Health Tips: रहना है ज्यादा जवां, तो प्रकृति के बीच रहें

Health Tips: हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि पेड़-पौधों वाले हरे-भरे इलाकों में रहने वाले लोगों की उम्र ढाई साल तक बढ़ जाती है। इसके साथ ही वह ज्यादा युवा नजर आते हैं।

Update: 2023-07-03 04:44 GMT
living in greenery live longer (Photo Social Media)

Health Tips: हरियाली के बीच रहने वाले लोगों की उम्र ढाई साल तक बढ़ जाती है। इसके साथ ही वह ज्यादा युवा नजर आते हैं। दरअसल हाल ही में अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में इसे लेकर एक शोध किया गया है। जिसकी रिपोर्ट को साइंस एडवांसेज पत्रिका में छापा गया है। जिसमें दावा किया गया है कि पेड़-पौधों वाले हरे-भरे इलाकों में रहने वाले लोगों में कई जैविक और मॉलिक्यूलर बदलाव होते हैं। इससे उनकी जैविक (बायोलॉजिकल) उम्र घटने लगती है और असल (क्रोनोलॉजिकल) उम्र लंबी हो जाती है।

रहन-सहन और खान-पान

किसी व्यक्ति की बायोलॉजिकल उम्र उसके रहन-सहन और खान-पान से ही तय होती है। कम ज्यादा भी इसकी के हिसाब से होती है। अगर किसी की बायोलॉजिकल उम्र उसकी क्रोनोलॉजिकल (असल आयु) उम्र से ज्यादा हो जाए, तो वह जल्दी बूढ़ा हो जाएगा। वहीं, अगर बायोलॉजिकल उम्र कम रहे, तो व्यक्ति बाकियों की तुलना में ज्यादा समय तक जवान रहता है और ज्यादा जीता है। पहले बायोलॉजिकल उम्र घटाने के लिए हरी-भरी खाई जाती थी। कसरत की जाती थी। लेकिन रिसर्च के अनुसार अब हरा-भरा खाने और कसरत करने के अलावा हरी जगहों पर रहने से भी उम्र लंबी हो जाती है।

रिसर्च में 900 लोग हुए शामिल

अमेरिका में हुई इस रिसर्च में 900 लोगों को शामिल किया गया था। जिसमें आधे लोग हरी-भरी जगहों पर रहते थे और आधे कंक्रीट के बीच रहते थे। 2 दशक तक चली इस रिसर्च का मकसद ये जानना था कि हरियाली के लॉन्ग-टर्म एक्सपोजर का हेल्थ पर क्या असर देखने को मिलता है।

इस रिसर्च में लोगों के DNA के एक केमिकल बदलाव देखने को मिला। जिसे मिथाइलेशन कहा जाता है। जिसमें उम्र बढ़ने के साथ बदलाव दिखने को मिलता है। इसे एपिजेनेटिक क्लॉक कहते हैं, जो हमारे जवान या बूढ़ा होने को बताती है। रिसर्च में देखा गया कि जो लोग ग्रीन जगहों में रहे, उनकी एपिजेनेटिक क्लॉक धीरे चल रही थी। जिसके अनुसार जिन लोगों के घरों के 5 किलोमीटर के दायरे में 30 प्रतिशत तक हरियाली होती है, वे उन लोगों से ढाई साल ज्यादा युवा रहते हैं, जिनके घरों के आसपास 20 प्रतिशत ही पेड़-पौधे होते हैं।

कई रिसर्च आ चुकी है सामने

फिनलैंड के फिनिश इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड वेलफेयर की स्टडी में भी सामने आ चुका है कि जो लोग प्रकृति के करीब रहते हैं, हर रोज पार्क की सैर करते हैं। उनकी हाई ब्लडप्रेशर और अस्थमा जैसी समस्या काफी कम हो जाती है। इसके अलावा डिप्रेशन के मरीजों की डोज भी सीधे 33 प्रतिशत घट जाती है।

जर्मन यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोजन के शोधकर्ता लंबी उम्र को कम तापमान से जोड़कर देख चुके हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक कम टेंपरेचर में रहने वाली आबादी उम्र के साथ आने वाली कई बीमारियों से बची रहती है। इसके साथ ही उनकी उम्र भी गर्म इलाकों में रहने वाले लोगों से ज्यादा होती है।

हालांकि अब साइंटिस्ट इन सारे नतीजों को समझकर एक ऐसा फॉर्मूला बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे की उम्र बढ़ती ही जाए।

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