Asaram Bapu: सैकड़ों आश्रम और करोड़ों भक्त, घिनौने कामों ने कहीं का नहीं छोड़ा, आसुमल से आसाराम बापू बनने की कहानी

Asaram Bapu: अदालत ने सोमवार को आसाराम को दोषी करार दिया था और आज सजा पर बहस के बाद अदालत ने शिष्या को हवस का शिकार बनाने वाले आसाराम को उम्रकैद की सजा सुना दी।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2023-01-31 17:30 IST

Asumal to Asaram Bapu got life sentence story (Social Media)

Asaram Bapu: जोधपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू को दुष्कर्म के एक और मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने 2013 में एक महिला से दुष्कर्म के मामले में आसाराम बापू को यह सजा सुनाई। अदालत ने सोमवार को आसाराम को दोषी करार दिया था और आज सजा पर बहस के बाद अदालत ने शिष्या को हवस का शिकार बनाने वाले आसाराम को उम्रकैद की सजा सुना दी।

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घिनौनी करतूतों का खुलासा होने से पहले आसाराम की देश में काफी इज्जत थी और देश के बड़े-बड़े नेता उनके दरबार में हाजिरी लगाया करते थे। बड़े नेता ही नहीं बल्कि बड़े बिजनेसमैन, बॉलीवुड स्टार और विविध क्षेत्रों से जुड़े कई नामी लोग आसाराम बापू का सानिध्य पाकर खुद को धन्य समझते थे। काफी समय तक आसाराम बापू देश दुनिया में छाए रहे मगर उसके बाद जब उनके घिनौने कामों का खुलासा होना शुरू हुआ तो उन्हें जेल की कालकोठरी में अपनी बाकी जिंदगी बिताने पर मजबूर होना पड़ा।

तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं मिली राहत

आसाराम बापू के घिनौने कामों का खुलासा होने के बाद हर कोई हैरान रह गया था। पुख्ता सबूत होने के कारण उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अब एक और मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुना दी गई है। जेल की सीखचों में कैद होने के बाद आसाराम बापू अभी तक न जाने कितनी बार शीर्ष अदालत से जमानत पाने की कोशिश कर चुके हैं मगर उनकी हर कोशिश नाकाम साबित हुई है।

बड़े से बड़े वकीलों की मदद भी आसाराम बापू को जेल से बाहर निकालने में कामयाब नहीं हो सकी है। आसाराम बापू पहले ही उम्र कैद की सजा काट रहे हैं और आज गांधीनगर की अदालत ने भी उन्हें सजा सुना दी है। जानकारों का मानना है कि आसाराम बापू का अब जेल से बाहर आना काफी मुश्किल है।

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पाकिस्तान से गुजरात आया था परिवार

आसाराम बापू का जन्म पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था। 1941 में पैदा होने वाले आसाराम बापू का असली नाम आसुमल हरपलानी है। उन्होंने सिर्फ चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की है। देश के बंटवारे के समय आसाराम बापू का परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया और और उनके परिवार ने गुजरात के अहमदाबाद में डेरा जमाया। पाकिस्तान से आने के बाद आसाराम के पिता ने लकड़ी और कोयले का व्यापार शुरू किया मगर आसाराम का मन इस व्यापार में नहीं रमा।

पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी आसुमल पर आ गई। आसुमल मेहसाणा के बीजापुर चले आए और वहीं पर एक चाय की दुकान चलाने लगे। यह दुकान आसुमल के रिश्तेदार सेवकराम की थी। आसुमल ने लंबे समय तक चाय की दुकान चलाई और इस दौरान ही उन्होंने दाढ़ी रखना शुरू कर दिया था।

