पकौड़े बेचने वाला बना अंबानी, ऐसा था धीरूभाई अंबानी का सफर

धीरूभाई एक ऐसे उद्योगपति रहे हैं जिनकी कहानियां आज भी लोगों को सुनाई जाती है। कहते हैं कि कोई मन में कुछ ठान ले और उसमें अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत हो, तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती। धीरूभाई अंबानी ने इस बात को सौ प्रतिशत सही साबित किया।

Update:2020-12-28 11:16 IST
पकौड़े बेचने वाला बना अंबानी, ऐसा था धीरूभाई अंबानी का सफर

नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े औद्योगिक घराने की शुरुआत करने वाले धीरू भाई अंबानी का आज जन्मदिन है। धीरूभाई एक ऐसे उद्योगपति रहे हैं जिनकी कहानियां आज भी लोगों को सुनाई जाती है। जब भी कोई नया बिजनेस शुरू करने की सोचता है तो खुद को साहस देने के लिए धूरूभाई अंबानी की सफलता को एक बार जरुर याद करता है। कहते हैं कि कोई मन में कुछ ठान ले और उसमें अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत हो, तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती। धीरूभाई अंबानी ने इस बात को सौ प्रतिशत सही साबित किया।

उनकी आंखों में कुछ नया करने का सपना था और उन्होंने अपने दम पर उस सपने को पूरा किया। इस सपने ने न सिर्फ धीरूभाई को बल्कि पूरी दुनिया को नई दिशा दी। धीरूभाई कहते थे कि जो लोग सपने देखने की ताकत रखते हैं वही उनको पूरा कर सकते हैं। आईये आज जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...

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पकौड़ा बेचा

धीरूभाई के पिता (हीरालाल) शिक्षक थे। धीरूभाई का शुरुआती जीवन काफी कष्टमय था। काफी बड़ा परिवार होने के कारण उन्हें कई बार आर्थिक समस्याएं आती रहीं। जिस कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। धीरूभाई ने पढ़ाई छोड़ने के बाद फल और नाश्ता बेचना शुरू किया। लेकिन कुछ ज्यादा फायदा नहीं मिला। जिसके बाद उन्होंने गांव के एक धार्मिक स्थल के करीब पकौड़ा बेचना शुरु कर दिया। साल के कुछ दिन यह काम अच्छा चलता था। जबकि साल में कुछ दिन धंधा पूरी तरह मंदा रहता था। शुरुआत के दो बिजनेस में मिले नुकसान के कारण उनके पिता ने उन्हें नौकरी करने की सलाह दी।

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1960 के दशक में शुरू हुई कंपनी

धीरूभाई का पूरा नाम धीरजलाल हीरालाल अंबानी था। यमन के अदन शहर में उन्‍होंने 300 रुपये महीने पर A.Besse and Co. में गैस स्‍टेशन पर अटेंडेंट का काम भी किया था। आठ साल वहां काम करने के बाद 1958 में यमन से 500 रुपये की पूंजी के साथ लौटे और अपने कजन चंपकलाल दमानी के साथ एक टेक्‍सटाइल ट्रेडिंग कंपनी की शुरुआत की। हालांकि यह पार्टनरशिप बाद में खत्म हो गई, पर धीरूभाई अंबानी लगातार पॉलीस्टर बिजनेस में बने रहे। 11 फरवरी 1966 में उन्होंने रिलायंस टेक्सटाइल्स इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की।

बिजनेस ऑपरेशन को दिया नया अंदाज

हमेशा लीक से हटकर सोचने के कारण धीरूभाई अंबानी ने देश में बिजनेस करने के तौर-तरीकों को नया अंदाज दिया। अपनी नायाब बिजनेस स्‍ट्रैटजी की बदौलत वह जल्द ही ही देश के सबसे रईस लोगों में शामिल हो गए। यही वजह है कि 2002 में उनके निधन तक रिलायंस देश के सबसे सम्‍मानित और बड़े बिजनेस समूह में एक हो गया था।

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देश की सबसे बड़ी कंपनी

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड आज देश की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज हाइड्रोकार्बन एक्‍सप्‍लोरेशन एंड प्रोडक्‍शन, पेट्रोलियम रीफाइनिंग एंड मार्केटिंग, पेट्रोकेमिकल्‍स, रिटेल और हाई-स्‍पीड डिजिटल सर्विस बिजनेस की सबसे बड़ी प्‍लेयर बन चुकी है।

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