26 जनवरी स्पेशलः कोई देश कैसे और कब बनता है गणराज्य

26 जनवरी गणतंत्र दिवस। 70 वां गणतंत्र दिवस। भारत की वास्तविक आजादी का दिन। भारत की एकजुट ताकत का दिन। गणतंत्र दिवस का पर्व पूरे देश में मनाए जाने के एलान का दिन। स्वाधीनता सेनानियों की पूर्ण स्वराज्य की ऐतिहासिक विजय का दिन। भारतीय संविधान की जयंती का दिन है।

Update: 2020-01-26 09:13 GMT

रामकृष्ण वाजपेयी

क्या आपको पता है गणराज्य क्या होता है? कोई देश कैसे बनता है गणराज्य? भारत कब गणराज्य बना? भारत क्यों है गणराज्य? किसके प्रयासों से बना गणराज्य?

गणराज्य या गणतंत्र जिसे लैटिन में रेस पब्लिका कहते हैं सरकार का एक ऐसा रूप है, जिसमें देश को एक "सार्वजनिक मामला" माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। ... इस तरह के शासनतन्त्र को गणतन्त्र (संस्कृत; गण: पूरी जनता, तंत्र: प्रणाली अर्थात जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली) कहा जाता है।

जब अंग्रेजों ने देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी दी तो उस समय भारत छोटी छोटी सैकड़ों देशी रियासतों में बंटा हुआ था।

इस दिन भारत बना गणतंत्र या गणराज्य

देश 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 बजे भारत एक गणतंत्र या गणराज्य बना। इस के मात्र छह मिनट बाद 10.24 बजे राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी

26 जनवरी गणतंत्र दिवस। 70 वां गणतंत्र दिवस। भारत की वास्तविक आजादी का दिन। भारत की एकजुट ताकत का दिन। गणतंत्र दिवस का पर्व पूरे देश में मनाए जाने के एलान का दिन। स्वाधीनता सेनानियों की पूर्ण स्वराज्य की ऐतिहासिक विजय का दिन। भारतीय संविधान की जयंती का दिन है।

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भारतीय संविधान- जिसकी प्रस्तावना के अनुसार भारत एक सम्प्रुभता सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य है।

आपको पता है कि भारत को आजादी तो 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी, लेकिन क्या यह भी पता है भोपाल की जनता को भारत संघ का हिस्सा बनने के लिए पूरे दो साल और इंतजार करना पड़ा था। कश्मीर, जूनागढ़ व हैदराबाद रियासतों का भारत में विलय सैनिक हस्तक्षेप से हुआ था।

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यह भी सबको पता है कि भारत को समग्र राष्ट्र का स्वरूप देने के लिए लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों से 562 देशी रियासतों ने स्वेच्छा से भारत में विलय के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते हुए भारत को एक सूत्र में बांधने का काम मजबूत कर दिया था। लेकिन यह काम संभव कैसे हुआ। इसमें क्या क्या हुआ।

आइए करते हैं इसकी पड़ताल

दरअसल लार्ड माउण्टबैटन ने भारत की आजादी को लेकर जो प्रस्ताव जवाहरलाल नेहरू के सामने रखा था उसमें ये प्रावधान था कि इस क्षेत्र के 565 रजवाड़े भारत या पाकिस्तान में किसी एक में विलय का विकल्प चुन सकते हैं। प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि वे चाहें तो दोनों के साथ न जाकर अपने को स्वतंत्र भी रख सकते हैं। इन 565 रजवाड़ों जिनमें से अधिकांश प्रिंसली स्टेट यानी ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य का हिस्सा थे। इनमें से चार को छोड़कर अधिकांश ने एक एक कर भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। यह काम सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा वीपी मेनन के प्रयासों से संभव हुआ था।

अब ये जो चार रियासतें बची थीं इनमें जूनागढ़, हैदराबाद, कश्मीर और भोपाल शामिल थे। इनमें भी तीन रियासतों जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर का सैनिक हस्तक्षेप के बाद विलय हो गया। इसके बाद बची भोपाल रियासत जिसका विलय कराने में सबसे ज्यादा समय लगा और 1 जून 1949 को भोपाल रियासत का भारत में विलय कराने के साथ भारत को गणराज्य बनाने का कार्य पूर्ण हुआ। और सबसे अंत में चीन सीमा पर स्थित सिक्किम राज्य भारत में विलय हुआ। उसे 1972 में भारत में विलय कराकर २२वाँ भारतीय राज्य बनाया गया।

 

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