Delhi Snooping Case: मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज किया नया केस, जासूसी कांड से जुड़ा है मामला

Delhi Snooping Case: नई आबाकारी नीति के जरिए शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने का आरोप झेल रहे सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने एक नया मोर्चा खोल दिया है। तिहाड़ जेल में बंद आप नेता के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी ने जासूसी कांड के मामले में केस दर्ज किया है।

Update: 2023-03-16 13:32 GMT
File Photo of Manish Sisodia (Pic: Social Media)

Delhi Snooping Case: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। नई आबाकारी नीति के जरिए शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने का आरोप झेल रहे सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने एक नया मोर्चा खोल दिया है। तिहाड़ जेल में बंद आप नेता के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी ने जासूसी कांड के मामले में केस दर्ज किया है। मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, सीबीआई ने फीडबैक यूनिट मामले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। इस यूनिट की स्थापना विजिलेंस विभाग के तहत साल 2015 में हुई थी।

विजिलेंस विभाग मनीष सिसोदिया के मातहत ही आता था। भष्टाचार को रोकने के लिए गठित इस निगरानी संस्था पर राजनीतिक लोगों की जासूसी कराने का आरोप है, इनमें विपक्ष से लेकर सत्तारूढ़ दल के नेता तक शामिल हैं।

फरवरी में गृह मंत्रालय ने दी थी मंजूरी

सीबीआई ने अपनी शुरूआती जांच में तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए उनके खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति दिल्ली के एलजी से मांगी थी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 के तहत सीबीआई को केस दर्ज करने की अनुमति दे दी थी। साथ ही उन्होंने इस केस में अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कानून कार्रवाई को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को खत लिखा था। जिसपर गृह मंत्रालय ने पिछले महीने यानी फरवरी में अपनी मंजूरी दे दी थी। गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद सिसोदिया के खिलाफ कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया था। जिस पर आम आदमी पार्टी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी।

क्या है जासूसी कांड का मामला ?

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने साल 2015 में फीडबैक यूनिट (FBU) का गठन किया था, जो कि विजिलेंस विभाग के अंतर्गत के आता था। इसका विभाग का जिम्मा तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के पास था। इसके बनाने के पीछे तर्क था कि ये दिल्ली सरकार के मातहत आने वाले विभिन्न विभागों, स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के कामकाज के बारे में प्रासंगिक और कार्रवाई योग्य जानकारी देगा। कुल मिलाकर इसका मकसद भष्टाचार पर अंकुश लगाना था।

2016 से फीडबैक यूनिट (FBU) ने काम करना शुरू कर दिया। आरोप है कि फरवरी 2016 से सितंबर 2016 तक राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की गई और उनके बारे में खुफिया जानकारी एकत्रित की गई। यूनिट ने न केवल विपक्षी बीजेपी बल्कि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के नेताओं की भी जासूसी की।
सीबीआई का आरोप है कि एफबीयू में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई। जांच एजेंसी ने अपनी शुरूआती जानकारी में पाया कि यूनिट ने अपने तय कामों से इतर जाकर राजनीतिक खुफिया जानकारी जमा की। इस मामले की शिकायत साल 2016 में विजिलेंस विभाग के तत्कालीन उप सचिव एस.मीणा ने सीबीआई से की थी। जिसके बाद ये मामला केंद्रीय जांच एजेंसी के संज्ञान में आया।

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