Health Tips in Hindi: स्वास्थ्य का आधार: पथ्य-अपथ्य विवेक
Health Tips in Hindi: पथ्य हो तो औषधियों के सेवन की क्या आवश्यकता है ? पथ्य न हो तो चाहिए । औषधियों का कोई फल ही नहीं है।
Health Tips in Hindi: पथ्य हो तो औषधियों के सेवन की क्या आवश्यकता है ? पथ्य न हो तो चाहिए । औषधियों का कोई फल ही नहीं है । स्वास्थ्य अतः सदैव पथ्य का ही सेवन करना चाहिए ।पथ्य अर्थात् हितकर । हितकर का सेवन व अहितकर का त्याग करने हेतु पदार्थों के गुण-धर्मों का ज्ञान होना आवश्यक है ।
पथ्ये सति गदार्तस्य किमौषधनिषेवणैः ।
पथ्येऽसति गदार्तस्य किमौषधनिषेवणैः ॥
चरक संहिता के यज्जः पुरुषीय अध्याय में ऐसे हितकर-अहितकर पदार्थों का वर्णन करते हुए श्री चरकाचार्यजी कहते हैं : धान्यों में लाल चावल, दालों में मूँग, शाकों में जीवंती (डोड़ी), तेलों में तिल का तेल, फलों में अंगूर, कंदों में अदरक, नमकों में सैंधव (सेंधा) व जलों में वर्षा का जल स्वभाव से ही हितकर हैं ।
जीवनीय द्रव्यों में देशी गाय का दूध, रसायन द्रव्यों में देशी गोदुग्ध-गोघृत का नित्य सेवन, आयु को स्थिर रखनेवाले द्रव्यों में आँवला, सदा पथ्यकर द्रव्यों में हर्रे (हरड़), बलवर्धन में षडरसयुक्त भोजन, आरोग्यवर्धन में समय पर भोजन, आयुवर्धन में ब्रह्मचर्य, थकान दूर करने में स्नान, आरोग्यवर्धक भूमि में मरुभूमि व शारीरिक पुष्टि में मन की शांति सर्वश्रेष्ठ है ।
सर्वदा अहितकर पदार्थों में दालों में उड़द, शाकों में सरसों, कंदों में आलू, जलों में वर्षा ऋतु में नदी का जल प्रमुख हैं । सर्व रोगों के मूल आम (अपक्व आहाररस) को उत्पन्न करने में अधिक भोजन, रोगों को बढ़ाने में दुःख, बल घटाने में एक रसयुक्त भोजन, पुंसत्वशक्ति घटाने में नमक का अधिक सेवन मुख्य कारण है ।
अनारोग्यकर भूमि में समुद्र तट का प्रदेश व पूर्णतः अहितकर कर्मों में अत्यधिक परिश्रम प्रमुख है ।अपना कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमान मनुष्य को हित-अहित का विचार करके हितकर का ही सेवन करना चाहिए ।