Health Tips : प्रसव के दौरान लापरवाही से रुक सकता है नवजात के जबड़े का विकास
विकृत जबड़े की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए उत्तर प्रदेश में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी,अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक इलाज की सुविधा उपलब्ध बताई जा रही है।
लखनऊ: जबड़े का सही विकास नहीं होना पूरे चेहरे की सुंदरता को ना सिर्फ खराब करता है, बल्कि खाने-पीने के दौरान उस शख्स के सामने समस्या भी आती है जिसका जबड़ा विकृत होता है, ऐसे में उसके सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं विकृत जबड़े के कारण उसे सामाजिक तौर पर भी हीन भावना का सामना करना पड़ सकता है। जबड़े की विकृति तथा खुलने की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए केजीएमयू का मैक्सिलोफेशियल विभाग बेहतरीन काम कर रहा है। बात करें मरीजों के इलाज की तो यहां पर करीब 300 से 400 मरीजों की बेटिंग हमेशा बनी रहती है।
प्रसव के दौरान लापरवाही बन सकती है बड़ी समस्या
मैक्सिलोफेशियल विभाग की प्रो. दिव्या के मुताबिक कई बार पैदाइश के समय फोर्स ऑन डिलीवरी या फिर लापरवाही के कारण नवजात के कनपटी पर दबाव पड़ता है जिससे बच्चे के जबड़े की ग्रोथ रुक सकती है। इतना ही नहीं उसका
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हियरिंग लॉस भी हो सकता है। इसके अलावा कई बार मुंह भी नहीं खुल पाता।
उन्होंने बताया कि जबड़े का विकास न होना कई बार अनुवांशिक होता है। इसके अलावा जन्म के समय ही चेहरे के कुछ पार्ट नहीं बन पाते। जन्मजात जबड़े की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए केजीएमयू के मैक्सिलोफेशियल विभाग में 3डी तकनीक का इस्तेमाल कर उच्च गुणवत्ता पूर्ण इलाज मुहैया कराया जा रहा है। इससे मरीजों को काफी लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि पैदाइश के समय से जबड़े में हुई विकृति के करीब 100 मामले हर साल केजीएमयू में आते हैं।
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प्रदेश में विकृत जबड़े का 3 संस्थानों में होता है इलाज
विकृत जबड़े की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए उत्तर प्रदेश में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी,अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक इलाज की सुविधा उपलब्ध बताई जा रही है।