बहुत ही खतरनाक: मात्र 50 दिन में खत्म हो जाती है कोरोना की एंटीबॉडी
एंटीबॉडीज एक प्रकार की प्रोटीन होती हैं जो शरीर पर हमला करने वाले वायरस से लड़ने और उसे मारने का काम करती हैं। वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों के खून में ये एंटीबॉडीज पाई जाती हैं और दोबारा संक्रमण से इम्युनिटी प्रदान करती हैं।
लखनऊ: एक अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज लगभग 50 दिन बाद खत्म हो जाती हैं। पता चला है कि जो स्वास्थ्यकर्मी अप्रैल-मई में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, जून में उनके खून में कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज नहीं मिली। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए अध्ययन में तीन महीने के अंदर कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज कम होने की बात सामने आ चुकी है।
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क्या होती हैं एंटीबॉडीज
एंटीबॉडीज एक प्रकार की प्रोटीन होती हैं जो शरीर पर हमला करने वाले वायरस से लड़ने और उसे मारने का काम करती हैं। वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों के खून में ये एंटीबॉडीज पाई जाती हैं और दोबारा संक्रमण से इम्युनिटी प्रदान करती हैं। मुंबई के जेजे ग्रुप्स ऑफ हॉस्पीटल ने जून में ये स्टडी की थी। इसमें जेजे अस्पताल, जीटी अस्पताल और सेंट जॉर्ज अस्पताल के 801 स्वास्थ्यकर्मियों का एंटीबॉडी टेस्ट किया गया। इनमें से लगभग 10 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों के खून में एंटीबॉडीज पाई गईं, लेकिन जो 28 स्वास्थ्यकर्मी सात हफ्ते पहले (अप्रैल अंत से मई की शुरूआत के बीच) कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।
उनमें से किसी में एंटीबॉडीज नहीं पाई गईं। स्टडी में 34 ऐसे स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल थे जो तीन और पांच हफ्ते पहले कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। नतीजों के अनुसार, जिन स्वास्थ्यकर्मियों को तीन हफ्ते संक्रमित पाया गया था, उनमें से 90 प्रतिशत में एंटीबॉडीज थीं। वहीं जिन्हें पांच हफ्ते पहले संक्रमित पाया गया था, उनमें से 38.5 प्रतिशत के खून में एंटीबॉडीज पाई गईं। पश्चिमी देशों में हुई स्टडीज में भी तीसरे हफ्ते में एंटीबॉडीज पीक करने की बात सामने आई थी।
सशंकित विशेषज्ञ
हालांकि कुछ विशेषज्ञ जेजे अस्पताल की इस स्टडी को लेकर थोड़े सशंकित हैं। इनके मुताबिक जिन मरीजों को लक्षणों वाली लंबी बीमारी होती है, उनमें लगभग तीन-चार महीने तक एंटीबॉडीज पाई जाती हैं। स्टडी अभी प्रकाशित नहीं हुई है और इसे सितंबर में प्रकाशित किया जाएगा।
सामने आई है एंटीबॉडी जल्द खत्म होने की बात
कई अंतरराष्ट्रीय स्टडीज में कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज का स्तर तीन महीने बाद कम होने की बात सामने आई है। इससे मरीजों के कुछ महीनों बाद फिर से संक्रमित होने की आशंका पैदा होती है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि शरीर से कोरोना वायरस की एंटीबॉडीज भले ही खत्म हो जाएं, लेकिन इम्युन सिस्टम में ही शामिल टी-सेल्स लंबे समय तक वायरस को याद रखती हैं और ये लंबे समय तक इम्युनिटी प्रदान कर सकती हैं।
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अहम है इम्युनिटी का सवाल
कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी कितने समत तक रहती है, यह सवाल इस महामारी को मात देने और वैक्सीनों के नजरिए से बेहद अहम है। अगर कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी कुछ महीने ही टिकती है तो इस महामारी को हराना बेहद कठिन होगा और वैक्सीनें भी ज्यादा असरदार साबित नहीं होंगी। वहीं अगर इम्युनिटी लंबे समय तक रहती है तो वैक्सीनों की मदद से इस महामारी को हराना आसान होगा।
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