कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कही ये बड़ी बात

डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक अगले छह से आठ हफ्ते कोरोना वायरस से लड़ने के लिए काफी अहम हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब देश में कोरोना के मामलों और मरने वालों की संख्या में कमी देखी जा रही है।

Update:2020-12-26 14:20 IST
एक अनुमान के तौर पर एक महीने में दो बार कोरोना वायरस म्यूटेट होता है। इसलिए नए स्ट्रेन के लिए अनावश्यक चिंता करने की जरूरत नहीं है।

नई दिल्ली: एम्स के निदेशक और कोविड प्रबंधन पर बनी राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर बहुत ज्यादा, घबराने की जरूरत नहीं है।

कोरोना वायरस पहले भी कई बार म्यूटेट यानी अपना रूप बदल चुका है। पिछले दस महीनों में कई म्यूटेशन हो चुके हैं और अब ये सामान्य बात है।

उन्होंने आगे कहा कि अगर जरूरत पड़ेगी तो टीका बनाने वाली कंपनियां इसके लिए वैक्सीन तैयार कर लेंगी। उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा समय में मुझे नहीं लगता कि वायरस में कोई बड़ा बदलाव होगा, इसलिए वैक्सीन में भी बदलाव करने की जरूरत नहीं है।

कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कही ये बड़ी बात (फोटो:सोशल मीडिया)

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एक महीने में दो बार कोरोना वायरस म्यूटेट होता है

एक अनुमान के तौर पर एक महीने में दो बार वायरस म्यूटेट होता है। इसलिए नए स्ट्रेन के लिए अनावश्यक चिंता करने की जरूरत नहीं है।

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि अगले साल के मध्य तक देश में छह से सात वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएंगी। फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए कोरोना की वैक्सीन मुफ्त होगी और उसका खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।

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कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कही ये बड़ी बात (फोटो:सोशल मीडिया)

कोरोना वैक्सीन नए स्ट्रेन पर भी प्रभावी

उन्होंने बताया कि म्यूटेशन से लक्षण और इलाज की रणनीति में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं आया है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, जो वैक्सीन अभी इमरजेंसी अप्रूवल के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं, वो यूके के नए स्ट्रेन पर भी असरदार होंगी।

डॉ. गुलेरिया के मुताबिक अगले छह से आठ हफ्ते कोरोना वायरस से लड़ने के लिए काफी अहम हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब देश में कोरोना के मामलों और मरने वालों की संख्या में कमी देखी जा रही है।

उन्होंने ये भी कहा कि नया स्ट्रेन भले ही पहले वाले से ज्यादा खतरनाक हो, लेकिन इसके लिए अस्पताल में ज्यादा संख्या में भर्तियों की जरूरत नहीं है और ना ही इस स्ट्रेन से ज्यादा मरीजों की डेथ होगी।

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