Climate Change: सबसे गर्म सितंबर, बढ़ता तापमान धरती का

Climate Change: यूरोपीय संघ की 'कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस' (C3S) के आंकड़े जलवायु परिवर्तन के भयावह हालात दिखा रहे हैं।

Report :  Nirala Tripathi
Update:2023-10-10 20:13 IST

सबसे गर्म सितंबर, बढ़ता तापमान धरती का: Photo- Social Media

Climate Change: यूरोपीय संघ की 'कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस' (C3S) के आंकड़े जलवायु परिवर्तन के भयावह हालात दिखा रहे हैं। रिर्पोट अपने पिछले 83 वर्षो के आंकड़ों के अनुसार कह रही है कि दुनिया का तापमान विश्विक रूप से, पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में, लगभग 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ रहा है। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, बसंत के बाद से सितंबर तक जारी है । सामान्य रूप से यह महीना उतना ठंडा भी नही हुआ।

क्लाइमेट चेंज सर्विसेट (C3S) ने पिछले दिनों प्रकाशित अपनी विशेष रिपोर्ट में माना है कि इस साल का सितंबर अब तक का सबसे गर्म सितंबर रहा है। वहीं साल के शुरुआती नौ महीनों में पूरी दुनिया का तापमान औसत से 1.52 डिग्री सेल्सियस ज्यादा पाया गया। रिपोर्ट यह भी बताती है कि 2023 अब तक का सबसे गर्म साल बनने जा रहा है।

साल 2020 अब तक का सबसे गर्म साल

इससे पहले हुए रिसर्च बताते हैं कि साल 2020 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है । लेकिन 2023 के शुरुआती नौ महीनों का तापमान 2020 के पहले नौ महीने के तापमान से भी लगभग 0.05 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।

इस साल रिकॉर्ड गर्मी पड़ने के बाद सितंबर में जो अभूतपूर्व तापमान दर्ज किया गया है, उसने कई रिकॉर्ड बड़े अंतर से तोड़ दिए हैं।इस महीने वातावरण में हवा का औसत तापमान 16.38 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया।यह 1991 से 2020 के बीच, महीने के औसत से 0.93 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।

सितंबर का महीना न सिर्फ सबसे ज्यादा गर्म रहा, बल्कि पिछले सालों के मुकाबले इस साल बारिश भी अनियंत्रित व औसत से ज्यादा हुई। रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी यूरोप के समुद्री तटों के कई हिस्सों में स्थितियां 'औसत से ज्यादा आर्द्र' रहीं तो वहीं लगभग पूरे एशिया को अनियंत्रित व असमान्य मौसम देखना पड़ा।

जलवायु का बदलता पैटर्न

तापमान और मौसम का दीर्घकालीन बदलाव ही जलवायु परिवर्तन है । प्राकृतिक रूप से होने वाले बदलाव को छोड़ दिया जाएं तो 1800वीं सदी की शुरुआत से पूरी दुनियां में निरंतर हो रही मानव जनित गतिविधियों और उनसे उत्पन्न ग्रीन हाउस गैसों में अत्यधिक वृद्धि के कारण धरती के तापमान में अभूतपूर्व बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। जलवायु वैज्ञानिक तो यहां तक कहते हैं कि पिछले 200 वर्षो मे लगभग सभी तरह के वैश्विक तापन के लिए , मानव जनित गतिविधियां ही जिम्मेदार है।

पहले से ज्यादा गर्म होती धरती

वैज्ञानिक बताते हैं कि जीवाश्म ईंधनों को जलाने की वजह से जलवायु बदल रही है। इसी वजह से हमें चरम हालात वाले मौसम झेलने पड़ रहे हैं। जैसे लू और तूफान अब ज्यादा प्रचंड होने लगे हैं। बार बार आने लगे हैं। भीषण सूखा, वर्षा वनों में बढ़ती आग, ध्रुवीय ग्लेशियर का लगातार पिघलना, विनाशकारी तूफ़ान और जैव विविधता का तेजी से घटना, हमारी दुनिया के बढ़ते तापमान व पहले से ज्यादा गर्म होती धरती के संकेत है।

C3S की रिर्पोट कहती हैं, ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही इस वैश्विक दुनियां के लिए अब ‘महत्वाकांक्षी जलवायु योजना’ जल्द से जल्द तैयार करने की जरूरत है जो शायद इससे पहले कभी इतनी अहम नहीं रही ।

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