अटल बिहारी वाजपेयी हुए 92 साल के, इस मौके को सरकार मना रही 'गुड गर्वनेंस डे'
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को शिखर तक पहुंचाने वाले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रविवार (25 दिसंबर) को 92 वर्ष के हो रहे हैं। केंद्र सरकार अटलजी के जन्मदिन को 'गुड गर्वनेंस डे' के तौर पर मना रही है। पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री के घर जाकर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी।
अटल बिहारी वाजपेयी यूं तो भारतीय राजनीतिक के पटल पर एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और काम से न केवल व्यापक स्वीकार्यता और सम्मान हासिल किया, बल्कि तमाम बाधाओं को पार करते हुए 90 के दशक में बीजेपी को स्थापित करने में अहम भूमिका भी निभाई।
व्यक्तित्व से आकर्षण से जुड़े अन्य दल
वाजपेयी के व्यक्तित्व का ही आकर्षण था कि उस वक्त बीजेपी के साथ तमाम अन्य पार्टियां जुड़ती चली गई। ये वही समय था जब बाबरी विध्वंस के बाद दक्षिणपंथी झुकाव के कारण उस जमाने में बीजेपी को राजनीतिक रूप से 'अछूत' माना जाता था।
अस्वस्थता की वजह से हुए एकाकी
शानदार सियासी पारी खेलने वाला यह खिलाड़ी लंबे समय से थोड़ा एकाकी हो गया है। अस्वस्थ होने की वजह से अटल जी को बोलने में दिक्कत है। लिहाजा वह सबसे मिलते तो हैं लेकिन उनका मार्गदर्शन नहीं कर पाते। फिलहाल वो स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। हालांकि उनके करीबियों की मानें तो जनसंघ को बीजेपी के रूप में आगे ले जाने वाले अटल जी का आशीर्वाद लेने पार्टी नेताओं का उनके आवास पर आना-जाना लगा ही रहता है।
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व्यापक राजनेता के रूप में पहचान
मनमोहक भाषण कला, वाणी के ओज, लेखन और विचारधारा के प्रति निष्ठा तथा ठोस फैसले लेने के लिए विख्यात अटल बिहारी वाजपेयी को भारत व पाकिस्तान के मतभेदों को दूर करने की दिशा में प्रभावी पहल करने का श्रेय दिया जाता है। इन्हीं कदमों के कारण ही वह बीजेपी के राष्ट्रवादी राजनीतिक एजेंडे से हटकर एक व्यापक राजनेता के रूप में जाने जाते हैं।
बीजेपी का उदारवादी चेहरा
कांग्रेस से अलग हटकर किसी दूसरी पार्टी के देश के सर्वाधिक लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले अटल जी को अक्सर बीजेपी का उदारवादी चेहरा कहा जाता है। हालांकि उनके आलोचक उन्हें आरएसएस का ऐसा मुखौटा बताते रहे हैं, जिनकी सौम्य मुस्कान उनकी पार्टी के हिंदूवादी समूहों के साथ संबंधों को छुपाए रखती है। साल 1999 की अटल जी की पाकिस्तान यात्रा की उनकी ही पार्टी के कुछ नेताओं ने आलोचना की थी। लेकिन वह बस से लाहौर पहुंचे। वाजपेयी की इस राजनयिक सफलता को भारत-पाक संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की संज्ञा से सराहा गया।
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पोखरण परमाणु परीक्षण से दुनिया को चौंकाया
अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर दुनिया को चौंका दिया था। यह भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण था। इससे पहले 1974 में पोखरण-1 का परीक्षण किया गया था। दुनिया के कई संपन्न देशों के विरोध के बावजूद अटल सरकार ने इस परीक्षण को अंजाम दिया। इसके बाद अमेरिका, जापान, कनाडा और यूरोपियन यूनियन सहित कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए। बावजूद इसके वाजपेयी सरकार ने देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की। पोखरण का परीक्षण अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे बड़े फैसलों में से एक है।
बजाया हिंदी का डंका
साल 1977 में मोरारजी देसाई सरकार में वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया। वह तब पहले गैर कांग्रेसी विदेश मंत्री बने थे। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिंदी में भाषण दिया था । इससे दुनियाभर में हिंदी भाषा को पहचान दिलवाई। हिंदी में भाषण देने वाले अटल जी भारत के पहले विदेश मंत्री थे।