गहलोत-पायलट में फिर बढ़ रहा टकराव, राजस्थान में सियासी भूचाल के संकेत
जयपुर में किसान महापंचायत के जरिए पायलट ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाई। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके खेमे के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था मगर कोई भी नेता इसमें हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचा।
नई दिल्ली: राजस्थान में एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच बढ़ता टकराव भूचाल का संकेत दे रहा है। शुक्रवार को जयपुर में किसान महापंचायत के जरिए पायलट ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाई। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके खेमे के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था मगर कोई भी नेता इसमें हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचा। महापंचायत में 16 विधायकों को जुटाकर पायलट ने एक बार फिर गहलोत और पार्टी हाईकमान को अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की।
महापंचायतों में जुटे पायलट
केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन नए कृषि बिलों के खिलाफ राजस्थान में इन दिनों किसान महापंचायतों का दौर चल रहा है। किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए होने वाली इन महपंचायतों में पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इसी सिलसिले में जयपुर के कोटखावदा में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था।
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पायलट के आयोजन से गहलोत दूर
सचिन पायलट की ओर से आयोजित इस किसान महापंचायत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और गहलोत के कई समर्थक नेताओं को आमंत्रित किया गया था मगर इन नेताओं ने पायलट की महापंचायत से दूरी बनाए रखी।
हालांकि कहने को तो यह कहा गया कि गहलोत जयपुर में ही दूसरे कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण महापंचायत में हिस्सा नहीं ले सके मगर जानकारों का कहना है कि गहलोत ने जानबूझकर पायलट की महापंचायत से दूरी बनाई।
सोलह विधायक जुटाकर दिखाई ताकत
सबसे बड़ी बात पायलट ने इस महापंचायत के जरिए हाईकमान और गहलोत को एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने की चेष्टा की। महापंचायत के मंच पर 16 विधायक मौजूद थे और इसके जरिए पायलट ने यह साबित करने का प्रयास किया कि उन्हें अभी भी कमजोर नहीं आंका जाना चाहिए।
इन विधायकों की मौजूदगी ने चौंकाया
महापंचायत में निवाई के विधायक प्रशांत बैरवा और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह के पुत्र वीरेंद्र सिंह की मौजूदगी भी चर्चा का विषय बनी रही। इन दोनों विधायकों के पंचायत में पहुंचने पर पायलट समर्थकों की ओर से उनके खिलाफ नारेबाजी भी की गई।
इसका कारण यह था कि बैरवा पहले पायलट खेमे में ही थे मगर पिछले साल पायलट और गहलोत में टकराव होने पर उन्होंने गहलोत खेमे का दामन थाम लिया था। महापंचायत में उनकी मौजूदगी से एक बार फिर उनके पायलट खेमे में लौटने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। वीरेंद्र सिंह का झुकाव पहले ही पायलट खेमे की तरफ माना जाता रहा है।
गहलोत पर कसा तंज
महापंचायत के दौरान पायलट समर्थक विधायक विश्वेंद्र सिंह ने गहलोत पर तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि मेहनत कोई करें और मजा कोई और काटे। उनका इशारा साफ तौर पर अशोक गहलोत की ओर था। विश्वेंद्र सिंह के यह बात कहते ही महापंचायत में पायलट के समर्थन में नारे गूंजने लगे। विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि महापंचायत में मौजूद लोग मुझसे ज्यादा होशियार हैं। उन्होंने पायलट की रैली को रेला बताते हुए उनके हाथों को मजबूत बनाने की अपील भी की।
गहलोत ने बनाया यह बहाना
सियासी जानकारों का कहना है कि इस आयोजन के लिए पायलट की ओर से गहलोत और डोटासरा के अलावा मंत्रिमंडल के 20 अन्य मंत्रियों को भी न्योता भेजा गया था मगर कोई भी महापंचायत में शिरकत करने नहीं पहुंचा। सूत्रों के मुताबिक पायलट की महापंचायत की घोषणा पहले ही की जा चुकी थी जबकि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम एन वक्त पर तय किया गया।
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मुख्यमंत्री के लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम की रूपरेखा जानबूझकर बनाई गई ताकि उन्हें महापंचायत में न जाने का बहाना मिल जाए। इससे साफ है कि गहलोत अभी भी पायलट को माफ नहीं कर सके हैं और पायलट के कार्यक्रमों से जानबूझकर दूरी बनाकर चल रहे हैं।
पायलट ने बोला केंद्र सरकार पर हमला
हालांकि अपने संबोधन के दौरान पायलट ने राज्य सरकार को लेकर कोई बात नहीं बोली। उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि देश का किसान खून के आंसू रो रहा है मगर दिल्ली की सरकार को इस बात की कोई चिंता नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए हमें केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने केंद्र सरकार को तानाशाह बताते हुए मजबूती से लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों नेता कांग्रेस को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
बढ़ रहा दोनों कांग्रेसी नेताओं में टकराव
पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजस्थान यात्रा के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच दूरियां दिखी थीं। अजमेर में हुई एक महापंचायत के दौरान पायलट को मंच से उतारे जाने की घटना पर उनके समर्थक काफी नाराज हो गए थे।
इस घटना के बाद कांग्रेसी नेता प्रमोद कृष्णन ने ट्वीट कर पायलट के साथ किए गए इस व्यवहार पर सवाल भी उठाए थे। पायलट समर्थकों ने भी नारेबाजी करके रैली के दौरान हंगामा किया था और उन्हें अगला मुख्यमंत्री तक बताया था। इन बातों से साफ है कि पायलट और गहलोत ने टकराव बढ़ता जा रहा है और आने वाले दिनों में राजस्थान की सियासत में फिर सियासी भूचाल की जमीन तैयार होने लगी है।
अंशुमान तिवारी