मिर्गी से पर्पल डे का क्या है कनेक्शन, कनाडा के 9 साल की बच्ची ने शुरु किया अभियान

Update:2019-03-26 13:36 IST

जयपुर: मिर्गी पीड़ितों की पहचान, जांच और उनके इलाज के लिए जागरूकता के मकसद से 26 मार्च को ‘मिर्गी पर्पल डे’ मनाया जाता है। वैसे अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस हर साल फरवरी के दूसरे सोमवार को मनाया जाता है, जबकि 17 नवंबर को भारत में नेशनल एपिलिप्सी डे के रूप में मनाया जाता है।

अभियान मिर्गी के खिलाफ इस अभियान की शुरुआत 9 साल की बच्ची कैसिडी मेगन ने की थे। कैसिडी खुद मिर्गी की बीमारी से जूझ रही थी। कनाडा की रहने वाली कैसिडी इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहती थी। उसकी सोच को द एपिलिप्सी एसोसिएशन ऑफ नोवा स्कॉटिया ने आगे बढ़ाया और 26 मार्च 2008 को पहला पर्पल डे मनाया गया।

मिर्गी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के मकसद से मनाए जाने वाले पर्पल डे के साथ बैगनी रंग का जुड़ाव है। बैगनी रंग के फूल लैवेंडर के बारे में विशेषज्ञों का दावा है कि इसमें मौजूद तत्व केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को आराम पहुंचाने का काम करते हैं। मिर्गी की बीमारी भी सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी है।

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लक्षण इस बीमारी के लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क का कौन-सा भाग इससे प्रभावित हुआ है और यह गड़बड़ी किस तरह से मस्तिष्क के बाकी हिस्सों में फैल रही है। यह लक्षण सभी में अलग हो सकते हैं। मिर्गी का सबसे प्रमुख लक्षण है जागरूकता और चेतना की कमी। शरीर की गति, संवेदनाएं और मूड आदि प्रभावित होना भी है। कुछ लोगों को विचित्र अनुभूतियां होती हैं, जैसे शरीर में झुनझुनाहट होना, उस गंध को सूंघना, जो वास्तव में वहां होती ही नहीं है, या भावनात्मक बदलाव। इसके अलावा चाल गड़बड़ा जाना, देखने, सुनने और स्वाद को पहचानने में गड़बड़ी, मूड खराब होना और बेहोशी जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।कारण गिरने से सिर पर गहरी चोट लग जाना। स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, डिमेंशिया और अल्जाइमर्स जैसी बीमारियां। संक्रमण जैसे मेनिन्जाइटिस, मस्तिष्क में फोड़ा हो जाना और एड्स। जन्मजात मानसिक समस्याएं। भावनात्मक दबाव व नींद की कमी। गर्भावस्था के दौरान कुछ जटिलताएं हो जाना। अत्यधिक शराब का सेवन। मस्तिष्क की रक्त कोशिकाओं की असामान्यता।

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