास्तव यानी गणित पढ़ाने का दीवाना, पूरी रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाते, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव मशहूर है कि वे जादुई तरीके से खेल-खेल में गणित का गुर सिखाते है। चुटकले सुनाकर खेल-खेल में पढ़ाते हैं। उनकी पढ़ाई की खासियत है कि वह बहुत ही स्पष्ट और सरल तरीके से समझाते हैं।

चुटकुले बनाकर सवाल हल करना आरके श्रीवास्तव की पहचान

सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, चुटकुले बनाकर सवाल हल करना आरके श्रीवास्तव की पहचान है। गणित के लिये इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज अभियान पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नही।

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सबसे बड़ी बात है कि वैसे स्टूडेंट्स जिन्हें गणित के नाम से ही डर लगता है परंतु वे आरके श्रीवास्तव के क्लास में जब शिक्षा ग्रहण करते है तो वे गणित के हौवा को भूल जाते है। स्टूडेंट्स अगले दिन भी यह कहते है कि हमे आरके श्रीवास्तव के नाईट क्लासेज में पूरे रात लगातार 12 घण्टे गणित पढ़ना है। पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स बिना किसी तनाव के एन्जॉय करते हुए गणित के प्रश्नों को हल करते है।

पूरी रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को निःशुल्क गणित की शिक्षा

उनके इस क्लास को देखने और उनका शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिए कई विद्वान इनका इंस्टीटूट देखने आते है। नाईट क्लासेज अभियान हेतु स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने और गणित को आसान बनाने के लिए यह नाईट क्लासेज अभियान अभिभावकों को खूब भा रहा। स्टूडेंट्स के अभिभावक ने बताया की मेरा बेटा बेटी जो ठीक से घर पर पढ़ने हेतु 3-4 घण्टे भी नही बैठ पाते, उसे आरके श्रीवास्तव ने पूरे रात लगातार 12 घण्टे कंसंट्रेशन के साथ गणित का गुर सिखाया। आपको बताते चले कि अभी तक आरके श्रीवास्तव के द्वारा 450 क्लास से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को निःशुल्क गणित की शिक्षा दी जा चुकी है जो अभी भी जारी है।

आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज

वैसे आरके श्रीवास्तव का प्रतिदिन क्लास में तो स्टूडेंट्स गणित का गुर सीखते ही है, परंतु यह स्पेशल नाईट क्लासेज लगातार 12 घण्टे बिना रुके चलता है। इसके लिए आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है। आरके श्रीवास्तव गणित बिरादरी सहित पूरे देश मे उस समय चर्चा में आये जब एक चैलेंज के दौरान इन्होंने क्लासरूम प्रोग्राम में बिना रुके पाइथागोरस थ्योरम को 50 से ज्यादा अलग-अलग तरीके से सिद्ध कर दिखाया। आरके श्रीवास्तव ने कुल 52 अलग-अलग तरीको से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। जिसके लिए इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन में दर्ज चुका है।

आरके श्रीवास्तव ने 52 तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन के छपी किताब में यह जिक्र भी है कि बिहार के आरके श्रीवास्तव ने बिना रुके 52 तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। इसके लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने आरके श्रीवास्तव को इनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाये भी दिया।

आरके श्रीवास्तव गणित को हौवा या डर होने की बात को नकारते हैं। वे कहते हैं कि यह विषय सबसे रुचिकर है। इसमें रुचि जगाने की आवश्यकता है। अगर किसी फॉर्मूला से आप सवाल को हल कर रहे हैं तो उसके पीछे छुपे तथ्यों को जानिए। क्यों यह फॉर्मूला बना और किस तरह आप अपने तरीके से इसे हल कर सकते हैं? वे बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में बहुत अधिक रुचि थी, जो नौंवी और दसवी तक आते-आते परवान चढ़ी।

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आरके श्रीवास्तव अपने पढ़ाई के दौरान टीबी की बीमारी की वजह से आईआईटी प्रवेश परीक्षा नही दे पाये थे। उनकी इसी टिस ने बना दिया सैकड़ो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनयर। आर्थिक रूप से गरीब परिवार में जन्मे आरके श्रीवास्तव का जीवन भी काफी संघर्ष भरा रहा।

वे कहते हैं कि

“अगर असफल हो भी गए,तो भी सपनों में जान रख।

“मत देख पंखों की मजबूती,

तू अपना हौंसला तो बढ़ा

और हौसलों कि उड़ान देख।”

आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर पढ़ाते है गणित, प्रत्येक अगले वर्ष 1 रुपया अधिक लेते है गुरु दक्षिणा।सैकड़ो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स (सब्जी विक्रेता का बेटा, गरीब किसान, मजदूर को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई में सफलता दिलाकर बना चुके है इंजीनियर। आज ये सभी स्टूडेंट्स अपने गरीबी को पीछे छोड़ अपने सपने को पंख लगा रहे। वे कहते हैं कि मुझे लगा कि मेरे जैसे देश के कई बच्चे होंगे जो पैसों के अभाव में पढ़ नहीं पाते।

