बस होने वाला है बड़ा ऐलान, RBI के इस फैसले का जनता पर पड़ेगा असर

आरबीआई(RBI) की बैठक के बाद आज ब्याज दरों पर फैसला आएगा। ये बैठक 4 से 6 फरवरी तक चली। साल 2020 में ये पहली बैठक है। अर्थशास्त्रियों का मानना हैं कि आरबीआई पिछली बार की तरह इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।

Update: 2020-02-06 04:26 GMT

नई दिल्ली: आरबीआई(RBI) की बैठक के बाद आज ब्याज दरों पर फैसला आएगा। ये बैठक 4 से 6 फरवरी तक चली। साल 2020 में ये पहली बैठक है। अर्थशास्त्रियों का मानना हैं कि आरबीआई पिछली बार की तरह इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। ऐसे में आम आदमी की ईएमआई कम होने का झटका लग सकता हैं। फिलहाल आरबीआई को ग्रोथ में रिकवरी और महंगाई के कंफर्ट जोन में आने का इंतजार रहेगा।

आरबीआई का फैसला

आरबीआई का फैसला ऐसे समय आ रहा है, जब बजट पेश हो चुका है। वहीं, देश की जीडीपी ग्रोथ 6 साल के निचले स्तर पर है। साथ ही, महंगाई दर दिसंबर 2019 में बढ़कर 7.35 फीसदी हो गई हैं। आरबीआई ने पिछली एमपीसी ( MPC) बैठक के बाद रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर स्थिर रखा था। रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 फीसदी पर बरकरार है। रिजर्व बैंक ने सीआरआर(CRR )4 फीसदी और SLR 18.5 फीसदी पर बनाए रखा है। आरबीआई ने इससे पहले लगातार 5 बार ब्याज दरों में कटौती की थी। इस दौरान रेपो रेट में 1.35 फीसदी की कमी आई। पिछली बार एमपीसी के सभी 6 सदस्य ब्याज दरों में कटौती न करने के पक्ष में थे

 

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एमपीसी का गठन

जिस रेट यानी ब्याज दरों पर आरबीआई कमर्शियल और अन्य बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे. रेपो रेट कम हाने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।

एमपीसी का गठन 2016 में हुआ था। इसके लिए वित्त विधेयक के जरिए आरबीआई एक्ट में संसोधन किया गया था। यह समिति आर्थिक विकास को देखते हुए नीतिगत दरें तय करती है। इसमें महंगाई की दर का खास ध्यान रखा जाता है।

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मौद्रिक नीति

मौद्रिक नीति समिति में आरबीआई के गवर्नर सहित 6 विशेषज्ञ होते हैं। इसमें तीन सदस्य केंद्र सरकार और तीन आरबीआई के होते है। समिति की अध्यक्षता गवर्नर करते हैं। समिति के हर सदस्य की सदस्यता चार वर्षों के लिए होती है।इस समिति के लिए वर्ष में कम से कम चार बैठकें करना जरूरी है।आरबीआई का मौद्रिक नीति विभाग मौद्रिक नीति तैयार करने में एमपीसी की मदद करता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ आरबीआई अकेला ही मौद्रिक नीति समिति के जरिए अर्थव्यवस्था में बैंकिंग प्रणाली पर नजर रखता है।

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