विवादों से रहा है पुराना नाता

जानकारों का कहना है कि आसाराम का विवादों से पुराना नाता रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक 1959 में आसुमल और उनके परिजनों पर शराब के नशे में हत्या का आरोप लगा था मगर सबूतों के अभाव में आसुमल बड़ी हो गया। जानकारों के मुताबिक हत्या के आरोप से बरी होने के बाद आसुमल ने बीजापुर छोड़ दिया और अहमदाबाद के सरदारनगर इलाके को अपना ठिकाना बनाया। यहां के रहने वाले काडूजी ठाकोर का कहना है कि उन दिनों आसुमल शराब का धंधा किया करता था। तीन-चार साल तक शराब का धंधा करने के बाद आंसुमल ने यह काम छोड़कर दूध की दुकान पर नौकरी शुरू कर दी मगर बाद में यह काम भी छोड़ दिया।

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इस तरह मिला आसाराम बापू नाम

कुछ समय बाद आसाराम बापू खुद को कच्छ के संत लीला शाह का अनुयायी बताने लगे। बाद में इस बात का खुलासा भी हुआ कि आसाराम बापू भले ही खुद को संत लीला शाह का अनुयायी बताते रहे हों मगर संत लीलाशाह ने उन्हें कभी अपना शिष्य बनाया ही नहीं। बाद में आसाराम के भक्तों ने दावा किया कि लीला शाह के आश्रम में ही उन्हें आसाराम बापू का नाम मिला था। इसके बाद वे आसुमल हरपलानी की जगह आसाराम बापू के नाम से जाने जाने लगे।

आसाराम ने इस तरह फैलाया अपना साम्राज्य

आसाराम बापू का नाम मिलने के बाद उन्होंने खुद को संत के रूप में स्थापित करने की कोशिशें शुरू कर दीं। सत्तर के दशक में उन्होंने अहमदाबाद के मोटेरा में साबरमती नदी के किनारे अपना पहला आश्रम स्थापित किया। धीरे-धीरे उनके आश्रम में भक्तों की भीड़ जुटने लगी और गुजरात में उनका प्रभाव बढ़ने लगा। आश्रम में परोसा जाने वाला खाना भी भक्तों के लिए बड़ा आकर्षण था।

अहमदाबाद में आश्रम खोलने के बाद आसाराम बापू ने जल्द ही गुजरात में अपना प्रभाव काफी बढ़ा लिया। आश्रम में भक्तों की ओर से काफी चढ़ावा भी आने लगा जिसके फलस्वरूप आसाराम बापू ने गुजरात में कई स्थानों पर अपने आश्रम बना लिए। इसके साथ ही आसाराम के आश्रमों में कई तरह की चीजों की बिक्री भी शुरू हो गई। आश्रमों की संख्या बढ़ने के साथ ही आसाराम बापू के अनुयायियों की संख्या में भी काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई। 90 के दशक तक आसाराम के अनुयायियों में कई बड़े चेहरे भी शामिल थे हो गए। गुजरात के बाहर भी आसाराम बापू के अनुयायियों की संख्या काफी बढ़ गई और उनके आश्रम खोले जाने लगे। यहां तक कि विदेशों में भी आसाराम बापू का प्रभाव दिखने लगा।

हजारों करोड़ की संपत्ति जुटाई

आसाराम का प्रभाव बढ़ने और उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनके आश्रमों की संख्या में भी काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई। देश के विभिन्न स्थानों पर बापू के 400 से अधिक आश्रम खुल गए। अनुयायियों की ओर से दिल खोलकर दान दिए जाने के कारण आसाराम ट्रस्ट के पास अरबों की संपत्ति जुट गई।

2016 में किए गए एक आकलन के मुताबिक आसाराम बापू ट्रस्ट की कमाई दस हजार करोड़ से अधिक आंकी गई थी। आसाराम बापू के आश्रमों में गुरुकुल नाम से स्कूल भी खुल गया जिसमें काफी संख्या में लोगों ने अपने बच्चों को पढ़ाई करने के लिए भी भेजा। गुरुकुल में ही बच्चों के खाने और रहने की व्यवस्था भी की जाती थी।

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दो बच्चों के शव मिलने के बाद उठे सवाल

