सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सिर्फ केंद्र सरकार तय कर सकती है गन्ने का न्यूनतम मूल्य
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को गन्ने के मूल्य निर्धारण को लेकर कई चीजें साफतौर पर कई फैसले किए। न्यायालय ने बताया कि गन्ने का फाइनल...
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को गन्ने के मूल्य निर्धारण को लेकर कई चीजें साफतौर पर कई फैसले किए। न्यायालय ने बताया कि गन्ने का फाइनल न्यूनतम मूल्य तय करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है, न कि राज्य सरकारें। राज्य सरकारों के पास सिर्फ सलाह मूल्य और मेहनताना तय करने का अधिकार है। और तो और ये मूल्य केंद्र से निर्धारित मूल्य से ज्यादा होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जहां राज्य द्वारा तय सलाह मूल्य केंद्र द्वारा तय न्यूनतम मूल्य से कम है, उन मामलों में केंद्रीय अधिनियमों के प्रावधान ही मान्य होंंगे।
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2004 के मामले की सुनवाई में बात निकली
जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने उत्तर प्रदेश की सहकारी गन्ना समितियों से संबंधित 2004 के एक मामले में कहा कि इस मामले को सात सदस्यीय पीठ के पास भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है। केंद्र और राज्य द्वारा तय की गई कीमतों में कोई असंगतता नहीं हो सकती। यह इसलिए कि राज्यों को न्यूनतम सलाह मूल्य केंद्र द्वारा तय मूल्य से ज्यादा ही रखने को कहा जाता है।
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संवैधानिक पीठ ने ये निर्णय लिये
इस संवैधानिक पीठ ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के पास गन्ने की कीमत तय करने का अधिकार है। लेकिन केंद्र के पास न्यूनतम मूल्य तय करने का विशेषाधिकार है। गन्ने का न्यूनतम मूल्य राज्य नहीं तय कर सकते हैं। फैसले में यही कहा गया कि राज्य सरकारें सलाह मूल्य में कभी भी संशोधन करने की अधिकारी हैं। फिर भी इसे केंद्र द्वारा तय न्यूनतम मूल्य से ज्यादा ही होना चाहिए।
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