अब नहीं बचेगा मौलाना साद: लटक रही सजा की तलवार, कई धाराओं में केस दर्ज

देश में चल रहे लॉकडाउन के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में हुई तबलीगी जमात का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सरकार मौलाना साद पर शिकंजा कस रही है।

Update:2020-04-03 13:25 IST

नई दिल्ली: देश में चल रहे लॉकडाउन के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में हुई तबलीगी जमात का मामला अब धीरे धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। अब सरकार इस जमात और उससे जुड़े लोगों पर सख्त हो रही है। सरकार ने अब सबसे पहले इस पूरे फसाद की जड़ जमात के प्रमुख मौलाना साद पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पुलिस ने मौलाना शाद के खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज किया है।

इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा

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पुलिस ने जमात के प्रमुख मोहम्मद साद कांधलवी और उनके साथियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 259, 270, 120बी, 271 के तहत मामला दर्ज किया है। मौलाना के खिलाफ महामारी एक्ट, दूसरे लोगों की जान खतरे में डालना, लॉक डाउन का उल्लंघन करना और आपराधिक षडयंत्र से सम्बंधित धाराओं में मामला दर्ज़ है। इन धाराओ का क्या मतलब है और इनमें सजा का क्या प्रावधान है, इसकी जानकारी हम आपको देंगे-

क्या है धारा 188

मौलान पर सबसे पहला केस IPC की धारा 188 के अंतर्गत दर्ज है। जो की महामारी एक्ट यानी Epidemic Diseases Act, 1897 का है।

इस एक्ट के अनुसार अगर कोई शख्स लॉक डाउन या उसके दौरान सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करता है। तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अब चूंकि भारत में कोरोना महामारी के चलते देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई है। ऐसे में मौलाना और उनके साथियों ने जमात कर इस कानून का उल्लंघन किया है।

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जिसके तहत उन पर इस धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। महामारी एक्ट के सेक्शन 3 के अनुसार अगर कोई इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या सरकारी निर्देशों व नियमों को तोड़ता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है। किसी सरकारी कर्मचारी के ऐसा करने पर भी यह धारा लगाई जा सकती है। इस कानून का उल्लंघन करने या कानून व्यवस्था को तोड़ने पर दोषी को कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

क्या हैं धारा 270, 271

भारतीय दंड संहिता की धारा 270 के तहत ऐसे मामले आते हैं। जो किसी गंभीर बीमारी को फैलाने के लिए जिम्मेदार हों या ऐसे कोई काम जिसकी वजह से किसी दूसरे शख्स की जान को खतरा हो। धारा 270 आईपीसी के अध्याय 14 में आती है। जिसमें जनता के स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुख, शिष्टाचार और नैतिकता को प्रभावित करने वाले अपराध शामिल होते हैं। धारा 270 के तहत दोषी करार दिए जाने पर 2 साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों मिल सकते हैं।

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यानी आईपीसी की धारा 271 का संबंध क्वारनटाइन किए जाने से है। अगर कोई शख्स जानबूझकर ऐसे स्थान पर जहां कोई संक्रामक रोग फैला हो, वहां लोगों को जमा करता है तो इस कानून के अंतर्गत वह आरोपी हो सकता है। दरअसल, यह कानून लॉकडाउन के समय लागू किया जाता है। इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर 6 महीने की कैद या जुर्माना या फिर दोनों मिल सकते हैं। इसी कानून के तहत विदेश से आने वाले या कोरोना के संदिग्ध मरीजों को क्वारनटाइन रहने का आदेश दिया जा रहा है।

क्या कहती हैं IPC की धारा 259 और 120A, 120B

भारतीय दंड संहिता की धारा 259 के अनुसार, सरकारी व असली स्टाम्प को उपयोग में लाने के या बाद में इस्तेमाल करने के मकसद से अपने कब्जे में रखने पर जबकि ये पता हो कि वह सरकार द्वारा राजस्व मामलों के इस्तेमाल में आने वाले स्टाम्प की कॉपी है। तो ऐसी दशा में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 7 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।

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किसी भी अपराध को अंजाम देने के लिए मिलकर साजिश रचना भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 120ए और 120बी के तहत आता है। जिन मामलों में आरोपियों की संख्या एक से ज्यादा होती है, तो पुलिस धारा 120ए के तहत मामला दर्ज करती है। ऐसी साजिश में शामिल शख्स उम्रकैद या 2 वर्ष या उससे अधिक समय के लिए कठोर कारावास की सजा हो सकती है। आपराधिक साजिश में शामिल होने वाले को भी अपराध करने वाले के बराबर सजा दिए जाने का प्रावधान है।

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