डिजिटल क्लास बच्चों के लिए खतरनाक, पैरेंट्स हो जाएं सावधान, जानें जरूरी बातें

कोरोना वायरस की वजह से लोगों का जीने का तरीका बदल गया है। अब काम और पढ़ाई के लिए नई चुनौती पैदा हो गई है। अब हम सामान्य दिनों की तरह काम-काज नहीं कर सकते हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि लोग मौजूदा हालात को सामान्य मानते हुए आगे बढ़ें।

Update:2020-07-16 09:30 IST

नई दिल्ली : कोरोना वायरस की वजह से लोगों का जीने का तरीका बदल गया है। अब काम और पढ़ाई के लिए नई चुनौती पैदा हो गई है। अब हम सामान्य दिनों की तरह काम-काज नहीं कर सकते हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि लोग मौजूदा हालात को सामान्य मानते हुए आगे बढ़ें।

कोरोना से सबसे ज्यादा कुछ प्रभावित हुआ है तो वो है बच्चों की पढ़ाई, जो मुसीबत बन गई है। डिजिटल क्लासेज से बच्चों की पढ़ाई तो हो रही है लेकिन परिवार को इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ रही है। साथ ही बच्चों को आए दिन कई तरह की सेहत से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है, जैसे चिड़चिड़ापन, मानसिक समस्याएं और आंखों पर स्ट्रेस।

 

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गाइडलाइन

एचआरडी मंत्रालय ने डिजिटल एजुकेशन को लेकर जरूरी गाइडलाइन दिया है। नई गाइडलाइन के मुताबिक प्री-प्राइमरी स्टूडेंस के लिए ऑनलाइन क्लास का समय 30 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा कक्षा 1 से 8 के लिए दो ऑनलाइन सेशन होंगे. एक सेशन में 45 मिनट की कक्षा होगी, जबकि कक्षा 9 से 12 के लिए 30-45 मिनट की अवधि के चार सेशन होंगे।

डॉ. मोहसिन के मुताबिक

डिजिटल एजुकेशन ने सभी बच्चों के लिए मुसीबत पैदा कर दी है। क्योंकि लगातार स्क्रीन पर बैठे रहना बच्चों के सेहत के लिए ठीक नहीं है। डॉ. मोहसिन जो पूर्व राष्ट्रपति के डॉक्टर रह चुके हैं और जानने की कोशिश की है ऑनलाइन क्लासेज बच्चों के लिए कैसे हानिकारक है? डॉ. मोहसिन ने बताया कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है लोग अपने घरों में बंद हैं, इस वजह से दीवानगी की हद तक इंटरनेट का प्रयोग हो रहा है और बच्चों को पढ़ाई के दौरान स्पीड की समस्या झेलनी पड़ रही है। वीडियो और ऑडियो की क्वालिटी खराब रहती है, इससे बच्चों में कॉन्संट्रेशन की समस्या रहती है। इसके अलावा अभी डिजिटल क्लासेज भारत जैसे देश के लिए बहुत नया है।

 

आकार में बदलाव

ऑनलाइन क्लासेज की वजह से बच्चों को पोस्चर यानी की मुद्रा या आकार में बदलाव हो सकता है। बच्चों में कमर संबंधी, सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन के हिस्से वाली रीढ़ की हड्डी के जोड़ों और डिस्क में समस्या और मोटापे जैसी परेशानी हो सकती है। लगातार माउस और कीबोर्ड के प्रयोग करने से उंगलियों से जुड़ी समस्याएं भी आ सकती हैं।

 

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गुरुकुल की परंपरा

भारत में शुरुआत से गुरुकुल की परंपरा रही है। जब स्कूल में जाते हैं तो भौतिक रूप से शिक्षकों से बात करते हैं, दोस्तों से बात करते हैं और पढ़ाई पर भी ज्यादा ध्यान दे पाते हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन क्लासेज इस बात की कमी रहती है। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता भी खराब हो रही है।

डॉ. मोहसिन ने बताया कि मां-बाप को आने वाले समय में सतर्क रहने की जरूरत हैं। उन्हें बच्चों पर खास ध्यान रखना होगा, खासकर होमवर्क के दौरान। उन्हें घर में शिक्षक का भी रोल निभाना होगा।

 

पढ़ाई, होमवर्क सब कुछ डिजिटल

एक परिवार ने इस पर अनुभव बताया कि उनके दो बच्चे हैं। एक दूसरी क्लास में और एक सातवीं क्लास में दोनों पढ़ाई में टॉपर हैं लेकिन इन दिनों डिजिटल क्लास में उन्हें भी समझने में काफी मेहनत करनी पड़ रही है। हालांकि धीरे-धीरे वो अब इस मीडियम को समझ रहे हैं

उन्होंने बताया कि बच्चे आजकल पढ़ाई, होमवर्क सब कुछ डिजिटल कर रहे हैं। ऐसे में किताबों से उनकी दूरी बढ़ रही है। इसलिए जरूरी है कि घर में लाइब्रेरी जैसी सुविधा दी जाए। इससे बच्चों में पढ़ने की आदत भी बनी रहती है, साथ ही वो अध्याय को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।

 

छोटे शहरों के बच्चों के सामने चुनौती

इन दिनों खासकर छोटे शहरों के बच्चों के सामने, चुनौती और भी गहरी है. क्योंकि उनके घर में मोबाइल पर पढ़ाई करना किसी आर्मी ट्रेनिंग से कम नहीं है।

बिहार के बेगूसराय के सदर अस्पताल सुपरिटेंडेंट डॉ. आनंद कुमार शर्मा ने बताया कि छोटे शहरों के मां-बाप के पास अच्छी क्वालिटी के मोबाइल नहीं है। उसका स्क्रीन बच्चों के सेहत पर ज्यादा प्रभाव डालता है। साथ ही उसमें ऑडियो को लेकर भी काफी सारी समस्याएं हैं।

 

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टीवी बेहतर विकल्प

डॉ. आनंद ने बताया कि बेहतर होता अगर सरकार इस तरह के क्लासेज को टीवी पर कराए, क्योंकि टीवी की क्वालिटी बेहतर होती है टीवी पर क्लासेज का एक और भी फायदा है. ज्यादातर लोग टीवी को दीवार से सटा कर रखते हैं या दीवार में टांगते हैं. ऐसे में टीवी देखने की सामान्य दूरी भी तुलनात्मक रूप से बेहतर होती है।

समय की मांग

ऑनलाइन क्लास मौजूदा समय की मांग है। ऐसे में मां-बाप के लिए जरूरी है कि वो ना केवल बच्चों की पढ़ाई का ध्यान रखें, बल्कि उनके सेहत का भी ख्याल रखें। ज्यादा देर तक लगातार कंप्यूटर स्क्रीन पर ना बैठे रहें, ब्रेक लेते रहें।

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