जम्मू-कश्मीर से बड़ी खबर: अब 9 जगहों पर पत्थरबाजी शुरू, अलर्ट जारी

म्मू-कश्मीर में इस वक्त कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बावजूद इसके श्रीनगर में कुछ लोग सड़कों पर हुड़दंग मचाने में सफल हो रहे हैं। श्रीनगर से मिली जानकारी के मुताबिक सब्जी मंडी इलाके में कुछ लड़कों ने पत्थरबाजी की कोशिश की।

Update:2019-08-06 15:06 IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से और जम्मू-कश्मीर से छिटपुट विरोध और हिंसा की खबरें आ राही हैं। मंगलावर को श्रीनगर के कुछ इलाकों में कुछ लोगों ने पत्थरबाजी की है और श्रीनगर के करीब 9 जगहों पर पत्थरबाजी की खबरें सामने आई हैं।

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मिली जानकारी के मुताबिक पत्थरबाजी की घटना हाजी बाग कैंप, सोम्यार मंदिर, इस्लामियां कॉलेज, छोटा बाजार समेत 9 इलाकों में अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी की है।

जम्मू-कश्मीर में इस वक्त कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बावजूद इसके श्रीनगर में कुछ लोग सड़कों पर हुड़दंग मचाने में सफल हो रहे हैं। श्रीनगर से मिली जानकारी के मुताबिक सब्जी मंडी इलाके में कुछ लड़कों ने पत्थरबाजी की कोशिश की।

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इसके अलावा 90 फ़ीट रोड, हाजी बाग कैंप, सोम्यार मंदिर, इस्लामियां कॉलेज, छोटा बाजार, हमदानियां ब्रिज, जेवीसी, बेमिना और पॉवर ग्रिड के पास पत्थरबाजी की हुछ घटनाएं हुई।

क्या कहता है आर्टिकल 370?

भारतीय संविधान का आर्टिकल 370 एक ऐसा लेख है जो जम्मू और कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा देता है।

संविधान के भाग XXI में लेख का मसौदा तैयार किया गया है: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।

जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन लेखों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या आर्टिकल 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए।

बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, इस लेख को भारतीय संविधान की एक स्थायी विशेषता माना गया।

आर्टिकल 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।

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इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।

इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।

1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।

इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।

भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।

भारत में विलय करना जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी जरूरत थी। ऐसे में धारा 370 के तहत राज्य को कुछ विशेष अधिकार दे दिए गए ताकि ये विलय का काम जल्दी हो सके।

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