HP News: IIT डायरेक्टर का दावा मांस खाने के कारण हिमाचल में मची तबाही, कांग्रेस बोली पद पर बने रहने लायक नहीं

HP News: आईआईडी मंडी के डायरेक्टर ने अजीबो गरीब बयान दिया है। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं इसलिए हो रही हैं क्योंकि यहां के लोग मांस ज्यादा खाते हैं।

Report :  Jugul Kishor
Update:2023-09-08 12:23 IST

आईआईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा (सोशल मीडिया)

HP News: हिमाचल प्रदेश में इस साल प्राकृतिक आपदा ने जमकर कहर बरपाया। भारी बारिश, बादल फटने और लैंडस्लाइड की घटनाओं के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई और भारी संख्या में घर जमींदोज हो गए। लगातार लैंडस्लाइड होने से सैकड़ों सड़कें खराब हो गईं। प्रदेश में करोड़ों रूपयों को नुकसान हुआ। इस बीच आईआईडी मंडी के डायरेक्टर ने अजीबो गरीब बयान दिया है। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं इसलिए हो रही हैं क्योंकि यहां के लोग मांस ज्यादा खाते हैं।

लोग जानवरों का मारकर मांस खाते हैं, इसलिए आयी प्राकृतिक आपदा: प्रो. बेहरा 

मंडी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के डायरेक्टर प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने मांसाहार को हिमाचल प्रदेश में आई आपदा का कारण बताकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। प्रोफेसर बेहरा का कहना है कि देवभूमि उत्तराखंड के लोग जानवरों का मारकर मांस खाते हैं और इसी कारण यहां पर प्राकृतिक आपदा आई है। वह अपने संबोधन में विद्यार्थियों को नेक इंसान बनने के सलाह देते हुए उन्हे मांसाहार ने करने की शपथ भी दिलाते हैं। वह विद्यार्थियों से पूछते हैं कि वह मांसाहार करेंगे या नहीं। उन्होने यह एक प्रश्न कई बार दोहराया।

'मांस खाने से हिमाचल का होगा पतन'

विद्यार्थियों ने मांसाहार ने करने की शपथ ली। इसके बाद आईआईटी के डायरेक्टर बेहरा ने हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों आई आपदा के कारणों पर पहुंच गए। बेहरा ने कहा कि यहां के अधिकतर लोग मांसाहारी है। इसकी वजह से प्राकृतिक आपदा बार-बार कहर बरपा रही है। यदि देवभूमि के लोग यहीं नहीं रूके तो मांसाहार खाने से हिमाचल प्रदेश का पतन हो जाएगा। उनके बयान पर सोशल मीडिया यूजर प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं।

पद पर बने रहने लायक नहीं: जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश में प्रोफेसर बेहरा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि वह जितने अधिक समय तक पद पर रहेंगे, वैज्ञानिक स्वभाव की भावना को उतना अधिक नुकसान होगा। उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारे पूर्वजों को प्लास्टिक सर्जरी के बारे में जानकारी थी। उन्होंने बच्चों से यह भी कहा था कि जलवायु नहीं बदलती, हम बदलते हैं। एक वरिष्ठ मंत्री न्यूटन और आइंस्टीन को लेकर दुविधा में पड़ गए थे जबकि दूसरे मंत्री ने पाठ्यपुस्तकों से डार्विन को बाहर करने को उचित ठहराया था। इन बयानों के बाद अब एक प्रतिष्ठित संस्थान के निदेशक का यह चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने वास्तव में दिखा दिया है कि वह इस पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं। 

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