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आरके श्रीवास्तव अपने छात्रों में एक सवाल को अलग-अलग तरीके से हल करना भी सिखाते हैं। वे सवाल से नया सवाल पैदा करने की क्षमता का भी विकास करते हैं। रामानुजन, वशिष्ठ नारायण को आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के युग में गणित की महत्ता सबसे अधिक है, इसलिए इस विषय को रुचिकर बनाकर पढ़ाने की आवश्यकता है। इनके द्वारा चलाया जा रहा वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज भी अद्भुत है, इस प्रोग्राम के तहत नन्हे उम्र के बच्चे जो वर्ग 7 और 8 में है परंतु अपने वर्ग से 4 वर्ग आगे के प्रश्नों को हल करने का मद्दा रखते है।

आरके श्रीवास्तव का वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज

वर्ग 7 व 8 के स्टूडेंट्स 11 वी , 12 वी के गणित को चुटकियो में हल करते है। आरके श्रीवास्तव के वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज के इन स्टूडेंट्स से मिलने और शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिये अन्य राज्यो के लोग इनके इंस्टीटूट को देखने आते है। इसी खासियत और इनके गणित पढ़ाने के जादुई तरीके ने उन्हें मैथमेटिक्स गुरु का दर्जा दिला दिया ।

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आरके श्रीवास्तव का बचपन काफी गरीबी गुजरा। उनके पास अपने शौक पूरा करने के पैसे नहीं थे। श्रीवास्तव अपने शैक्षणिक तरीको से स्टूडेंट्स में काफी लोकप्रिय है। चाहे वह नाईट क्लास के रूप में लगातार 12 घण्टे गणित का गुर सीखना हो या वे इस बात से भी काफी लोकप्रिय है कि 1 रूपया गुरू दक्षिणा लेकर इंजीनियर बनाना हो। इसी खासियत ने उन्हें आज देश मे मैथमेटिक्स गुरु का दर्जा दिला दिया। पिछले कई वर्षों से आरके श्रीवास्तव अखबारों में खूब सुर्खियां बटोर रहे है।

संघर्षों से भरा आरके श्रीवास्तव का बचपन

आरके श्रीवास्तव का बचपन अन्य बच्चों जैसा सामान्य नही रहा। बचपन मे 5 साल की उम्र में पिता के गुजरने और बड़े होने पर एकलौते बड़े भाई के गुजरने के बाद परिवार को काफी संघर्षो का दिन भी देखना पड़ा। आरके श्रीवास्तव की शुरुआती पढ़ाई ग्रामीण परिवेश के सरकारी विद्यालयों से हुई। शुरू में श्रीवास्तव का रुचि बिल्कुल गणित के प्रति नही रहा किन्तु प्राइमरी परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया। आगे की पढ़ाई के लिए पहली बार उच्च माध्मिक स्कूल में गये यहीं से गणित की पढ़ाई की शुरुआत हुई।

प्रश्न पूछने का शौक—-

आरके श्रीवास्तव को बचपन से ही प्रश्न पूछने का शौक रहा। और वे कभी-कभी ऐसा प्रश्न पूछते कि शिक्षकों के समझ में नहीं आता की इतना छोटा बच्चा ऐसे सवाल कैसे कर रहा है। दरअसल, किसी सवाल को जानने की उनमें बहुत जिज्ञासा हमेशा से रहा।

आपको बताते चले कि यह भी मशहूर है कि अपने क्लास में पढ़ाई करने के दौरान अपने सीनियर को गणित भी पढ़ाया करते। वर्ग 12 से पहले ही लोनी द्वारा कृत प्रसिद्द ट्रिग्नोमेट्री और कोआर्डिनेट ज्योमेट्री के प्रश्नों को हल कर दिया।

गणित में करते टॉप, बाकी विषयों में आते कम नम्बर

बचपन से ही आरके श्रीवास्तव गणित इतना अधिक पढ़ाई करते कि अन्य विषयों पर थोड़ा-सा भी ध्यान नहीं दे पाते। इसका नतीजा एक बार ऐसा हुआ कि 10 वी की परीक्षा में गणित में तो टॉप कर लिया जबकि अन्य सभी विषयों में बहुत कम अंक आये। श्रीवास्तव के जीवन के कुछ साल बहुत संघर्ष भरा रहा। बड़े भाई के गुजरने के बाद श्रीवास्तव पर अपने पढ़ाई के अलावा तीन भतीजियों की शादी और भतीजे को पढ़ाना सहित पूरे परिवार की जिमेद्दारी आ गया। परन्तु श्रीवास्तव ने अपने जीवन मे कभी हार नही माना और अपने कड़ी मेहनत, ऊंची सोच, पक्का इरादा के साथ आज मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर है।सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर शुरू किया था पढ़ाना।

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प्रत्येक अगले वर्ष 1 रुपया अधिक लेते है गुरु दक्षिणा। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष 50 गरीब स्टूडेंट्स को आरके श्रीवास्तव अपनी माँ के हाथों निःशुल्क किताबे बंटवाते है। वर्तमान में बिहार के आरके श्रीवास्तव को देश के कई राज्यो के शैक्षणिक संस्थाए गेस्ट फैकल्टी के रूप में शिक्षा देने के लिए भी बुलाते है।

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