वेरी लो बर्थ वेट अध्ययन: खनिज सेलेनियम की कमी से समय से पहले और कमजोर पैदा हो रहे बच्चे

समय से पूर्व बच्चों का जन्म होना एक खतरा है यह जिन वजहों से हो रहा है।उसमें खनिज सेलेनियम की कमी का होना एक बड़ा फैक्टर है। इस बात का दावा केजीएमयू के विशेषज्ञों ने एक शोध में किया है।

Update:2019-03-18 16:43 IST

समय से पूर्व बच्चों का जन्म होना एक खतरा है यह जिन वजहों से हो रहा है।उसमें खनिज सेलेनियम की कमी का होना एक बड़ा फैक्टर है। इस बात का दावा केजीएमयू के विशेषज्ञों ने एक शोध में किया है। केजीएमयू ने अपने यहां जन्म लिए वेरी लो बर्थ वेट (वीएलबीडब्ल्यू) श्रेणी के 126 बच्चों पर अध्ययन कर दावा किया है कि उनकी ऐसी अवस्था की वजह सीरम सेलेनियम लेवल की कमी भी है। इस खनिज की कमी से प्री-टर्म बर्थ (समय से पूर्व जन्म) और नवजात मृत्यु के मामले भी बने हुए हैं। मौजूदा अध्ययन में शामिल 75 प्रतिशत नवजात की भी मौत हो गई थी। इस अध्ययन के आधार पर चिकित्सकों ने गर्भवती महिलाओं में सेलेनियम लेवल की निरंतर जांच और इसे सुधारने की सिफारिश की है।

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खनिज सेलेनियम

सेलेनियम एक महत्वपूर्ण खनिज होता है। सेलेनियम शरीर में एक सुरक्षात्मक पदार्थ की भूमिका निभाता है क्योंकी यह एंटीऑक्सिडेंट्स की क्षमताओं को बढ़ा देता है और खून के बहाव की गुणवत्ता में भी सुधार करता है। जिससे रोगों और तनाव के खिलाफ शरीर में प्रतिरोध की वृद्धि होती है। सेलेनियम को एंटीऑक्सीडेंट्स की गतिविधियों में भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, जिससे क्षति, सूजन, जलन व लालिमा आदि कम हो जाते हैं। सेलेनियम में कमी होने की समस्या अक्सर काफी दुर्लभ स्थिति होती है यह तब होती है जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में सेलेनियम ना रहे।

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पोषक तत्वों के निर्माण में मदद करता है सेलेनियम

सेलेनियम एक तत्व होता है जो शरीर में एक बहुत छोटी मात्रा में मौजूद रहकर पोषक तत्वों के निर्माण में मदद करता है। खास बात है कि ऐसे क्षेत्र जहां मिट्टी सूखी हो और पानी की कमी रहे, यहां सेलेनियम लेवल सामान्य से अधिक रहता है। लेकिन पानी अधिक हो और मिट्टी गीली हो, तो इसका स्तर गिरता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में यह स्तर काफी नीचे रहता है।

बाल रोग विभाग चिकित्सकों की टीम

मौजूदा अध्ययन को केजीएमयू के बाल रोग विभाग चिकित्सकों की टीम डॉ. शालिनी त्रिपाठी, डॉ. माला कुमार, डॉ आरोही गुप्ता और कम्युनिटी मेडिसिन से डॉ. वीके सिंह, बायोकेमिस्ट्री की डॉ. कल्पना सिंह ने अंजाम दिया। उन्हाेंने बाल रोग और केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूती रोग विभाग की नियोनेटल यूनिट में सितंबर 2016 से जुलाई 2017 के बीच भर्ती करवाए गए नवजातों को इसमें शामिल किया। इन बच्चों को जन्म के 72 घंटे के भीतर यूनिट में भर्ती करवाया गया था। इनमें 126 में से केवल 25 प्रतिशत नवजात का ही जीवन बचाया जा सका। बाकी की मृत्यु हो गई या उनके परिवारीजन चिकित्सकीय सलाह के विपरीत उन्हें यूनिट से ले गए।

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एक साल में 1619 नवजात भर्ती

इस दौरान कुल 1619 नवजात भर्ती हुए थे। इनमें से 282 वीएलबीडब्ल्यू श्रेणी के थे। वहीं 60 को विकट वीएलबीडब्ल्यू श्रेणी में रखा गया। इनमें से हृदय व अन्य अंगाें से जुड़ी बीमारियों के नवजात को अलग करके 126 नवजात अध्ययन में शामिल किए गए। नवजात के एक मिलीलीटर रक्त से सेलेनियम लेवल का आकलन किया गया।

1150 ग्राम ही मिला नवजात का औसत वजन

- सामने आया कि इन नवजात का औसत वजन 1150 ग्राम था। 126 में से 44 नवजात 1000 ग्राम से भी कम वजन के थे।

- 30 हफ्ते की औसत गर्भावस्था के बाद जन्मे थे नवजात।

- इनमें 52.38 प्रतिशत बच्चे बालक और बाकी बालिकाएं थे।

- नवजात बालकों में सीरम सेलेनियम लेवल 9.49 माइक्रोग्राम पाया गया और बालिकाओं में 9.86।

- वहीं तीस हफ्ते के औसत से पहले जन्म नवजात में सेलेनियम लेवल औसतन 8.9 था तो 30 हफ्ते से अधिक की गर्भावस्था के बाद जन्म नवजात में यह 10.57 पाया गया। जन्म से छह महीने की उम्र तक यह 15 के लेवल पर होना चाहिए।

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सप्लीमेंट

-सीरम सेलेनियम लेवल को नवजात में और विशेषतौर वे प्री-टर्म जन्म नवजात में एंटीऑक्सिडेंट प्रतिरक्षा तंत्र और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए जाना जाता है।

-ऐसे में रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि गर्भवती मांओं में सेलेनियमयुक्त सप्लीमेंट सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

-चूंकि बारिश की मात्रा, मिट्टी और भौगोलिक वजहों व वातावरण भी इसमें भूमिका निभाते हैं, ऐसे में हमारे यहां की सब्जियों और फलों में इसकी कमी हो सकती है, इसलिए अलग से प्रयास करने की जरूरत है।

-इसके जरिये नवजात में बीमारियां और मृत्युदर कम की जा सकती है।

भोजन

साबुत गेहूं व अन्य अनाज, केला, पालक, दूध व दही मछली, अंडे, काजू, मशरूम, सूर्यमुखी के बीज, ब्राउन राइस।

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