कोरोना काल ने बदला ऑफिसों का माहौल, जानें कितना सफल रहा 'वर्क फ्रॉम होम'

बड़ी-बड़ी कंपनियां इस कोरोना काल के मौजूदा हालात को देखते हुए 'वर्क फ्रॉम होम' को तव्वजो दे रही हैं। लोगों ने अपने घर के एक हिस्से को ऑफिस में तब्दील कर लिया। ताकि उन्हें वैसा ही माहौल मिल सके, जैसा ऑफिस में काम करते वक्त मिलता है।

Update:2020-12-30 20:29 IST
कोरोना काल ने बदला ऑफिसों का माहौल, जानें कितना सफल रहा वर्क फ्रॉम होम

शशिकांत गौतम (Shashi Kant Gautam)

लखनऊ: कोरोना ने साल 2020 को ऐसे जकड़ा कि देश-दुनिया के लोगों के काम करने के तरीके और रहन-सहन दोनों को बदल दिया है। कई देशों में लॉकडाउन किया गया। कोरोना वायरस ने दुनिया को कई सबक दिए जिससे बहुत कुछ सीखने को मिला। यह कमोबेश हर देश को समझ में आ गया है कि ऐसा खतरा कभी भी बताकर नहीं आएगा और उस वक्‍त बिना एक-दूसरे की मदद से संकट से उबरा नहीं जा सकेगा।

ऐसे वक्त में हमें एक दूसरे का ख्याल रखकर ही इस खतरे से उबर जा सकता है। यहां हम कोरोना काल में आये ऐसे ही बदलावों के बारे में चर्चा करेंगे ख़ास तौर पर लोगों और कंपनियों द्वारा अपनाए गए 'वर्क फ्रॉम होम' के बारे में जो अगर दुनिया अपना लेगी, तो शायद पहले से बेहतर हो सके।

वर्क फ्रॉम होम

बड़ी-बड़ी कंपनियां इस कोरोना काल के मौजूदा हालात को देखते हुए वर्क फ्रॉम होम को तव्वजो दे रही हैं। लोगों ने अपने घर के एक हिस्से को ऑफिस में तब्दील कर लिया। ताकि उन्हें वैसा ही माहौल मिल सके, जैसा ऑफिस में काम करते वक्त मिलता है। वे रूम को ऑफिस लुक देने के साथ कंफर्टेबल भी बना रहे हैं।

कोरोना ने लोगों को एक दूसरे से दूर किया तो एक दूसरे का ख़याल रखन सिखाया

इस कोरोना काल में आर्थिक नुकसान अपनी जगह, मगर मानवता को बचाने के लिए कई देशों को इस वायरस ने एकजुट कर दिया है। किसी भी वैश्विक महामारी के दूरगामी परिणाम होते हैं। कुछ बातें सीखी जाती हैं, कुछ पुरानी चीजें छोड़ी जाती हैं। जो बदलाव हमने पिछले कुछ दिनों में देखे हैं, वो भले ही स्‍थायी ना हों मगर उम्‍मीद जगाते हैं।

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भारत ने दिया 'नमस्‍ते'

कोरोना वायरस फैलने का सबसे ज्‍यादा खतरा संक्रमित हाथों से हैं। इंफेक्‍टेड शख्‍स किसी चीज को छूता तो वहां वायरस घर बना लेता है। ऐसे में सोशल डिस्‍टेंसिंग का फंडा निकला। अब हाथ मिलाना तो संभव नहीं, ऐसे में भारत ने दिया 'नमस्‍ते'।

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वर्क फ्रॉम होम अब सच्‍चाई

लॉकडाउन के चलते यह बात साफ हो गई कि बहुत से काम घर बैठे भी किए जा सकते हैं। बड़े और विकसित देशों में इसका चलन तो था मगर मेनस्‍ट्रीम नहीं था। कोरोना वायरस ने वर्क फ्रॉम होम को मेनस्‍ट्रीम कर दिया।

