World Obesity Day 2022 : जाने क्यों मनाया जाता है 'विश्व मोटापा दिवस', किन्हें कहा जा सकता है मोटा
World obesity day 2022 : विश्व मोटापा दिवस (World Obesity Day) हर साल 4 मार्च को मनाया जाता है। 2020 से पहले यह 11 अक्टूबर को मनाया जाता था, लेकिन अब इसे 4 मार्च को मनाया जाने लगा।
World obesity day 2022 : प्रतिवर्ष 4 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन मोटापे के बारे में जागरूकता पैदा करने की कोशिश करने के साथ-साथ मोटापा मानव स्वास्थ्य के लिए कैसे हानिकारक है, उस बात पर भी प्रकाश डालता है। World Obesity Day का उद्देश्य इस बात पर भी प्रकाश डालना है कि इस गंभीर मुद्दे से कैसे निपटा जा सकता है।
25 से अधिक लोगों को वजन वाला व्यक्ति माना जाता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोटापे को "असामान्य या अत्यधिक फैट संचय जो स्वास्थ्य के लिए खतरा प्रस्तुत करता है" के रूप में परिभाषित किया गया है। इसे आमतौर पर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के माध्यम से मापा जाता है। अन्य तरीके, जो बीएमआई के साथ-साथ कमर और ऊंचाई के अनुपात को ध्यान में रखते हैं, अधिक सटीक परिणाम दे सकते हैं। 25 से अधिक के बीएमआई को अधिक वजन वाला व्यक्ति माना जाता है, जबकि 30 से अधिक के बॉडी मास इंडेक्स को डब्ल्यूएचओ द्वारा मोटापे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
विश्व मोटापा दिवस बीमारी से जुड़ी
इस दिन को विश्व मोटापा महासंघ द्वारा मनाया जाता है। इस फेडरेशन का लक्ष्य एक वैश्विक प्रणाली बनाना है जहां स्वास्थ्य के मुद्दे के रूप में मोटापे को प्राथमिकता दी जाती है। यह बीमारी के साथ जी रहे लोगों से भी आगे आने और अपने अनुभव साझा करने का आह्वान करता है। विश्व मोटापा दिवस बीमारी से जुड़ी शर्म और कलंक को खत्म करने का भी प्रयास करता है।
क्या है इस बार की थीम
इस वर्ष विश्व मोटापा दिवस की थीम "Everybody needs to act" है। वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के अनुसार, मोटापा दुनिया भर में 800 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक इस स्वास्थ्य समस्या के चिकित्सीय परिणामों की कीमत $1 ट्रिलियन से अधिक होगी। मोटापा जैसी स्वास्थ्य समस्या अब केवल अमीर देशों तक ही सीमित नहीं है। यह मध्यम और निम्न-आय वाले देशों में भी तेजी से बढ़ रही है। इनमें से कई देश एक साथ मोटापे और कुपोषण से निपटने के दोहरे बोझ का सामना कर रहे हैं।
मोटापे से मधुमेह, हृदय रोग और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर जैसे बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों में भी मोटापा जैसी समस्या धीरे-धीर बढ़ रही है और एक अनुमान के अनुसार 2030 तक कम से कम 250 मिलियन बच्चों के इस रोग से प्रभावित होने की संभावना है।