'अटल' का आगरा से गहरा नाता, यहां की बेड़ई, जलेबी के दीवाने थे

Update:2018-08-16 12:59 IST

आगर: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आगरा से गहरा नाता है। शहर के पुराने भाजपाई कहते हैं कि अटल जी उन्हें देखते ही पहचान जाते थे। उन्होंने कभी किसी भी कार्यकर्ता को निराश नहीं किया।अटल जी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में भर्ती कराने के लिए खुद ही चले जाते थे। एक मौका ऐसा भी आया, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने आगरा के लोगों को खतरनाक कह दिया था। 25 दिसम्बर को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिवस है। आगरा के जयपुर हाउस इलाके में अटल बिहारी की बहन कमला देवी का निवास भी है। जहां अक्सर अटल बिहारी आया जाया करते थे। और परिवार के अन्य लोगों से बातचीत , घूमना, फ़िल्म देखना और अच्छी अच्छी बातें सिखाने का शौक रखते थे।

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अटल के जी नाती अक्षय दिक्षित ने बताया कि एक बात 1988 की है। आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था। तब लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, लेकिन जलवा अटल बिहारी वाजपेयी का ही था। अधिवेशन के दौरान अटल-आडवाणी का स्वागत जुलूस निकाला गया। दुकानों और घरों से जबरदस्त पुष्पवर्षा हुई। इसके बाद अम्बेडकर पार्क, बिजलीघर में हुई सभा में अटल ने कहा था- भई, आगरा के लोग तो बहुत खतरनाक हैं। ये तो फूलों से घायल कर देते हैं। जरा बचके रहना। अटल जी ने फूलों से घायल करने वाले आगरा के खतरनाक लोगों की चर्चा कई अन्य सभाओं में भी की।

यही खूबी उन्हें अजातशत्रु बनाती है

भाजपा के ब्रज क्षेत्र अध्यक्ष पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने बताया कि अधिवेशन के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की कार अधिवेशन स्थल पर आई और अधिवेशन के सुरक्षा प्रमुख थे सुनील शर्मा एडवोकेट। उन्होंने कार को रोक दिया। उन्हें नहीं पता था कि इसमें अटल बिहारी वाजपेयी बैठे हैं। वाजपेयी बाहर निकले और कारण पूछा तो उनसे कहा कि बिना प्रवेशिका के प्रवेश नहीं मिलेगा। इस पर अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रवशिका बनवाई और अंदर गए। अनुशासन का पालन करने के लिए उन्होंने सुनील शर्मा को शाबासी भी दी। सुनील शर्मा ने बताया कि अटल जी की यही खूबी उन्हें अजातशत्रु बनाती है।

जहां की बेड़ई, जलेवी पसंद करते थे

आगरा वासी कहते है कि अटल बिहारी वाजपेयी को आगरा का नाश्ता बहुत पसंद है। बेड़ई-कचौड़ी पर तो मानो वे टूट ही पड़ते थे। स्वयं खाते थे औऱ दूसरों को भी खिलाते थे। मशहूर हलवाई देवीराम की जलेबी और बेडई खाने के शौकीन अटल बिहारी के क्रियाकलापों का हर कोई मुरीद है। हलवाई बताता है कि उस वक्त बेडई की कीमत करीब 5 पैसा होती थी। जब अटल बिहारी नाश्ता करते थे। अटलजी ने बेलनगंज में रामा गुरू की तेल की बेड़ई और प्रतापपुरा स्थित देवीराम के समोस खूब खाए हैं। समोसे तो कई बार मैंने लाकर खिलाए हैं।

उदारता है उनके मन में

भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुभाष भिलावली के परिवार का एक व्यक्ति बीमार हो गया। उसे आगरा से एम्स में भर्ती कराने के लिए ले गए। वहां तो बहुत मुश्किल थी। बात अटल जी तक पहुंची। वे स्वयं उठकर गए और एम्स में भर्ती करवाया। इस तरह की उदारता है उनके मन में। इसी कारण आगरा के तमाम लोग अटलजी पर आज भी अपना हक जमाते हैं।

पैतृकगांव में दुख का माहौल

वहीं अटल बिहारी बाजपेयी के पैतृकगांव में दुख का माहौल है लोग उनके स्वास्थ्य के लिए पूजा अर्चना कर रहें है ,अटल बिहारी बाजपेयी ने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में 5 बी तक शिक्षा ग्रहण की उसके बाद बो ग्वालियर चले गए। ,

आगरा वासियों के जेहन में अटल की यादें शायद ही खत्म को पाएं। आगरा में अटल बिहारी वाजपेई का आगरा से पुराना नाता है और शायद ही ऐसा कोई आगरा वासी हो जो शायद अटल जी को ना जानता हो।

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