संगीतकार ओपी नैयर ने जीते कई अवार्ड, लता मंगेशकर संग कभी नहीं किया काम

हिंदी सिनेमा के मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर ओपी नैयर ने एक से बढ़कर एक गाने दिए। ओपी नैयर को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे लयबद्ध और मधुर संगीत निर्देशकों में से एक माना जाता था।

Update: 2021-01-28 06:34 GMT
म्यूजिक डायरेक्टर ओपी नैयर ने जीते कई अवोर्ड, नहीं किया कभी लता मंगेशकर के साथ काम

मुंबई : हिंदी सिनेमा के मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर ओपी नैयर ने एक से बढ़ कर एक गाने दिए। ओपी नैयर को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे लयबद्ध और मधुर संगीत निर्देशकों में से एक माना जाता था। उन्होंने 1958 में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के लिए फिल्मफेयर अवार्ड ‘निया दौर’ के लिए जीता। आज उनकी पुण्यतिथि पर जानतें हैं उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें।

संगीत और जिंदगी अपनी शर्तों पर जीते थे

नैयर का जन्म 16 जनवरी 1926 लाहौर,ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। संगीत में रूचि होने के नातें उन्होंने संगीत प्रशिक्षण लिया। नैयर ने कनीज़ (1949) के लिए बेकग्राउंड संगीत की रचना की और 1952 के आसमान (दलसुख एम पंचोली द्वारा निर्मित) संगीत निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म थी। ओपी नैयर का पूरा नाम ओंकार प्रसाद नैयर है। नैयर के बारे में कहा जाता है, वह संगीत और जिंदगी दोनों को अपनी शर्तों पर जीते थे।

लता मंगेशकर के साथ काम नहीं किया

अक्खड़पन और सादगी ओपी नैयर की पहचान थी। नैयर ने इसके बाद छम छम छम (1952) और बाज (1953) के लिए संगीत तैयार किया। जिसके बाद उन्होंने एक के बाद एक फिल्मों के लिए गाने बनाए। ओपी नैयर ने कभी लता मंगेशकर के साथ काम नहीं किया, हालांकि उनके गीत सारी सारी रात तेरी याद सताएंगे से 1958 में बनी फिल्म अजी बस शुक्रीयावास में 1973 की हिंदी फिल्म टैक्सी ड्राइवर का इस्तेमाल किया गया था। जिसमें वह संगीत निर्देशक थे।

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परिवार लाहौर छोडक़र अमृतसर में बसा

ओपी नैयर काफी विद्रोही स्वभाव के थे। इसके पीछे एक कहानी है। कहा जाता है कि ओ.पी के पिता काफी अनुशासित व्यक्ति थे। बचपन में नैयर ने पिता से इतनी मार खाई कि उनका स्वभाव भी वैसा बन गया। इस स्वभाव के चलते उन्होंने एक बार तो अपना घर तक छोड़ दिया था । फिर भारत विभाजन के बाद उनका पूरा परिवार लाहौर छोडक़र अमृतसर चला आया। साल 1949 मे बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाने के लिये नैयर मुंबई आ गये।

लोकप्रिय गीत

ओपी नैयर के कुछ फेमस एल्बम के गाने जिसे लोग आज भी सुनना पसंद करते हैं। देखो मोहब्बत का दस्तूर, जाने दो (1990), नए कपड़े बदल्कर, अजनाबी शेहर में, अल्लाह ने इस दिल ने, कहदो इस रात से।

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