सेना की देशी पिस्टल: 100 मीटर से टारगेट होगा लॉक, DRDO का कमाल

देश की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल ASMI (Machine Pistol ASMI) बेहद खास है। डीआरडीओ ने इसे भारतीय की मदद से विकसित किया है।

Update: 2021-01-13 13:16 GMT

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के मेड इन इंडिया के तहत रक्षा मंत्रालय और भारत की तीनों सेनाएं स्वदेशी हथियारों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में डीआरडीओ ने आर्मी के लिए स्वदेशी बंदूक विकसित की है। जिसे आज सेना के नवाचार प्रदर्शन कार्यक्रम में रखा गया।

सेना के कार्यक्रम में मशीन पिस्तौल ASMI का प्रदर्शन

देश की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल ASMI (Machine Pistol ASMI) बेहद खास है। डीआरडीओ ने इसे भारतीय की मदद से विकसित किया है। जिसका पिछले चार महीनों में परीक्षण हुआ, इस दौरान पिस्टल से 300 से ज्यादा राउंड फायर किए गए। वहीं आज भारत की पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल एएसएमआई को सेना के नवाचार प्रदर्शन कार्यक्रम में दिखाया गया। माना जा रहा है कि जल्द ही इसे भारतीय सेना को इस्तेमाल करने के लिए दिया जाएगा।

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स्वदेशी बंदूक की खासियत

ASMI पिस्तौल का पहला उद्देश्य बिना किसी दुर्घटना के टारगेट को निष्क्रिय करना है। ऐसे में इस बंदूक सेना में शामिल होने का रास्ता भी साफ़ हो गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, जॉइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानि JPVC एक गैस चलति सेमी ऑटोमैटिक हथियार है। 3 किलोग्राम वजनी यह हथियार 100 मीटर की रेंज तक गोलियां दाग सकता है। इसकी फायरिंग की क्षमता 700 आरपीएम की दर तक हो सकती है।

डीआरडोओ ने बनाया कार्बाइन हथियार

बता दें कि ASMI पिस्तौल को डीआरडोओ की पुणे स्थित लैब आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) में बनाया गया है। इसे भारतीय सेना के जीएसक्यूआर के आधार पर डिजाइन किया गया है। गौरतलब है कि ASMI पिस्तौल का पहले ही MHA ट्रायल्स को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है।

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पिस्तौल को एक हाथ से चला सकते हैं जवान

इस हथियार के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डीआरडीओ ने बताया कि कम रेंज के ऑपरेशन्स के लिए एक खास कैलीबर हथियार है। इसकी खासियत है कि लगातार गोलीबारी के दौरान सैनिक इसे आराम से संभाल सकते है। ये इतनी हल्की है कि जवान केवल एक हाथ से भी आराम से फायरिंग कर सकते हैं।

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