तंबाकू बचाएगी कोरोना से, इन्होंने शुरू कर दिया है टीका विकसित करने पर काम शुरू
बैट वैक्सीन का प्री-क्लिनिकल ट्रायल चला रहा है। कंपनी का कहना है कि मंजूरी मिलने पर वह जून तक प्रति सप्ताह एक से तीस लाख खुराक का उत्पादन कर सकता है। वहीं फिलिप मॉरिस को इस गर्मी में मानव परीक्षण शुरू करने की उम्मीद है
नई दिल्ली। सब जानते हैं कि सिगरेट पीने से फेफड़े खराब हो जाते हैं, कैंसर हो जाता है। लेकिन कोरोना महामारी के समय में अमेरिका की दिग्गज तंबाकू-सिगरेट कंपनियाँ कोरोना बीमारी का इलाज ढूंढ रही हैं। ये एक विडंबना ही है क्योंकि शुरुआती रिसर्च में पता चला है कि धूम्रपान और कोरोना वायरस के गंभीर संक्रमण में संबंध होता है।
ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (बैट) और फिलिप मॉरिस – ये दुनिया की दो सबसे बड़ी तंबाकू कंपनियाँ हैं। इन दिग्गजों ने तंबाकू के पत्तों से कोरोना वायरस के टीके विकसित करने का काम शुरू कर दिया है।
बायोफार्मा तकनीक में काम का अनुभव
दरअसल, बैट और फिलिप मॉरिस बायोफार्मा तकनीक में अच्छा खासा अनुभव है। केंटकी बायोप्रोसेसिंग बैट के स्वामित्व वाली यूनिट है। इसने कोविड-19 के आनुवांशिक अनुक्रम यानी जेनेटिक सीक्वेंस को क्लोन करके एंटीजन तैयार किया है। एंटीजन वह पदार्थ होता है जो वायरस से शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू करते हैं। इस एंटीजन को अब तंबाकू के पौधों में डाला जा रहा है ताकि उससे एक वैक्सीन बनाने का काम किया जा सके।
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दूसरी ओर फिलिप मॉरिस के स्वामित्व वाली ‘मेडिसैगो’ कंपनी भी पौध आधारित वैक्सीन पर काम कर रही है। ये कंपनी तम्बाकू से संबंधित फसलों में वायरस जैसे कणों को पैदा कर रही है।
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‘बैट’ के अनुसार, तम्बाकू का उपयोग करके लगभग 6 सप्ताह में वैक्सीन उत्पादन हो सकता है जबकि पारंपरिक तरीकों से वैक्सीन बनाने में कई महीने लगते हैं।
तंबाकू बनाने वाली दिग्गज कंपनियों ने 2010 में ‘वेपिंग’ या इलेक्ट्रोनिक सिगरेट बूम की शुरुआत के बाद से बायोफार्मा कंपनियों को टेक ओवर करना शुरू कर दिया था। इसकी वजह थी ‘वेपिंग’ बिजनेस से मिलने वाली कड़ी टक्कर। जहां 2011 में ‘वेपिंग’ करने वालों की संख्या 70 लाख थी वहीं 2018 में यह 4 करोड़ से ज्यादा हो गई। 2019 में ट्रम्प सरकार ने ‘वेपिंग’ पर शिकंजा कस दिया।
बिजनेस में प्रतिस्पर्धा
बैट ने धूम्रपान के विकल्प ढूँढने के लिए 2014 में केंटकी बायोप्रोसेसिंग को खरीद लिया। अब ये यूनिट कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मैदान में है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने तंबाकू के बजाए दूसरे प्रोडक्ट पर काम करना शुरू किया है। 2014 में ही केंटकी बायोप्रोसेसिंग ने ईबोला वायरस से लड़ने के लिए जेडमैप नामक एक दवा को विकसित करने में सहयोग किया था। ये दवा भी तंबाकू के पत्तों का इस्तेमाल करके बनाई गई थी। ये बात अलग है कि जेडमैप दवा बाजार में नहीं उतारी गई लेकिन इस बार बैट को उम्मीद है कि कोविड-19 के इलाज के लिए उसकी दवा ज्यादा धूम मचाएगी।
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चल रहा है ट्रायल
बैट वैक्सीन का प्री-क्लिनिकल ट्रायल चला रहा है। कंपनी का कहना है कि मंजूरी मिलने पर वह जून तक प्रति सप्ताह एक से तीस लाख खुराक का उत्पादन कर सकता है। वहीं फिलिप मॉरिस को इस गर्मी में मानव परीक्षण शुरू करने की उम्मीद है।