गेहूं और ग्लूटन युक्त अनाज सेवन से होता है ये घातक रोग, भारत में 80 लाख तक ग्रसित, जाने क्या है लक्षण एवं उपचार
Celiac Disease: डा0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान की निदेशक प्रो. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि दुनिया की आबादी का लगभग 0.7 प्रतिशत हिस्सा सीलियक रोग से प्रभावित है। वहीं भारत में इस बीमारी से करीब 60 से 80 लाख लोगों के ग्रसित होने का अनुमान है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर भारत में प्रति 100 में एक व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहा है।
Celiac Disease: सीलियक एक गंभीर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो आनुवंशिक रूप से अति संवेदनशील लोगों में हो सकता है। आनुवंशिकी इस स्थिति के प्रसार में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। गेहूँ और ग्लूटन युक्त अन्य अनाजों का उपयोग करने से इनमे कुछ लोगों में सीलिएक रोग किसी भी उम्र में ( 6 महीने से लेका 90 वर्ष तक ) सक्रिय को सकता है। इसलिए यह समस्या बच्चों में भी हो सकती है। डा0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान की निदेशक प्रो. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि दुनिया की आबादी का लगभग 0.7 प्रतिशत हिस्सा सीलियक रोग से प्रभावित है। वहीं भारत में इस बीमारी से करीब 60 से 80 लाख लोगों के ग्रसित होने का अनुमान है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर भारत में प्रति 100 में एक व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहा है। डा0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 8 से 14 मई को सीलिएक जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है।
सामान्य लक्षण
लोहिया संस्थान के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट डॉ पीयूष उपाध्याय, ने बताया कि यदि आपको और आपके बच्चे को पेट दर्द ‘या दस्त की शिकायत रहती हैं? आपका बच्चा क्लास में सबसे छोटे कद का है और अक्सर थकान महसूस करता है? आपका लीवर ठीक काम नहीं का रहा है? जरा सा मुड़ने पर आपके पैर की हड्डी टूट गई है?इन सबका एक कारण हो सकता है सीलिएक रोग। उन्होंने आगे बताया, यह गेहूं जौ राई, व ओट्स में पाये जाने वाले एक प्रोटीन (ग्लूटन) से होता है।। 10 से 15 वर्ष पहले जिस बीमारी के बारे में सुना भी नहीं जाता था, आज अनुमान है कि करीब 80 लाख(लगभग 1 प्रतिशत ) लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं।
सीलिएक रोग में ग्लूटन खाने से छोटी आंतों को नुकसान होता है। शरीर को पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिसके परिणाम स्वरुप कई रोग पनपने लगता है। लक्षणों में कुछ पेट से संबंधित जैसे दस्त, पेट दर्द, पेट फूलना, उल्टी शरीर का विकास न होना शरीर का वजन कम होना और कुछ अन्य अंगो से संबंधिच जैसे लीवर की बीमारियां,हडि्डयों की बीमारी दांत में एनोमिल की दिक्कत,अनीमिया (खून की कमी),बार-बार गर्भपात, शरीर में दाने कमजोरी इत्यादि शमिल हैं। यह एक आनुवंशिक रोग है और करीब एक तिहाई जनसंख्या में इसका कारक जीन पाया जाता है।
गेहूं सेवन वाले क्षेत्रों में पाया जाता है सीलिएक रोग
यकीन करना मुश्किल है लेकिन जहां-जहां गेहूँ का सेवन किया जाता है वहीं यह रोग पाया जाता हैं। हमारे देश के उत्तरी राज्यों में जहाँ गेहूँ का प्रयोग ज्यादा होता है सीलिएक रोग ज्यादा पाया जा रहा है।
बच्चों में लक्षण
पेट में दर्द ,मतली, भूख की कमी,उल्टी ,दस्त,चिड़चिड़ापन,कम वृद्धि,विलंबित यौवन,पीली त्वचा,ऐंठन,मुंह के कोनों पर अल्सर का फट जाना,
वयस्कों में लक्षण
सूजन,गैसों,दस्त,वजन घटाने,कम भूख,थकान,पेट में दर्द,हड्डी का दर्द,व्यवहार में परिवर्तन,मांसपेशियों में ऐंठन और जोड़ों का दर्द,ऐंठन,चक्कर आना,त्वचा में लाल चकत्ते आना,दंत समस्याओं,छूटी हुई माहवार,बांझपन,हाथ - पांव में उत्तेजना में परिवर्तन I
डॉ पीयूष उपाध्याय ने आगे बताया, एंटी टीटीजी टेस्ट व इंडोस्कोपी के जरिए बीमारी की अवस्था का पता लगाकर समय पर इलाज शुरू कर दे तो बच्चे को बीमारी के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है। इस रोग में आटा, ब्रेड, मिठाई, सूजी, केक, ओटस से बने खाद्य पदार्थ खाने की मनाही होती है। जबकि, चावल, बेसन, दूध व दूध से बने खाद्य पदार्थ, दाले, इडली, सांबर, आलू, चाय, कॉफी, जैम, शहद से बने खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं।