RTI में चौंकाने वाला खुलासा: सिर्फ इसलिए मार दिए सैकड़ों हाथी, केरल है सबसे आगे

देशभर में पिछले दस वर्षों में सैंकड़ों हाथियों को उनके दांतो के लिए मार दिया गया। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो में लगाई गई एक आरटीआई में पूछे गए सवाल में इसका खुलासा हुआ। दस सालों में कुल 509 ऐसे केस सामने आए, जिसमें 957 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया है।

Update: 2021-02-16 14:02 GMT
RTI में चौंकाने वाला खुलासा: सिर्फ इसलिए मार दिए सैकड़ों हाथी, केरल है सबसे आगे

नोएडा: देशभर में पिछले दस वर्षों में सैंकड़ों हाथियों को उनके दांतो के लिए मार दिया गया। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो में लगाई गई एक आरटीआई में पूछे गए सवाल में इसका खुलासा हुआ। आकड़े चौकाने वाले सामने आए। दस सालों में कुल 509 ऐसे केस सामने आए, जिसमें 957 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंतराष्ट्रीय बाजार में हाथी के दांतों की कीमत लाखों में होती है। हालांकि वन्यजीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो की सख्ती के बाद इस कालाबाजारी व हाथियों के शिकार पर लगाम लगी है।

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राज्यों का हाल

आरटीआई एक्टीविस्ट रंजन तोमर ने बताया कि सबसे ज्यादा केरल में 101 केस पिछले दस सालों में आए। जिनमें 203 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया। उसके बाद तमिलनाडु में 68 केस और 163 गिरफ्तारियां हुई। पश्चिम बंगाल में 67 मामलों में 105 लोगों को गिरफ्तार किया गया। वही, कर्नाटक में 57 मामलों में 81 शिकारी गिरफ्तार हुए। इसके बाद नंबर आता है ओडिशा का जो शिकारियों को गिरफ्तार करने में काफी आगे रहा जहां 56 मामलों में 160 गिरफ्तारी हुई। उन्होंने बताया कि देश भर में पिछले दस वर्षों में सैंकड़ों हाथियों को उनके दांतो के लिए मार दिया गया। देश की राजधानी दिल्ली तक में इस दौरान 6 मामलों में 10 गिरफ्तारियां हुई जबकि उत्तर प्रदेश में 22 मामलों में 15 गिरफ्तारियां हुई।

2013 में सबसे कम आए मामले

हाथी का शिकार दांतों के लिए किया जाता है। इससे आभूषण व इन दांतों की ब्लैक मार्केटिंग की जाती है। हाल ही में कई हाथी दांत तस्करों को भी पकड़ा गया था। जिनसे कई लाख के हाथी दांत बरामद किए गए थे। सबसे ज्यादा मामले 2०1० में कुल 96 केस आए थे। वहीं, सबसे कम केस 2०13 में 33 थे।

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ग्लोबाइलाइजेशन से होगा बचना

जानवर प्रकृति का एक अहम हिस्सा है। हम नगरीकरण के चलते पहले ही उनके आवासों को समाप्त करते आ रहे हैं। अब लालच में आकर उनका शिकार भी कर रहे हैं। इसका सीधा प्रकृति चेन पर पड़ता है। जिससे ग्लोबाइलाइजेशन का संकट बढ़ता जा रहा है। इसे रोकना होगा। सरकारों को और कड़े कदम उठाने होंगे जिनसे यह रूक सकें।

रिपोर्ट: दीपांकर जैन

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