हाईस्‍पीड इंटरनेट की भूमिका बढ़ गई

एक तो वर्क फ्रॉम होम ने घरेलू इंटरनेट स्‍पीड बेहतर करने की प्रक्रिया शुरू करा दी है। जो नेटवर्किंग की समस्‍या अभी है, उसे दूर करने हाईस्‍पीड इंटरनेट को बढ़ावा मिलेगा। यह भी साफ हो रहा है कि कैसे प्रभावी तरीके से इंटरनेट का इस्‍तेमाल व्‍यापार को आसान बना रहा है। साथ ही अलग-अलग तरह की मीटिंग्‍स के लिए मिलना-जुलना जरूरी नहीं। वीडियो चैट अब तेजी से चलन में आने लगा है।

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वीडियो कॉन्‍फ्रेसिंग के जरिये मीटिंग

वीडियो कॉन्‍फ्रेसिंग के जरिए बड़ी-बड़ी बैठकों का सरलता से हो जाना। नेशनल हो या इंटरनेशनल, किसी बड़ी बैठक के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं रह गई है। इससे कई फायदे हैं। पहला तो ये कि बड़ा खर्च बचेगा। दूसरा, हवा में ट्रैफिक कम होगा। चूंकि हर बड़े आयोजन के साथ छोटे-मोटे आयोजन भी होते हैं, ऐसे में उनके खर्च भी लगाम लगेगी। एक बड़ी समस्‍या वीवीआईपी मूवमेंट की रहती है, वीडियो कॉन्‍फ्रेसिंग उसका तोड़ है।

यहां जानें वर्क फ्रॉम होम को लेकर लोगों की राय क्या है?

कोरोना के कारण ऑफिसों में काम करने की समस्या और वर्क फ्रॉम होम को लेकर बात की गई जिसमें लोगों ने इस बारे में अपने विचार साझा किये।

'वर्क फ्रॉम होम' के बारे में जब एक महिला कर्मचारी से बात की गई तो उन्हीनें कहा कि "क्योंकि हमें पहले ऑफिस में पूरे समय चिंता लगी रहती थी- बच्चे ने ठीक से खाया होगा या नहीं, कहीं रो तो नहीं रहा होगा। अब चिंता नहीं है। घर पर कार्य करते हुए वे अपने दूधमुंहे बच्चों को बीच-बीच में संभाल लेती है, इस तरह ऑफिस के लिए भी ज्यादा समय निकल आता है।

'वर्क फ्रॉम होम' की चाहत रखने वालों में पुरुषों की संख्या भी महिलाओं के बराबर ही है। एक पुरुष कर्मचारी से बात करने पर इस बारे में उन्होंने अपने अनुभव बताये उन्होंने कहा कि- असल में ऐसी सुविधा चाहना संबंधित कर्मचारी के पुरुष या स्त्री होने पर नहीं, उसकी पारिवारिक जरूरत और सामाजिक मूल्यों पर भी निर्भर करता है।

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'वर्क फ्रॉम होम' के कारण आ रही शारीरिक दिक्कतों के बारे में लोगों ने कहा

'वर्क फ्रॉम होम' की सुविधा में कई तरह की परेशानियां भी आती हैं, जिसमें सबसे ज्यादा अहम है कि काम करते वक्त शरीर का असंतुलित हो जाना। एक ही स्थान पर दिनभर बैठने से मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं और कंधे, गर्दन में भी दर्द होने लगता है। ऐसी अनेक जटिल स्थितियों से बचने के लिये विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है कि-

दिमाग को आराम देने के लिए 8 से 9 घंटे की भरपूर नींद

कर्मचारी को लगातार घंटों काम करने के बजाय 15 मिनट का ब्रेक बीच-बीच में लेते रहना चाहिए और इस ब्रेक के बीच में मोबाइल फोन व सोशल नेटवर्किंग से दूर रह कर ही थोड़ा आराम करें। दिमाग को तरो-ताजा करने के लिए 8 से 9 घंटे की भरपूर नींद लें। समय मिले तो सुबह उठकर व्यायाम करके खुद को फिट रखें। काम खत्म होने के बाद अपने परिवार के साथ समय बिताएं और अपने रिश्तेदारों व प्रियजनों से इंटरनेट के द्वारा जुड़ें। इसके साथ ही आप खाली समय में बच्चों के साथ मनोरंजन व खेल भी खेलें।

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