मध्य प्रदेश में संवैधानिक संकटः राज्यपाल-विधानसभा अध्यक्ष में टकराव, फैसला कोर्ट पर

मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है तो सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर 17 मार्च (मंगलवार) को ही अपना बहुमत साबित करने को कह दिया है।

Update:2020-03-16 22:17 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: यूपी के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में सियासी पारा गरम होने का असर यूपी में भी दिख रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यूपी में भाजपा की सरकार होना है। यूपी के भाजपाइयों की पैनी निगाह मध्यप्रदेश पर टिकी है। वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी यह नहीं समझ आ रहा है कि मंगलवार को मध्यप्रदेश का सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा।

सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित

हालात यह हैं कि अब मध्य प्रदेश की सियासी बिसात पर विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और राज्यपाल लालजी टंडन आमने-सामने आ गए हैं। मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है तो सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर 17 मार्च (मंगलवार) को ही अपना बहुमत साबित करने को कह दिया है। उधर भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत परीक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है।

सोमवार को मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने केे दौरान राज्यपाल लालजी टण्डन के अभिभाषण के बाद सदन की कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित कर दी गई तो भारतीय जनता पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दे दी। पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता शिवराज चौहान ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दी है।

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मध्यप्रदेश के राजनीतिक हालात पर यूपी के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने न्यूजट्रैक’ से बातचीत के दौरान कहा कि जिस प्रकार के संवैधानिक संकट की स्थिति मध्य प्रदेश में उत्पन्न हुई है। वैसी स्थिति तो देश के किसी राज्य में कभी भी नहीं पैदा हुई। ऐसा पहली बार हो रहा है। अब सब कुछ विधानसभा अध्यक्ष पर ही निर्भर है। सत्तापक्ष को सदन के अंदर अपना बहुमत सिद्ध करना होगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की बेहद विचित्र स्थिति हो गयी है और ये बड़ा संवैधानिक संकट है।

विधानसभा अध्यक्ष को फ्लोर पर बहुमत साबित कराना होगा

वहीं दूसरी तरफ यूपी के ही एक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश विधानसभा सदन में नहीं चलता है उसे विधानसभा के बाहर का अधिकार है, विधानसभा के अंदर तो सब कुछ विधानसभा अध्यक्ष पर ही निर्भर होता है। यदि राज्यपाल ने बहुमत साबित करने को कहा है तो विधानसभा अध्यक्ष को फ्लोर पर बहुमत साबित कराना होगा। इस्तीफा देेने वाले विधायकों का अब तक कुछ भी पता नहीं है उनके इस्तीफे भी अब तक स्वीकार नहीं हैं। ये विधायक जब सदन में आएंगे तभी सब कुछ साफ होगा।

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वहीं यूपी के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्देश देगा उस पर ही सरकार का भविष्य निर्भर रहेगा। उन्होंने कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर भी सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश पर ही सिद्धारमैया ने शपथ ली थी।

संविधान विशेषज्ञ और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी ने कल्याण सिंह बनाम जगदम्बिका पाल मामले को भी याद दिलाते हुए कहा कि उस दौरान भी सुप्रीमकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही रास्ता साफ हुआ था। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश के सारे प्रकरण पर टकराव से कोई फायदा नहीं है।

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