कोविड-19: कंपनी ग्लेनमार्क सवालों के घेरे में, इस वजह से DCGI ने दिया झूठा करार

दुनिया में फैली महामारी कोरोना वायरस के इलाज के लिए दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने  एक नई दवा पेश की है। सामान्य पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए एंटीवायरल दवा फेविपिराविर को फैबिफ्लू ब्रांड नाम से पेश किया गया है।

Update: 2020-07-19 16:05 GMT

नई दिल्‍ली: दुनिया में फैली महामारी कोरोना वायरस के इलाज के लिए दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने एक नई दवा पेश की है। सामान्य पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए एंटीवायरल दवा फेविपिराविर को फैबिफ्लू ब्रांड नाम से पेश किया गया है। इसकी कीमत 103 रुपये प्रति टैबलेट होगी। ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह दवा 200 एमजी के टैबलेट में उपलब्ध होगी। इसके 34 टैबलेट के पत्ते की कीमत 3,500 रुपये होगी

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DCGI ने उठाएं सवाल

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) वीजी सोमानी ने कोविड-19 के इलाज में इस्‍तेमाल की जा रही जेनरिक दवा फैबिफ्लू ब्रांड (FabiFlu) को लेकर किए झूठे दावों और कीमत पर ग्‍लेनमार्क फार्मास्‍युटिकल्‍स लिमिटेड को निशाने पर लिया है। फैबीफ्लू को लेकर एक विधायक ने डीसीजीआई से शिकायत की है।

एक टैबलेट की कीमत 103

ग्‍लेनमार्क की ओर से फैबीफ्लू की प्रस्‍तावित कीमत देश के गरीब, मध्‍य वर्ग के लिए उचित नहीं थी। सोमानी ने बताया, 'ग्‍लेनमार्क ने दावा किया था कि फैबीफ्लू कोविड-19 के साथ ही तनाव, डायबिटीज जैसी बीमारियों में भी कारगर है, जबकि इस दवा के ट्रायल में ऐसी किसी बीमारी को शामिल ही नहीं किया गया था।

 

लॉन्चिंग के समय ग्‍लेनमार्क ने एंटीवायरल फैबिपिरावीर की जेनरिक दवा फैबीफ्लू की 200mg की एक टैबलेट की कीमत 103 रुपये रखी थी। कोविड-19 के दो हफ्ते के इलाज में 122 टैबलेट दी जाती हैं। ऐसे में इसके पूरे कोर्स में 12,500 रुपये का खर्चा होता है। ग्‍लेनमार्क ने पिछले सप्‍ताह फैबीफ्लू की कीमत 27 फीसदी घटाकर एक टैबलेट की कीमत 75 रुपये कर दी थी। इससे 122 टैबलेट के पूरे कोर्स का खर्चा घटकर 9,150 रुपये हो गया।

 

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फैबीफ्लू के परीक्षण का डाटा अभी तक जारी नहीं किया गया है। हालांकि, सरकारी आंकड़े बताते हैं कि दवा का कोविड-19 के हल्‍के लक्षण वाले मरीजों पर परीक्षण किया गया था। परीक्षण में शामिल मरीजों में सांस से जुड़े मामूली लक्षण थे और उन्‍हें तत्‍काल आपात चिकित्‍सा सुविधा की जरूरत नहीं थी। आसान शब्‍दों में कहे तो इनमें कोई भी मरीज गंभीर हालत में नहीं था। समय के साथ विशेषज्ञों ने ठोस सबूतों के अभाव में फैबीफ्लू पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।

फैबीफ्लू से बेहतर पैरासिटामॉल

विशेषज्ञों के अनुसार फैबीफ्लू की कीमत को लेकर भी आलोचना की। उनका कहना था कि सामान्‍य बुखार या शरीर दर्द जैसे लक्षणों का इलाज इससे कहीं ज्‍यादा सस्‍ती पैरासिटामॉल से किया जा सकता है तो इतनी महंगी दवा की क्‍या जरूरत है। डॉक्‍टरों का कहना है कि इससे कोरोना मरीजों के लिवर और हार्ट पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

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