DU में नागरिकता संशोधन बिल की जलाई कॉपी, विधेयक वापस लेने की मांग की

नागरिकता संशोधन बिल को संसद से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिल को अपनी मंजूरी दे दी है। गुरुवार देर रात राष्ट्रपति ने बिल पर दस्तखत कर दिए, जिसके बाद यह कानून का रूप ले लिया है। तो वहीं इस बिल खिलाफ नॉर्थ-ईस्ट खासकर असम में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है। असम के कई जिलों कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट भी बंद है।

Update:2019-12-13 08:49 IST

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल को संसद से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिल को अपनी मंजूरी दे दी है। गुरुवार देर रात राष्ट्रपति ने बिल पर दस्तखत कर दिए, जिसके बाद यह कानून का रूप ले लिया है। तो वहीं इस बिल खिलाफ नॉर्थ-ईस्ट खासकर असम में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है। असम के कई जिलों कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट भी बंद है।

इस बीच दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में बृहस्पतिवार को छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने नागरिकता संशोधन बिल की कॉपी जलाई और विरोध दर्ज कराया। ऑर्ट फैकल्टी के बाहर छात्रों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

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प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता संशोधन बिल के माध्यम से सरकार पर धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाया। इस बिल को वापस लेने की मांग भी की। नॉर्थ कैंपस स्थित ऑर्ट फैकल्टी के बाहर आइसा के आह्वान पर विभिन्न छात्र संगठन इकट्ठा हुए थे। इसमें छात्र संगठनों के सदस्यों के अलावा असम के विद्यार्थी और शिक्षक भी शामिल हुए।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकर इस बिल के माध्यम से गरीब, कमजोर वर्ग को निशाना बनाना चाहती है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नॉर्थ कैंपस में विरोध जुलूस भी निकाला। प्रदर्शन में डीयू प्रोफेसर नंदिता नारायण, पूर्व डूटा अध्यक्ष एन सुकुमार भी शामिल हुए।

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क्या है CAB?

नागरिकता संशोधन बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना की वजह से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान ह

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