लंबे समय तक आसाराम बापू ने सफेद चोले में भक्तों को धोखा दिया मगर धीरे-धीरे उनकी कलाई खुलने लगी। 2008 में पहली बार आसाराम बापू के आश्रम से जुड़ी एक ऐसी खबर सामने आई जिससे उनके अनुयायियों को बड़ा झटका लगा। 2008 में आसाराम के आश्रम में पढ़ने वाले दो बच्चों के शव साबरमती नदी से बरामद किए गए। आसाराम बापू के आश्रम में कुछ समय पहले ही दाखिला लेने वाले दो बच्चों के शव अधजली हालत में बरामद किए गए थे। इस मामले में सीधे तौर पर आसाराम बापू का नाम तो सामने नहीं आया मगर आसाराम ट्रस्ट से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इस घटना के बाद भी आसाराम बापू का साम्राज्य कायम रहा मगर बाद में उनके घिनौने कामों के खुलासे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया।

2013 में घिनौना चेहरा आया सामने

2013 में धार्मिक संत का चोला पहने वाले आसाराम बापू पर रेप का बड़ा आरोप लगा और इसी के साथ ही उनका असली चेहरा सबके सामने आ गया। उत्तर प्रदेश की रहने वाली एक लड़की के माता-पिता ने आसाराम बापू पर बलात्कार का बड़ा आरोप लगाया। यह लड़की आसाराम बापू के छिंदवाड़ा स्थित आश्रम में पढ़ाई करने गई हुई थी। आरोप लगाए जाने के बाद इस नाबालिग लड़की का मेडिकल टेस्ट किया गया जिसमें आरोप सही साबित हुए। इस खबर के प्रसारित होने के बाद सफेद चोला पहनने वाले आसाराम बापू के अनुयायियों को बड़ा धक्का लगा।

इस मामले की सुनवाई जोधपुर की अदालत में हुई आसाराम बापू ने खुद का बचाव करने के लिए कई बड़े वकीलों की मदद ली मगर सबूत खिलाफ होने के कारण कोई भी आसाराम बापू का बचाव नहीं कर सका। इस मामले की सुनवाई के दौरान गवाहों पर हमले और कत्ल की खबरें भी मीडिया में सुर्खियां बनीं।

बाप और बेटे दोनों को उम्रकैद की सजा

इस मामले में जोधपुर की अदालत ने 2018 में आसाराम बापू को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई। उम्रकैद की सजा सुनाई जाने के बाद आसाराम बापू की ओर से कई बार देश के शीर्ष अदालत से जमानत पाने की कोशिश की गई मगर हर कोशिश नाकाम साबित हुई। आसाराम बापू के आश्रमों में तांत्रिक क्रियाएं किए जाने और 2008 में दो बच्चों का कत्ल किए जाने का भी आरोप लगा। हालांकि इस मामले में तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हो सकी। सूरत की एक अदालत ने अप्रैल 2019 में आसाराम के बेटे नारायण साईं को भी दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

अब 2013 के मामले में हुई सजा

आसाराम बापू को आज जिस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, वह मामला 2013 में दर्ज किया गया था।अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक आसाराम ने वर्ष 2001 से लेकर 2006 के दौरान पीड़ित महिला के साथ कई बार दुष्कर्म किया था। इस मामले की सुनवाई गांधीनगर सत्र अदालत में चल रही थी। गांधीनगर सत्र अदालत के जज डी के सोनी ने इस मामले में आसाराम बापू को दोषी ठहराने के बाद आज उन्हें उम्रकैद की सजा सुना दी।

गांधीनगर की सेशन कोर्ट में आस्था की आड़ में अस्मत लूटने पर कड़ा रुख अपनाते हुए यह सजा सुनाई है। आसाराम की पत्नी और बेटी समेत 6 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। पीड़िता की छोटी बहन के साथ दुष्कर्म के मामले में आसाराम के बेटे नारायण साईं को पहले ही उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

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